Wednesday 28 November 2018

काल भैरव

                              

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                                 काल भैरव


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काल भैरव 

आज 29 नवंबर 2018 काल भैरव जयंती है
 भैरव शिव जी के ही रूद्र रूप मने जाते है ,भगवान शिव की तंत्र साधना में भैरव जी की पूजा का  विशेष महत्व है
 भैरव जी को भगवान शिव का पुत्र भी माना जाता है
ऐसा माना जाता है  कि जो शिव के मार्ग पर चलता है उसे भैरव कहा जाता है
भैरव की उपासना से डर का  भय का  और अवसाद का,परेशनियो का  नाश होता है व्यक्ति को बहुत  साहस मिल जाता है व्यक्ति बहुत ही ज्यादा निडर  हो जाता है

शनि और राहु की बाधाओं से परेशानियों से  मुक्ति के लिए भैरव की पूजा  का विशेष महत्व  होता है व  यह पूजा अचूक मणि जाती है 
राहु अगर समस्या दे रहा हो तो रविवार को भगवान शिव को मीठी रोटी और शरबत अर्पित करना चाहिए,या फिर फिर 
भगवान भैरव को मीठी रोटी व शरबत अर्पित करना चाहिए

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रूद्र भैरव 
भैरव कौन है और इनकी उपासना का महत्व क्या है
मार्गशीर्ष  के महीने में रात के समय में अष्टमी के समय  भैरव की विशेष उपासना की जाती है इस बार  जो कालाष्टमी है काल भैरव की जो अष्टमी है इस बार 29 नवंबर को मनाई जाएगी 
काल भैरव की पूजा का विधान क्या है

भगवान भैरव के अलग-अलग स्वरूप क्या है और उनकी विशेषता क्या क्या है
 भगवान भैरव के तमाम स्वरूप और रूप बताए गए हैं जैसे कि
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असितांग भैरव 
असीतांग भैरव,, रूद्र भैरव, बटुक भैरव, काल भरव
विशेष  रूप से बटुक भैरव और काल भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है इनकी पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है
बटुक भैरव भगवान जी का बाल रूप है उन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं इस   आप इस बाल  रूप की उपासना करते हैं तो उपासना   शीघ्र ही फलदाई होती है 
काल भैरव भगवान शिव का साहसिक व युवा रूप है शत्रु से मुक्ति संकट और मुकदमा में विजय मिलती है कोर्ट कचहरी आदि मुकदमों में विजय प्राप्त होती है


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बटुक भैरव 
असितांग  भैरव और रूद्र भैरव की उपासना अति विशेष मणि जाती है 
इस उपासना से मुक्ति मोक्ष और कुंडली जागरण होता है और इसे मुक्ति मोक्ष और कुंडली जागरण के लिए  ही प्रयोग किया जाता है इस प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है
भगवान भैरव की जयंती के दिन भगवान भैरव की उपासना किस प्रकार से करनी चाहिए
सांये  काल में भैरव जी की पूजा करें इनके सामने सरसों के तेल का बड़ा सा दीपक जलाएं इसके बाद उड़द या दूध से बनी हुई वस्तुएं प्रसाद के रूप में अर्पित करनी चाहिए  अगर विशेष कृपा प्राप्त करनी है तो शरबत या सिरका अर्पित करें
जो लोग तामसिक पूजा करते हैं वह भगवान भैरव जी को मदिरा अर्पित करते हैं सामाजिक समानता भगवान भैरव को शरबत अर्पित करना ही बेहतर होगा
प्रसाद अर्पित करने के बाद भैरव जी के मंत्रों का जाप कीजिए
भैरव की पूजा के दौरान सावधानियां क्या क्या है गृहस्त  लोगों को भगवान भैरव की तामसीक पूजा नहीं करनी चाहिए इस  बटुक भैरव की पूजा करें नार्मल  पूजा करे
मांस मदिरा के साथ गृहस्त  लोगों को भगवान भैरव की पूजा नहीं करनी चाहिए
काल भैरव की पूजा  कभी भी किसी के नाश के लिए ना करें,वर्ण अपना भी नुक्सान होता है 
काल भैरव की पूजा कभी भी किसी योग्य गुरु के संरक्षण के बगैर ना करें 
ओ जाने के लिए काल भैरव की साधना करना चाहते हैं
काल भैरव भगवान भैरव के विशेष मंत्र 





