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Friday 4 August 2023

भारत की इकलौती नदी जिसे लोग अपवित्र मानते है वा छूने से भी डरते है।

भारत की इकलौती नदी जिसे लोग अपवित्र मानते है वा छूने से भी डरते है।

उस देश में जंहा नदियों पूजा जाता है क्या कोई कल्पना भी कर  सकता है की  एक नदी ऐसी भी हो सकती है जिसे लोग छूने  से  भी डरते है कोई तो कारन होगा जो लोग छूने  से  भी डरते है , क्या है वह  कारण  आईये जानते है 






भारत में सभी नदियों को बहुत पवित्र माना जाता है, लोग इनकी पूजा करते है ,लेकिन एक ऐसी भी नदी है भारत में जिसे लोग अपवित्र मानते है , छूने से डरते है ,कांपते है इस नदी से 



कितना अजीब लगता है सुन कर ,विश्वास  नही होता , पर ऐसा ही है ,जिस देश में नदियों को पवित्र माना जाता है वहां एक नदी को छूने से डरते है लोग।


कारण क्या होगा की लोग इतना खौफ खाते है इस नदी को छूने के नाम मात्र से ।



इस नदी का नाम है कर्म नाशा नदी ,यह बिहार और यूपी में बहती है ।

कर्मनाशा नाम दो शब्दो से मिल कर बना है 
कर्म वा नाश , कर्म का मतलब कोई काम वा नाश का मतलब विनाश


ऐसा माना जाता है की युद्ध के दौरान राजा सत्यव्रत उलटे लटक कर युद्ध रहे थे ,उनके मुंह से लगातार लार नीचे गिर रही थी, उसी लार से इस नदी का जन्म हुया ।


गुरु वशिष्ठ ने राजा सतायवर्त को इस घृणित कार्य के लिए श्राप दिया चंडाल होने का , बस तब से ही राजा सत्यव्रत की लार से  उत्पन इस नदी को क्षरापित माना जाता है ।




इस नदी के पानी को लोग छूने  वा इसका पानी पीने से डरते है।


एक समय था जो लोग इस नदी के आसपास रहते थे फल खा एक समय गुजार लेते थे पर इसका पानी नही पीते थे।



एक नदी को यमराज की बहिन व सूर्य की पुत्री कहा जाता है।

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ज्ञान जन्मो जन्मो तक रहता है knowledge remains as eternal






Monday 19 August 2019

अपनी कुंडली में गज केसरी योग ,लक्ष्मी योग , का निर्माण स्वयं करे

 astro             jyotish                  coaching                   kid's story                  Best home remedies

आप अपनी कुंडली में  गज केसरी योग ,लक्ष्मी योग , का निर्माण स्वयं कर  सकते है ,,,,,,,,,,,











यह आर्टिकल उन लोगो के लिए है 

1 जो प्रकृति में मनुष्य द्वारा पैदा की गई जटिलताओं को सुलझाने में अपना योगदान देना चाहते है         दिल से , सिर्फ ऊपर ऊपर से नहीं। 
2 जिनको  ज्योतिष में रूचि है। 
3 जो समाज में अपना योगदान देना चाहते है। 

जिनके साथ ऐसा नहीं है वो इसे पढ़  कर  अपना कीमती समय व्यर्थ न करे। 



                     अगर आपकी कुंडली में गजकेसरी योग नहीं है।  लक्ष्मी योग नहीं है ,तो यह सादारण सा कार्य कर  के इन योगो का निर्माण स्वम कर  सकते है।


