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एक गांव में एक टोपी वाला रहता था ,गाँव गाँव जा कर टोपिया बेचा करता था ,एक बार वो जब वापिस घर जा रहा था ,रास्ते में विश्राम के लिए एक पेड़ के नीचे रुका ,उसे नींद आ गई ,जब वह सो कर उठा ,तो सारी टोपिया गायब थी , उसने इधर उधर देखा कुछ नजर नही आया ,आचनक जब उसने ऊपर देखा तो पाया सारी टोपिया बंदरो के पास है./ उसने सोचा टोपिया वापिस कैसे ली जाये ,उसको अपने पुरखो की बात याद आई की बंदर स्वभाव के नकलची होते है सो उसने अपनी टोपी उतारी ,,बंदरो की तरफ मुँह कर उन्हें हिला हिला कर टोपी दिखाई ,व फिर टोपी जमीं पर पटख दी ,कुछ देर बाद बंदरो ने भी टोपिया नीचे फेंकनी शुरू कर दी ,,टोपी वाले ने टोपिया उठाई ,व मुस्कराते हुए अपने घर चला गया ,,
यह तक की कहानी आप ने कई बार पढ़ी व सुनी होगी अब अब पड़े आगे की कहानी व आनंद उठाये
जब टोपी वाला घर पहुंचा तो उसने अपने बच्चो को सारी कहानी विस्तार से बताई ,किस्मत से उसका एक पुत्र लगभग दस साल बाद जो की टोपियों का ही वयवसाय था। उसी जंगल से गुजर (जा ) रहा था ,थके होने के कारण विश्राम करने की सोची ,और किस्मत का खेल था की उसी पेड़ के नीचे करने लगा झ कभी उसके पिता ने विश्राम किया था ,,,टोपी वाले के बेटे को भी नींद आ गई ,,जब वह उठा ,तो टोपिया अपने स्थान पर नही थी। उसने इधर उधर देखा तो पाया की साडी टोपिया बंदरो के पास है ,कोई उनके सिर पर है ,किसी टोपी से वो खेल रहे है ,,टोपी वाले का बेटा परेशान हो गया ,अचानक उसे उसे आपने पिता की दी सीख याद आई ,,उसने अपनी टोपी उतारी ,बंदरो को दिखा दिखा कर नीचे पटख दी व इन्तजार करने लगा की कब बंदर टोपिया नीचे फेंकेंगे ,,अचानक उसने देखा एक बंदर चुपचाप आया और द्वारा फेंकी टोपी उठा कर तेजी से भाग गया ,उसके वह हैरान रह गया जब बंदरो के मुखिया उससे कहा हमारे पूर्वाज मुर्ख थे हम नही है।
TO BE CONTINUED...........
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टोपी वाला और बंदर की नई कहानी
TO BE CONTINUED...........
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