 भगवान भैरवनाथ को खुश करना बहुत  आसान है लेकिन अगर वे नाराज हो  जाएं तो मनाना बेहद मुश्किल। काल भैरव अष्टमी पर कुछ खास सरल उपाय जो निश्चित रूप से भैरव महाराज को प्रसन्न करेंगे।

1. बुधवार या गुरुवार, रविवार, के दिन एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबो कर  एक लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दो   कुत्ता अगर यह रोटी खा लें तो समझना  आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रिया  को जारी रखें लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं तीन दिनों में (, बुधवार या गुरुवार ,रविवार)। यही तीन दिन भैरव नाथ के माने गए हैं।

2. उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल मेंतले  और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह तड़के  उठकर  किसी से कुछ बोलें बिना  घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। यह  सिर्फ रविवार के लिए हैं।

3. शनिवार के दिन  किसी ऐसे भैरव नाथ जी का मंदिर खोजें जिन्हें लोगों ने पूजना  छोड़ दिया हो वंहा पर दीपक जलाये । रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। मन लगाकर उनकी पूजन करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। याद रखिए कि अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं।

4. हर  गुरुवार कुत्ते को गुड़ खिलाएं।

5. किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें।

6. सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं।

7. शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती में जाकर बांट दें।

8. रविवार या शुक्रवार को किसी भी भैरव मं‍दिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं।

9. पांच नींबू, पांच गुरुवार तक भैरव जी को चढ़ाएं।



10. सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में बुधवार के दिन चढ़ाएं।




















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Friday 9 November 2018

पेड़ की जड़ें और ज्योतिष


                 पेड़ की जड़ें और ज्योतिष


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                                             पेड़  की जड़ें  और ज्योतिष
                           रत्नो  की जगह आप  धारण कर सकते है पेड़ों की जड़ें भी



 ज्योतिष विद्या भी एक विज्ञान  हैं । इस विद्या से भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी मिल सकती है। साथ ही, जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के उपाय भी मालूम किए जा सकते हैं। कुंडली के 12 घरों में ग्रहों की  स्थिति के अनुसार ही हमारा जीवन चलता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति अच्छे फल प्राप्त  नहीं   कर पाता है । अशुभ फल देने वाले ग्रहों से अच्छे फल प्राप्त करने के लिए  कई प्रकार के उपाय किये जाते  हैं। ग्रहों से शुभ फल प्राप्त करने के लिए संबंधित ग्रह का रत्न पहनना भी एक उपाय है। असली रत्न काफी मूल्यवान होते हैं जो कि आम लोगों की पहुंच से दूर होते हैं। इसी वजह से कई लोग रत्न पहनना तो चाहते हैं, लेकिन धन की कमी  में इन्हें धारण नहीं कर पाते हैं। ज्योतिष के अनुसार रत्नों से प्राप्त होने वाला शुभ प्रभाव अलग-अलग ग्रहों से संबंधित पेड़ों की जड़ों को धारण करने से भी प्राप्त किया जा सकता है।एक निश्चित प्रक्रिया के अनुसार यदि अपनी राशि,नक्षत्र और कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुरूप जड़ों को धारण किया जाये तो विस्मयकारी तरीके से लाभ होता है।

सभी ग्रहों का अलग-अलग पेड़ों से सीधा संबंध होता है। अत: इन पेड़ों की जड़ों को धारण करने से अशुभ ग्रहों के प्रभाव कम हो जाते हैं। धन संबंधी परेशानियां दूर हो सकती हैं।




सूर्य




यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो सूर्य के लिए माणिक रत्न बताया गया है। माणिक के विकल्प के रूप में बेलपत्र की जड़ लाल या गुलाबी धागे में रविवार को धारण करना चाहिए। इससे सूर्य से शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
if sun is malefic in your horoscope ,you can wear ruby , any pink stone ,or root of bael tree in your neck ,or keep it in your pocket warped in white cloth ,it will definitely solve many problems of your life  