गारंटीड 100%
रुके हुए काम ,बिगड़े हुए काम,उलझे हुए काम ,न बनते काम ,बनने की ,सुधरने,की राह पर एक दिन में आ जायेंगे, 24 घंटे में पोस्टिव सिग्नल मिल जाएगा,,हाँ, पूरी तरह से बनने में हो सकता है थोड़ा सा समय लग जाये,पर काम बनेगा जरूर ,बशर्ते,provided, काम कोई गलत नियत वाला नही होना चाहिए,
ओर इसकी फीस है 00000 rs
आपकी इंवेज़तमेंट,  10 से 50 पैसे,
समय की इंवेज़तमेंट 5 से 60 मिनट,
बाकी श्रद्धा,नियत, इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी चाहते हो काम हो ,
तो कितने लोग मन से तयार हो इस उपाय को करने के लिए।
Purely Religion इन the लाइट ऑफ साइंस, 
one day i was pondering over that what i can do for my mother nature before i leave this earth,suddenly an idea fleshed in my mind ,I blended it with astro and religion , after few days I was taken aback when I got   the  pleasant   results of the work ,
I thought it ,i did  it  ,and had not expected  any fruit, 

 but when I did it ,I got the unexpected sweet fruit,
Then I decided to tell every body for the betterment of the humanity . 

Ritesh Nagi

Mene to ese hi kuch soch kr kiya ,muje jo फल मिला,में बता नही सकता ,
नो तन्त्र मन्त्र
शुद्ध रूप से वैज्ञानिक सोच का धर्म मे मिश्रण,
कोंन कोन तयार है ,हां करने के बाद पीछे नही हटना ,ये पहले गीता को हाथ मे लेकर खुद से प्रण कर लेना ,
















बहुत ही आसान  काम है  जिसे करने से आप अपनी कुंडली में गज  केसरी योग +,लक्ष्मी योग  का निर्माण कर सकते हैं जो दिखाई तो नहीं देगा परंतु उसका फल आपको  तुरंत  मिलना शुरू हो जायेगा और निरंतर मिलता ही चला जाएगा और वह सिर्फ फल आपको ही नहीं मिलेगा वह आप की पीढ़ियों तक को मिलता चला जाएगा।

प्रकृति को अपनी पीढ़ियों के लिए बचाने  में अपना योगदान दे सकते है।


आजकल शहरों में एक प्रचलन चल गया है कि पेड़  के जड़ो के पास के स्थान की  कवरिंग कर दी जाती है जिससे कि पेड़ों की जड़ों तक पानी जा ही नहीं पाता है।
ऐसी स्थिति आपको सैकड़ों नहीं हजारों नहीं लाखों जगहों पर देखने को मिल जाएगी।
मंदिरों में , मुहल्लों  में राह चलते हुए कहीं भी आपको ऐसी स्थिति देखने को मिल जाएगी।



ब आप को करना क्या है,हर समय अपना कोई भी बाहर का काम करते समय ऐसे पीपल के वृक्ष ,बरगद के नीम के या फिर कोई भी ओर हो
पर मुख्यता पीपल के ढूंढो जो सूख रहे है,जिनकी छाल सूख रही है,जिनके चबूतरे को इस प्रकार cemented कर दिया गया है कि उनकी जड़ो में पानी नही जा रहा है,जो सड़क के किनारे या कंही पर भी है पर उपेक्षित है,ऐसे वृक्षो की सेवा आरभ करो देखो फिर कैसे अप्रत्याशित शुभ लाभ मिलने शुरू हो जायेगे,
ये एक इंवेज़तमेंट कि तरह काम करेगा ,आपका ऐसे पीपल का ध्यान रखना,जिससे आप की कुंडली मे कंही पर भी बैठे सूर्य ,मंगल, चन्द्र, बुध,गुरु ,शुभ फल देने लग जायेंगे,शुभ भी ऐसा की आप ने कभी कल्पना भी नही की होगी,
पोस्ट को शेयर करना न भूले
कमेंट के रूप में अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दे,,,
धन्यवाद




