Esa kuch nhi hai
Nature ने व्यवस्था ही ऐसी की है ,संसार सही ढंग से चलता रहे,
साँप के कछुए के सैकड़ों बच्चें होते है ,लेकिन पूर्ण जीवन 100 में से 10 जीते है ,ये नेचर की व्यवस्था है ,की रेंगने वाले जीव है ,इनको चार पाए और दो पाए वाले जीव खत्म कर देंगे,सो नेचर ने इन्हें शक्ति ऐसी दी कि ज्यादा पैदा करो ,कुछ तो बचे रहेंगे, बाकी खाद्य श्रृंखला का हिस्सा बन जाएंगे,
अब बात आती है पेड़ो की ,
पीपल 100% दिनरात ऑक्सीजन देता है,
बरगद 90%, दिनरात,नीम 75% ऑक्सिजन देता है,
ये तीन लाइफ saver प्लांट्स है,कुदरत को अपने programing से ये पता है कि कब क्या होगा
,उसे पता था कि एक दिन इंसान ,नदिया बर्बाद कर देगा,पहाडो को खा जाएगा,अपने स्वार्थों के लिए ,करोड़ो ac व करोड़ो हीट फेंकने वाली गाड़िया चलेगा, अरबो पेड़ कटेगा,
अपनी कब्र खुद खोदेगा,
पर नेचर सुपर इंटेलिजेंट,
जैसे आप घण्टो सोच कर कंप्यूटर पर एक चाल चलते हो,
पर कंप्यूटर उसी क्षण अपनी चाल चल देता है ,कॉम्प्यूटर को बनाया हमने,हमे पैदा किया नेचर ने ,।नेचर हमारा माँ बाप हौ,
उसकी चाले पहले से decided है ,उसे पता था पेड़ तो ये गाजर मूली की तरह कटेगा इंसान ,अपने बच्चों की भी ,अपनी पीढ़ी की भी नही ,सोचेगा,
सो उसने पीपल ,व बरगद में ,इनके फ्लो में अरबो बीज पैदा हो ऐसी programing कर दी ,ताकि लाख मनुष्य इसे न उगाये ,फिर भी नेचर की प्रोग्रामिंग से ये कंही न कंही उग ही जायेंगे,
इनकी लकड़ी ऐसी बनाई, की इंसान use ही न कर सके ,वरना ये लालची इंसान पीपल बरगद ,नीम भी न छोड़ता,
इनमे दैवीय गुण डाले, ताकि लोग इनको काटे, न ,अपितु इन्हें बचाये,
नेचर की उसी प्रोगरामिंग की वजह से ये पौधे कंही भी उग जाते है,
इनका उगना शुभ है ,पितर खुद आते है और कहते है पेड़ के रूप में की मुजे सही जगह रोपित करो ,मुजे बड़ा करो,प्रकृति व पितरो के प्रति अपना धर्म निभयायो,
धन्यवाद
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