अगर  किसी की  कुंडली में सूर्य नीच का होकर तुला राशि में है या  केंद्र में या लग्नस्थ है तो कृत्तिका नक्षत्र वाले दिन “बेल पत्र की जड़” प्रात:काल तोडक़र,शिवालय में शिवजी को समर्पित करें और ऊँ भास्कराय ह्रीं मंत्र का जाप करने के पश्चात गुलाबी धागे से धारण करें। प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करते रहें. रोग,संतानहीनता जैसी अन्य कई समस्याये दूर होगी ।

Bael tree is known as Bilva in Sanskrit. ... Belpatra means leaves of the Bel tree. Bilva leaves or the Belpatra is an important item while worshipping Lord Shiva. This leaf is trifoliate which signifies the holy Trinity: Brahma, Vishnu and Shiva.


चंद्र




चंद्र से शुभ फल प्राप्त करने के लिए सोमवार को सफेद वस्त्र में खिरनी की जड़ सफेद धागे के साथ धारण करें।
for moon root of Manilkara hexandra

यदि आप की कुंडली में चंद्र नीच का होकर वृश्चिक राशि में है,या राहु,केतु और शनि द्वारा प्रभावित है तो, रोहिणी नक्षत्र वाले दिन “खिरनी की जड़”, शुद्ध करके शिवजी को समर्पित करें और ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स:चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप कर के सफेद धागे में धारण करें. फेफड़े सम्बंधित रोग,एकाकीपन और भावनात्मक समस्याओं का समाधान होगा।



बुध

बुधवार के दिन हरे वस्त्र के साथ विधारा (आंधी झाड़ा) elephant creeper की जड़ को हरे धागे में पहनने से बुध के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं .. यहां बताई जा रही जड़ें किसी भी पूजन सामग्री या ज्योतिष संबंधी सामग्रियों की दुकान से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं ...

यदि आपकी कुंडली में बुध द्वादश,अष्टम भाव में या नीच का होकर मीन राशि में है, तो आप अश्लेशा नक्षत्र वाले दिन “विधारा (आंधी झाड़ा) की जड़” गणेश भगवान को को समर्पित करने के पश्चात ऊँ बुं बुधाय नम: मंत्र का जाप कर के हरे रंग के धागे में धारण करें। इस से बुद्धि विकसित होगी तथ निर्णय लेने में हो रही त्रुटि का भी समाधान होगा।
शुक्र
गुलर की जड़  cluster fig tree को सफेद वस्त्र में लपेट कर  या चांदी के लाकेट में  शुक्रवार को सफेद धागे के साथ गले में धारण करने से शुक्र ग्रह से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

यदि आपकी कुंडली में शुक्र अष्टम भाव में है या नीच का होकर कन्या राशि में है, तो आप “सरपोंखा अथवा गुलर की जड़”, भरणी नक्षत्र वाले दिन सफेद धागे से सायंकाल के समय लक्ष्मी जी का पूजन कर ऊँ शुं शुक्राय नम: मंत्र का जाप कर के धारण करें। संतानहीनता,कर्ज की अधिकता और धन के अभाव जैसी समस्या से मुक्ति मिलेगी।

मंगल




मंगल ग्रह को शुभ बनाने के लिए अनंत मूलIndian Sarsaparilla (Hemidesmus indicus))  read more या खेर की जड़ black catechu, read more   को लाल वस्त्र के साथ लाल धागे में डालकर मंगलवार को धारण करें।

आपकी कुंडली में मंगल नीच का होकर कर्क राशि में हो या आप मांगलिक हों तो मृगशिरा नक्षत्र वाले दिन “अनंतमूल अथवा खेर की जड़ “ शुद्धिकरण के पश्चात हनुमान जी की पूजा करके ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप कर के नारंगी धागे से धारण करें। क्रोध,अवसाद और वैवाहिक बाधा से मुक्ति मिलेगी।


गुरु 


                                       

गुरु ग्रह अशुभ हो तो केले की जड़root of banana tree   को पीले कप ड़े में बांधकर पीले धागे में गुरुवार को गले में या दहिने बाजु पर धारण करें।
आपकी कुंडली में यदि गुरु रहु द्वरा युक्त है,राहु द्वारा दृष्ट है या नीच का होकर मकर राशि में है तो शुद्ध और ताजी “हल्दी की गाँठ अथवा केले की जड़ “पीले धागे में, पुनवर्सु नक्षत्र वाले दिन कृष्ण भगवान या बृहस्पति देव जी की पूजा कर के ॐ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करके धारण करें। व्यवसाय,नौकरी,विवाह सम्बन्धी समस्या और लीवर सम्बन्धी रोगों में लाभ होगा।
शनि


शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शमी पेड़ की जड़ को शनिवार के दिन नीले कपड़े में बांधकर नीले धागे में धारण करना चाहिए।


आपकी कुंडली में यदि शनि सूर्य युक्त है,सप्तम भाव में है या नीच का होकर मेष राशि में है तो आप अनुराधा नक्षत्र वाले दिन “बिच्छू या बिच्छौल की घांस अथवा शमी पेड़ की जड़ “को नीले धागे से काली जी की पूजा के पश्चात ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप कर के धारण करें. कार्यों में हो रहे विलम्ब,कानूनी अड़चन और रोगों से मुक्ति मिलेगी।




राहु









कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में हो तो राहु को शुभ बनाने के लिए सफेद चंदन का टुकड़ा नीले धागे में बुधवार के दिन धारण करना चाहिए।


आपकी कुंडली में राहु लग्न,सप्तम या भाग्य स्थान मे है, तथा शुभ ग्रहों से युक्त है तो आप आर्द्रा नक्षत्र वाले दिन “सफेद चंदन का टुकड़ा “शिव जी का अभिषेक कर के भूरे धागे में ऊँ रां राहुए नम: मंत्र का जाप कर के धारण करें। रोग,चिड़चिड़ापन,क्रोध,बुरी आदतों तथा अस्थिरता से मुक्ति मिलेगी।

केतु











केतु से शुभ फल पाने के लिए अश्वगंधा की जड़ नीले या नारंगी  धागे में गले में  गुरुवार के दिन धारण करें।


 आपकी कुंडली में केतु, चन्द्र या मंगल युक्त होकर लग्नस्थ है, तो आप अश्विनी नक्षत्र वाले दिन गणेश जी का पूजन करने के पश्चात शुद्ध की हुई “असगन्ध या अश्वगन्धा की जड़”, ऊँ कें केतवे नम: मंत्र का जाप करने के पश्चात, नारंगी धागे से धारण करें. चर्म सम्बन्धी रोग,किडनी रोगों और वैवाहिक समस्याओं में से मुक्ति मिलेगी।

याद रखें कि समस्या से पूर्ण मुक्ति के लिये, आपको सम्बंधित ग्रहों के मंत्रों का जाप भी प्रतिदिन करना चाहिए।




यहां बताई गईं सभी जड़े बाजार से आसानी से मिल जाती हैं। आमतौर पर ज्योतिष संबंधी सामान के विक्रेताओं के यहां इस प्रकार जड़ें मिल सकती हैं। बड़े बुजुर्गो को भी इन जड़ों की जानकारी हो सकती है। उनसे भी इस संबंध सहायता प्राप्त कर सकते है ह ताकि आपको ये जड़े मिल सके। साथ ही, इन जड़ों को धारण करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए। इन जड़ो को धारण करने से जुड़ा अगर कोई भी प्रश्न आप के मन में है तो आप निसंकोच नीचे दिए नंबर पर सम्पर्क कर सकते है।






                                      English Name                                  English name:

Sun:          Arka               Mudar                    Bael                      Wood apple tree
Moon:      Dhak               Butea                     Khirni                   Ceylon iron wood
Mars:       Khaira             marsh mallow         Anantmool             Indian Sarasaparilla)
Mercury: Apamarga       Prickly Chaff                                      Vidhara Root
Jupiter:    Peepla                                           Peepal tree           Banana root
Venus:     Gular                   cluster fig                                        Sarpankhi root
Saturn:     Shami                  Cikura pod
Rahu:      Durva                   Bermuda Grass                              Sandalwood
Ketu:       Kush 








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Different planets have been associated with different plants

Sun:               Arka

Moon:            Dhak

Mars:             Khaira

Mercury:       Apamarga

Jupiter:         Peepla

Venus:          Gular

Satuen:        Shami

Rahu:           Durva

Ketu:            Kush

Remedies to get relief from sufferings

Sun Planet

 roots of belpatra can be tied in a red cloth  to get relief from troubles. The wood of aank tree is used during hawana. The mantra for afflicted Sun is  “ Om Hram Hreem Hroma Saha Suraya Namah। 7000 times.