सरकार को , एमसीडी , डीडीए  को  इन लोगों को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि क्या हो रहा है और क्या नहीं इसका क्या बेड इफेक्ट बाद में जाकर आने वाली पीढ़ियों को झेलने पड़ेगे।
उन्हें तो सिर्फ इस बात की पड़ी होती है  की टेंडर निकालो टेंडर पूरा करो सड़कें पक्की कर दो सड़कों की साइड  पक्की कर दो जो भी खाली जगह बची है सारी पक्की कर दो।
जिन पेड़ों को उचित मात्रा में पानी नहीं मिलता है उनकी जो छाल होती है वह सूख कर गिरनी शुरू हो जाती है। 
इस बात को आप यु कह सकते है की पेड़ बहुत बड़ी परेशानी दुःख से गुजर रहा होता है ,बस  वो अपनी परेशानी दुःख किसी से कह नहीं सकता।

अब आपको करना क्या है आपको जहां कहीं भी ऐसी स्थिति दिखाई दे आप वहां अपनी पूरी कोशिशें लगा दीजिए , कि उस पेड़ के पास इस तरीके से जगह बना दी जाए की  अगर लोग उसमें पानी डालें तो उसकी जड़ों में जाए अगर बरसात हो तो बरसात का सारा पानी उसके अंदर जाए  ,जमीन के अंदर उस रास्ते से जाएं
आपका यह कर्म , आपकी यह इन्वेस्टमेंट आपको जब रिटर्न देनी शुरू करेगी तो आप सोच भी नहीं सकते कि आप को कितना फायदा कितना लाभ होगा यह आपकी एक ऐसी  इन्वेस्टमेंट होगी जो आप ने कर दी और और अब इसका लाभ पीढ़ी दर पीढ़ी मिलता चला जाएगा।
उनके लिए अपनी प्रकृति के लिए जो अनमोल कार्य करेंगे उसका तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता


एक पार्क में एक बरगद का पेड़ गिर गया लेकिन अभी वह इस स्थिति में था कि अगर उसे खड़ा कर दिया जाए तो वह बचा रह सकता था
इसके लिए हमने पार्क के माली को बोला
वाली अपने साथ दो-तीन वाली और लेकर आया और उसने क्या किया उस पेड़ की सारी पत्नियां काट दी कहता है कि पेड़ बहुत भारी ,है खड़ा करने में दिक्कत होगी।

अगले दिन सुबह जब हम उठे तो हमने क्या देखा कि वह पेड़ व् हां पर है ही नहीं है माली व उसके  साथियों ने मिलकर क्या  किया उसको काट कर ले गए।
 इन लोगों की आदत बन गई है यह पेड़ों को बचाना नहीं चाहते इन्हें तो बस पता लगना चाहिए कि कहीं से लकड़ी मिल सकती है यह तुरंत आएंगे और उठाकर उस पेड़ को काट कर ले जाएंगे और वहीं आप इन्हे  कोई और काम बोलिए तो 8 ,10  ,15 , 20 दिन महीने तक सुनवाई नहीं होगी।
सर्दियों में यह आते हैं पेड़ों की छंटाई के नाम पर पेड़ पूरा का पूरा ही काट कर चले जाते हैं क्योंकि इनका  उद्देश्य यह है ही नहीं है क्या में पेड़ों को बचाना है इनके दिमाग में तो सिर्फ यह चल रहा होता कि किस तरीके से उसकी लकड़ी काटी जाए और तुरंत बेच दी  जाए।


सजग है तो आप इन को ऐसा नहीं करने देंगे
आज के बाद आप ध्यान रखी आपको जहां कहीं भी दिखाई देगी किसी पेड़ के पास जगह बनाई जा सकती है जहां से एक ही पानी जमीन के अंदर जा सकता है चाहे वह इंसान डाले या फिर बरसात का पानी हो जा किसी भी प्रकार का और पानी हो
तो आप यकीन मानिए यह जो आप मंगल चंद्र का मेल करवाएंगे
तो आपके कर्मों के द्वारा जो आपकी कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण हो जाएगा जिसका फल आपको उस योग से ज्यादा मिलेगा जो जिसकी कुंडली में होता है लेकिन उसकी स्थिति के भाव के कारण से उतना लाभ नहीं मिल पाता
इन्वेस्टमेंट्स करनी शुरू कर दी तो आप यकीन मानो ऐसा आशातीत लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाएगा कि आपको तो चकित रह जाएंगे ऐसा क्या किया है मैंने जिसकी वजह से मुझे ऐसे लाभ मिलने शुरू हो गए हैं
आप
प्रकृति के प्रति एक कदम उठाइए आप देखिएगा
कैसे सॉरी प्रकृति
उन परिस्थितियों को सुलझाना शुरू कर देती है जिन को सुलझाने के लिए पता नहीं कब से प्रयत्न कर रहे थे


