Sunday 26 May 2024

बाग में जाने के कुछ उसूल होते हैं

बाग  में जाने के कुछ उसूल होते हैं
फूल से तितली को ना उड़ाया जाए 
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यू कर ले 
किसी रोते  हुए बच्चे को हसाया जाये  
my originals 26/5/24
c.d.&.c by ritesh nagi

       इसी तरह ऐसे दोस्ती  व प्यार  के भी कुछ उसूल होते है 
हो गयी है गर छोटी सी तकरार  तो 
खामखां  में मुँह न सुजाया  जाये 
अगर लग गयी है किसी को किसी की बात बुरी 
तो उस बात का बतंगड़ न बनाया जाये 

सब को सब कुछ हासिल हो ये जरुरी तो नहीं 
जो हासिल है उस का खुल कर  लुतफ उठाया जाये 
में ही वो शख्स  हु जिसकी थी तलाश तुजे 
 इस वहम को अब ही  से मिट्या जाये 
   
 में तेरे काबिल हु या नहीं ये किसको पता 
तेरे वजूद को क्यों न तुजसे वाकिफ कराया जाये 
में तुजसे  मिलु या न मिलु ये नहीं है मसला 
चल आज तुझको तुजसे ही मिलाया जाये 
तू नरगिस है नजम है खूबसूरत नगमा है 
क्यों न तुजko सारे  आकाश me गुनगुनाया जाये 
 
मेरी हो न हो ,में  रहु न रहु, कोई बात नहीं 
तेरी हर बात को क्यों न सजदे में सजाया जाये 
तेरा आना तेरा मिलना मुकदर की बात सही 
क्यों न तेरा न मिलना भी मुकदस बनाया जाये 
मिलना और मिल कर  बिछड़ना है जगत की रीत  यही 
क्यों न ,ना  मिल कर   बिछुड़ने का दसतूर ही मिटाया जाये 











to be editied 


Ishi trha dosti va pyaar ke kuch usul hote hai
Khamkha me muh na sujaya jaye , 
Agar lg gyi hai kisi ko kisi ki  koi baat buri 
To us baat ka batangr na bnaya jaye , 
Sb ko sb kuch hasil ho ye jaruri to nhi
Jo hasil hai uska khul ke lutf utaya jaye
Me hi vo shakas hu jiski thi talash tuje 
Is veham ko ab hi se mitaya jaye 

Me tere kabil hu ya nhi kisko pta 
Tere vajud se kyo tujko vakif na kraya jaye
Me tujse milu ya na milu ,ye nhi hai masla 
Chl Aaj tujko tujse hi kyo na milaya jaye

Tu Nargis hai najam hai khubsurat nagma hai
Kyo na tujse sare aakah ko sajaya jaye
Meri ho na ho rhevna rhe koi baat nhi 
Teri hr baat ko sajde me sajya laya  jaye
Tera milna mukdr ki baat shi 
Tera na milna bhibkyo na mukdas bnaya jaye 
Milna mil kr bichdna hai reet yhi
Kyo na na mile na mil ke bichdene ka dastur mitaya jaye
में मेरा वजूद  हस्ती मेरे म्मायने मायने नहीं रखते 
 तू तेरा वजूद तेरी हस्ती तेरे मायने  इक नियामत है 
चारो तरफ बिखरा रहे नूर तेरा
हवा में सुगंध तेरी  रहे फैली 
सिर्फ   से निभाया जाये