Moon Planet

Roots of Khirni plant can be  tied in a white cloth  to get the benefits of Moon. Wood of palash tree is used during hawana .  The mantra for afflicted Moon is  “ Om Shram Shreem Shroma Saha Chandramase Namah।   11000 times.

Mars Planet

Roots of Anantmool plant can be  tied in a red cloth  to get the benefits of Mars. Wood of Khair tree is used during  hawana ceremony.  The mantra for afflicted Mars is “ Om Kram Kreem Kroma Saha Bhomaya Namah।
 10000 times.

Mercury Planet

Roots of Vidhaar plant is  tied with green thread  to get the benefits of Mercury. Wood of Apamarg tree is used during hawana ceremony.  The mantrafor afflicted Mercury is " Om Bram Breem Broma Saha Budhaya Namah"।
 9000 times.

Jupiter Planet

Roots of Banana plant  /is /can be  tied with yellow thread for  the benefits of Jupiter. Wood of Peepal tree is used in  havana  to calm down the bad  effects of malefic Jupiter. The mantra for afflicted Jupiter is
 Om Gram Greem Groma Saha Gurveya Namah।
 19000 times.

Venus Planet

f Sarponkha plant"s root can be used with white   to get the benefits of Venus. Wood of Gular tree is used for havana to slow and quite  down the effects of malefic Venus. The mantra to for afflicted Venus is
 Om Dram Dreem Droma Saha Shukraya Namah।
 16000 times.

Saturn Planet

f Bichu plant"s root can be  tied with black thread  to get the benefits of Saturn.  Wood of Shami tree is used for havana to slow  down the effects of Saturn. The mantra for  afflicted Saturn is
 “ Om Pram Preem Proma Saha Shaneshcharya Namah।
 23000 times.

Rahu Planet

Wood of sandalwood tree must  beused  to get the benefits of Rahu. The color of the thread depends upon the sign in which the Rahu is  situated. Wood of Durva tree is used in havana. The mantra for afflicted Rahu is
"Om Bhram Bhreem Bhroma Saha Rahve Namah।"
 18000 times.

Ketu Planet


Root of Asangadh tree can  be worn to get the maximum  benefits of Ketu. The color of the thread l depends upon the sign in which the Ketuis  situated. Wood of Kush tree is used in havana. The mantra tforafflicted Ketu is
“ Om Sram Sreem Sroma Saha Ketve Namah।
 10000 times.


 botany  &Astrology  are complementary components of  nature. Trees, vegetation and their parts if worshiped or worn or eaten as per or vedas, have the ability to calm down  the ill effects of planets in human life.  tree and plants  planting and  their maintenance  provide environmental protection as well, health, happiness and prosperity to the human beings ,. There are several remedies and uses of plants and their parts mainly roots  ,, in vedic astrology to pacify the ill-effects of afflicted planets planet  in a kundali. 
Some of which are, growing and serving a banyana tree on a highway gives relief from markeyesha Saturn and longevity, or if Jupiter is weak or forms Alpayu yoga due to association with any other planet then the native should plant and serve  peepal tree to get good results. Similarly, medicinal  trres ,plants/ and herbs are also used in astrology to get relief from inauspicious results of malefic planets.
Each plant is associated with some or the other planet that are used  on the native’s body after performing a special ritualsand poojas . These ayurvedic herbs are used to pacify  the ill effects of planets $ surely  destroy the defects of Vastu also

According to astrologers, Yagya is the most important ceremony to calm the planets and achieve their auspicious (mangaljanak } results.

 our leanned rishies,,  millions of years ago,, had identified the plants and herbs that could be  used in yagna in various categories according to their relation with the planets to kill bad effects and to get maximum good effects

Wood used in the yagna is known as Idham.  every wood can  not be used for this ceremony. As per the the  Vayu Purana, wood from teak, ficus, banyan, pipal, fig, sandalwood, cedar etc is considered beneficial for yajna. Dayanand Saraswati have considered the wood of sandalwood. palash and mango tree most beneficial for performing yagna.

to be continued







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