जितने भी पीपल मंदिरों में लगे हैं
अधिकतर स्थानों पर उन्हें इस तरह से सीमेंटेड कर दिया गया है कि पानी उनकी जड़ों तक तो जाता ही नहीं है बस पेड़ के तने पर पड़ता रहता है और वहीं पर फफूंद जम जाती है ,
 लॉग आंखें बंद करके   मूढ़ मति मानवो  की तरह बस पानी चढ़ाई जा रहे हैं कि आज  शनिवार है आज जल चढ़ाना है सोमवार है जल चढ़ाना है
मैंने एक-दो स्थानों पर कोशिश की कि मैं उसके आसपास की जगह को खाली करवा सकूं
 कंही पर मैं सफल हुआ लेकिन कंही  पर मैं सफल नहीं हो पाया
पर मैं प्रयत्न करना छोडूंगा नहीं
मैं उम्मीद करता हूं कि आप भी खूब प्रयत्न करेंगे और मेरी इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करेंगे ताकि लोगों में जागृति आ सके
हमारी  सोई हुई सरकार एमसीडी डीडीए भी जागृत हो और इस कार्य को करें क्योंकि यह कार्य उनका ही है उन्होंने ही यह गलत कार्य किया है कि हर खाली जगह को सीमेंटेड कर दिया है।









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Saturday 25 February 2017

नवग्रह कवच ( jyotish) Armour for nine planets

नवग्रह कवच       
                                                                नग्र च 
                      Armour for nine planets
      
                                                        (my originals )
                                                                                                    C.D&.C by Ritesh Nagi
                                                                                  9811351049 

        जो हमारे शरीर में है,वही सब ब्रहमांड में है। All that is outside you is with in you ."यत  पिंडे तत                  ब्रह्माण्डे "
 हमारे ऋषि मुनियो ने गहन चिंतन,मनन (deep consideration),से। अपनी गहन खोजो ,गहन  ज्ञान,          अपने देवतायो से प्राप्त ज्ञान की शूक्ष्मता को  इस विधि वत तरीके से हम तक पहुँचाया की बार बार उन्हें प्रणाम करने को जी चाहता है। किस प्रकार 9 ग्रह ,12 राशिया ,व 27 नक्षत्र ,हमारे भूत व भविष्य   को अपने अंदर समेटे रखते है। ग्रह ,12 राशिया ,व 27 नक्षत्र ,हमारे भूत व भविष्य को किस प्रकार प्रभावित कर  सकते है ,कैसे उन प्रभावो से बचा जा सकता है। जिस प्रकार ये 9 ग्रह ,12 राशिया ,व 27     नक्षत्र   ब्रहमांड में स्थित है ठीक  उसी प्रकार से यह हमारे शारीर  में भी स्थित है। यह ग्रह हमारे  जीवन           को  आर्थिक    ,सामाजिक ,व मानसिक रूप से कैसे प्रभावित करेगे ,,शरीर को किस प्रकार ,किस समय ,किन रोगों से  प्रभावित करेगे ,मानव का रूप ,रंग , काया , लिंग केसा , होगा  ,सभी कुछ ,इन 9 ग्रह  ,12 राशिया ,व 27 नक्षत्र ही निर्धारित करते है।
                                to be continued














इस नवग्रह कवच का रोज पाठ  करने से आप निश्चित रूप से महसूस करेगे   की  जो ग्रह आपको तंग कर रहे थे ,कुछ तो शांत अवश्य हुए है। वास्तव में यह सबसे आसान ,व सीधा ,सरल उपाय है सभी ग्रहो को शांत करने का ,व डोंगी लोगो के द्वारा फैलाये हुए जालो  से बचने का। यह भी हो सकता है की नेट पर आप को यह कंही न मिले ,क्योकि मुझे तो यह   प्राचीन पुस्तक से मिला है . 
                                                                           (my originals )
                                                                                                    C.D&.C by Ritesh Nagi
                                                                                  9811351049 




Wednesday 22 February 2017

अब कोई ग्रह आपको तंग नही करेगा (jyotish) greh dosh nivaran


अब कोई ग्रह आपको तंग नही करेगा (my originals )
                                                                                            C.D&.C by Ritesh Nagi
                                                                           9811351049 




  अगर आप इन कामो को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना ले तो कोई ग्रह आपको तंग नही करेगा,
           इस बात का यह मतलब नही है की जिंदगी में कोई परेशानी नही आएगी ,,आएगी पर चमत्कारी  रूप से   या तो वह  आपको उतना तंग नही कर  पायेगी जो वह  कर सकती थी  । 
      आपकी बहुत सारी  समस्याये  हल होनी शुरू हो जाएगी ,,,,,आपको ऐसा  लगेगा की कोई अदृश्य शक्ति
            आपकी मदद कर  रही है। इन बातो के अलावा  भी अगर संभव तो निचे दिए कुछ कार्य भी अवश्य करे। 



 


1.  पीपल पर हर रोज जल चढ़ाये ,यदि रोज संभव न हो तो शनिवार को जल भी चढ़ाय 
      व शाम  के   समय  शनिवार को  पीपल के वृक्ष  के नीचे  दिया जरूर जलाये। 
            

2 .  शिवलिंग पर हर रोज जल चढ़ाये ,यदि रोज संभव न हो तो जब भी संभव हो यह कार्य करे. 


3. किसी भी जानवर को कभी भी न सताए ,,भूल कर  भी नही। 


4 . किसी भी व्यक्ति के साथ बुरा  बर्ताव नही करे। 


5 . जल को बिलकुल भी ,,बिलकुल भी बर्बाद न करे ,



6 अपनी ग्रहस्थी को जितना कलेशो  से दूर रखेगे उतनी ही घर  में समृद्धि आएगी। 

7 नवग्रह कवच का पाठ  रोज करे।     ↪ (LINK)  नवग्रह कवच ( jyotish) Armour for nine planets

8 ARTIFICIAL नकली आभूषण भूल कर  भी नाक,कान,गले में  न डाले।

9  बाल खुले न रखे इससे घर में  अशांति बढ़ती है  समृद्धि घटती है।

10 भूल क्र भी कमर के निचे सोना न पहने ,पैरो में तो गलती,गलती से भी नहीं ,वार्ना उसी क्षण से बर्बादी
      शुरू हो जाएगी।

11  गहरे हरे ,नीले  व काळा कपड़ो से जितना परहेज करोगे   उतनी ही जीवन में सुख समृद्धि व शांति आएगी।

12 गायो की से करे ,केतु के लिए काली गाये की सेवा करे। शुक्र के लिए सफ़ेद ,ब्रस्पति के लिए भूरी गाये की।

13  कुत्तो की सेवा करे

14 ,मंदिर जब बी जाये केले ले कर जाये ,केतु को शांत करने के लिए 43  दिन तक रोज ,३ केले मंदिर में रखे

15 कला सफ़ेद कंबल जब भी संभव हो ब्रेससपति या शनिवार नहीं तो कभी भी मंदिर या गरीब को दान दे। ..

16 बरगद के पेड़ पर जल में बहुत थोड़ा दूध व दो दाने  चीनी के डाल  कर नियमित चढ़ाये व गीली मिटी से माथे पर तिलक लगाए। .

17  चमड़े की जूती ले क्र किसी गरीब को दान दे।




we all in the world know about the nine planets which rule our lives which control our lives and  when we are in some trouble we seek astro help and astrologer instead of cutting our fear and trouble  they start putting fear in us how  ....astrologer says this planets is not good in your horoscope, other is from that corner seeing you with red eyes ,,,, but our ancestors were very clever perhaps they knew this will happen one day so they from the spiritual books  gave us the simplest and easiest way to keep calm and cool the trouble shooting planets.what we are to do is the add reading,,and chanting of nav  grah kawach  (nine planet armour) in your daily prayer.






















Sunday 19 February 2017

पाप का फल किसके खाते में डालू / KARMA PHILOSOPHY

                      KARMA PHILOSOPHY
                पाप का फल किसके खाते  में डालू 
 

 बार एक यश्स्वी राजा एकब्राह्मणों को  महल के बहुत बड़े  आँगन में  भोजन करा रहा था । व  
राजा के  रसोइये  महल के  उसी  आँगन में भोजन पका रहे  थे  ।
ठीक  उसी समय एक चील अपने पंजो  में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजर रही थी। 
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी बचाव  के लिए  चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला । 
तब रसोइये  जो की  लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहे थे , किसी को जरा सा  भी  पता नहीं चला की , उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई  है ।

अतः  वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मृत्यु  हो गयी ।
अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख व संताप  हुआ ।
अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईये  .... जिनको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है .... 
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....

बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका (Pending) रहा ....


फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।

उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया परन्तु  रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई ....जरा ध्यान रखना अपना वंहा पर  .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।"

बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला (decision) ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।


यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों ??

जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका (role) भी नहीं थी ।
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला .... ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के  भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । साथ ही उस महिला को तो सच्चाई नही पता ना की वास्तव में हुआ किआ ,बिना सच जाने वह राजा को दोष कैसे दे सकती हे।  इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।

बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव व बिना बात की तह (डेप्थ ) तक जाये  से (बुराई) करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं ।


अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??


ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं ....


इसलिये आज से ही संकल्प कर लें कि किसी के भी और किसी भी पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से कभी नहीं करना यानी किसी की भी बुराई या चुगली कभी नहीं करनी हैं । 

लेकिन यदि फिर भी हम ऐसा करते हैं तो हमें ही इसका फल आज नहीं तो कल जरूर भुगतना ही पड़ेगा। KARMA PHILOSOPHY
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कमाल /

                 कमाल 
         एक गांव के बाहर एक सिद्ध साधु रहता था ,  उसके द्वार से कभी कोई निराश नही लोटता था,  उसी की झोपड़ी के बाहर उसी का एक सेवक रोज  सारा  दिन साधु की कुटिया के बाहर बैठा रहता ,जो सेवा उसके हिस्से आती ,उसे चुप चाप कर देता ,कभी किसी से कुछ नही कहता ,जो खाने को मिलता खा लेता नही मिलता तो चुप चाप सेवा करता रहता ,उसकी सेवा बेमिसाल थी। उसी गांव की एक औरत की शादी को की साल हो गए थे। उसके यहाँ कोई बच्चा नही था ,काफी सालो से वह साधु महाराज के पास भी आशीर्वाद लेने जाती थी परन्तु वहाँ से भी हर बार निराश ही लोटती थी. इस बार उसने ठान लिया की वह साधु से बच्चा होने का आशीर्वाद ले कर ही लौटेगी।  वह साधु के पास गई खूब गिडगडाई ,आप सभी  की झोली भरते हो मुझे भी अपने खजाने में से एक पुत्र दे दो। साधु को उस पर दया आई उसने अपने भगवान का धयान लगाया ,काफी देर बाद जब उसने आँखे खोली ,तो उसके चेहरे पर घोर निराशा थी ,,,उसने कहा पुत्री में तुम्हे आशीर्वाद नही दे सकता ,,मेने प्रभु से बात की है ,,उन्होने कहा  है इस जन्म में यह  नही हो सकता  है। पुत्री मुझे माफ़ कर दो। वह हार कर बुरी तरह से रोती हुई बाहर  की तरफ चल पड़ी। जब वह रोती  हुई जा रही थी तो उस सेवक ने जो हर रोज वहां बाहर बैठा रहता था ,उसे रोक कर पूछा ,बहन किओ इतना रो रही हो ,उसने  रोते  हुए उसे सारी  बात बताई। न जाने उस सेवक के मन में किआ आया,उसने उसे कहा  जा जल्दी ही तेरी गोद में पुत्र खेलेगा। वह रोती हुई वहां से चली गई ,,लगभग  एक साल बाद वह जब अपने पुत्र के  साथ साधु यहाँ माथा  टेकने व बच्चे को आशीर्वाद दिलवाने के लिए आई तो साधु भी हैरान रह गया ,,उसने उससे पूछा यह कैसे संभव हुआ,,,क्योकि मुझे तो सवयं प्रभु ने कहा था की तुम्हारी गोद नही भरी जा सकती है ,,,उस औरत ने कहा  महाराज मुझे किया पता में तो रोते हुए जा रही थी ,,तो जो आप के बहार वो जो सेवक हमेशा चुपचाप बैठे रहते है उन्होने कहा था रो मत,, अगली बार जब तू यहाँ आएगी तो पुत्र के साथ आएगी ,, बस  महाराज और यह में अब यहाँ  अपने खुद के पुत्र के साथ माथा टेकने व आशीर्वाद लेने आई हु।  साधु बहुत ही हैरान हुआ ,उसने बच्चे व उसकी माँ को आशीर्वाद दिया ,जब वह औरत वहाँ से चली गई तो साधु फिर से अपने ध्यान कक्ष में गया ,प्रभु का धयान लगाया ,प्रभु  से जब बात होनी शुरू हुई तो साधु ने पूछा प्रभु  मेने  आप को उस औरत को बच्चा देने के लिए कहा तो आप ने मुझे कहा इस जन्म में उसे बच्चा नही हो सकता फिर आप ने उस की गोद अब कैसे भर दी और मुझे झूठा साबित करवा दिया।   … तब प्रभु  ने कहा नही ऐसी बात नही है जब मेने तुम्हे कहा था बच्चा नही  हो सकता वह बात सच  थी. लेकिन  जब वह औरत रोती हुई जा रही थी तो तुम्हारे बाहर बैठे उस सेवक उसे कह  दिया जा तेरे बेटा हो जायेगा ,,तो मैं खुद परेशान हो गिया में कब से इन्तजार कर रहा था की तेरा वो सेवक कुछ मांगे और में उसे दू  अब उसने माँगा भी तो उस औरत के लिए तो मुझे कुछ फरिश्ते भेज कर उस औरत के शरीर में गर्भ बनवाना पड़ा जो की उसके नही था ताकि तेरे वा  मेरे उस सेवक की वो बात पूरी हो सके जो उसने पहली बार मुझसे मांगी है। में कब से तरस रहा था उसे कुछ देने के लिए। …। to be continue
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कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है






orignal                         कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है

  एक बहुत ही यशस्वी राजा था। वह अपने हर कार्य में सर्वश्रेस्ट था। प्रजा का खूब ध्यान रखता था ,उन्हें कभी भी किसी भी  बात के लिये तंग नही करता था,धर्मत्मा व दयालु था ,,उसकी एक आदत यह भी थी की वह सप्ताह में एक दिन गोशाला की सफाई ,गायों को नहलाने  का कार्य भी स्वयं  ही करता था ,एक बार वह गोशाला में अपने कार्य में लगा हुआ था ,,तबी एक साधू भिक्षा मांगता हुआ गोशाला तक आ गया ,उसने राजा से भिक्षा मांगी ,राजा अपने ध्यान में मग्न सफाई कर रहा था, शायद कुछ खिजा भी हुआ था ,उसने दोनों हाथो से उठा कर गोबर साधु की झोली में डाल दिया ,साधू  आशीर्वाद देते हुए वंहा से चला गिया ,,.राजा को कुछ देर बाद अपनी गलती का एहसास हुआ ,राजा ने सैनिको को साधु को ढूढ़ने के लिए भेजा परन्तु साधु नही मिला।

                 इस बात को ना जाने कितना समय बीत गया ,,एक बार राजा शिकार करने जंगल में गया हुआ था ,खूब थकने पर वह पानी की तलाश में भटकते भटकते  एक कुटिया के बाहर पहुंचा ,, कुटिया के अंदर झांकने पर उसने देखा वहां एक साधु धयान में मग्न बैठा था ,वहीं उसके पास एक खूब बड़ा गोबर का ढेर लगा हुआ था ,राजा अचंभित व परेशान हो कर सोचने लगा की साधु के चेहरे का तेज कितना अधिक है, पर यह गोबर का ढेर  क्यों है यहाँ ,,,राजा साधु के पास गया ,प्रणाम किआ ,जल माँगा व पिया ,और पूछा साधू से ,अगर आप बुरा ना  माने तो क्या में जान सकता हु की आप के चेहरे का तेज कहता है की आप एक तपस्वी है ,,फिर आप की कुटिया में इतनी गंदगी किओ है ,साधू ने कहा राजन हम जीवन मै जो कुछ बी जाने या अनजाने ,अच्छा या बुरा करते है वह हमें इसी जन्म में या अगले जनम में की गुना हो कर मिलता है ,यह गोबर भी किसी दयालु ने दान में दिया है,राजा को झटका लगा और सारी घटना कई  की साल पहले की स्मरण हो आई।
                               राजा ने साधू से क्षमा मांगी व प्रायश्चित का मार्ग पूछा ,साधु ने कहा राजन इस गोबर को तुम्हें खा कर समाप्त करना है ,,इसे जला कर राख में बदल लो व थोड़ा थोड़ा खा कर समाप्त करो ,राजा ने कहा
    साधु महाराज कोई और उपाय बताये क्योकि थोड़ा थोड़ा खा कर समाप्त करने में की वर्ष बीत     जायेगे ,साधु ने कहा राजन और उपाए तुम कर नही पाओगे ,राजा अड़ गया तो साधु ने कहा 
    राजन कोई कार्य ऐसा करो की तुम्हारी चारो कुंठो में बदनामी हो , इस से इसी जन्म में       तुम्हारे इस कार्य का कुछ तो भार अवश्य ही कम हो जायेगा ,,राजा महल में गया बहुत सोचने     के बाद अगले दिन सुबह उसने राज्य की सबसे सुंदर वेश्या को बुलाया ,वह खूब सजदज कर   आई ,राजा उस वेश्या को ले कर रथ पर पूरे  राज्य का भर्मण करने निकल पड़ा ,,जिसने भी राजा  वेश्या के साथ देखा वह आचम्भित रह गया ,,व साथ ही थू थू करने लगा ,,प्रजा कहने लग पड़ी  लगता है राजा का दिमाग खराब हो गया है.,,,,राजा ने इस प्रकार की महीनो तक किया ,काफी दिन घूमने के बाद राजा जब  गोबर के ढेर के   को देखने गया तो उसने पाया अब वहां केवल शायद उतना ही गोबर रह गया है जो उसने साधु को दिया था,, वह और भी कई  दिनों के उसी प्रकार के कार्य के बाद भी समाप्त नही हो रहा था। ।अचानक एक दिन साधु महल में आया उसने राजा से कहा राजन यह तो मूल है इसे तो तुम्हे खा कर ही समाप्त करना पड़ेगा ,,राजाने उस गोबर को राख में बदला व खा कर  समाप्त किया। 
 शिक्षा :   हमे अपने किये हर कर्म का फल हर हाल में भुगतना पड़ता है। 
          
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