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Saturday, 25 February 2017

नवग्रह कवच ( jyotish) Armour for nine planets

नवग्रह कवच       
                                                                नग्र च 
                      Armour for nine planets
      
                                                        (my originals )
                                                                                                    C.D&.C by Ritesh Nagi
                                                                                  9811351049 

        जो हमारे शरीर में है,वही सब ब्रहमांड में है। All that is outside you is with in you ."यत  पिंडे तत                  ब्रह्माण्डे "
 हमारे ऋषि मुनियो ने गहन चिंतन,मनन (deep consideration),से। अपनी गहन खोजो ,गहन  ज्ञान,          अपने देवतायो से प्राप्त ज्ञान की शूक्ष्मता को  इस विधि वत तरीके से हम तक पहुँचाया की बार बार उन्हें प्रणाम करने को जी चाहता है। किस प्रकार 9 ग्रह ,12 राशिया ,व 27 नक्षत्र ,हमारे भूत व भविष्य   को अपने अंदर समेटे रखते है। ग्रह ,12 राशिया ,व 27 नक्षत्र ,हमारे भूत व भविष्य को किस प्रकार प्रभावित कर  सकते है ,कैसे उन प्रभावो से बचा जा सकता है। जिस प्रकार ये 9 ग्रह ,12 राशिया ,व 27     नक्षत्र   ब्रहमांड में स्थित है ठीक  उसी प्रकार से यह हमारे शारीर  में भी स्थित है। यह ग्रह हमारे  जीवन           को  आर्थिक    ,सामाजिक ,व मानसिक रूप से कैसे प्रभावित करेगे ,,शरीर को किस प्रकार ,किस समय ,किन रोगों से  प्रभावित करेगे ,मानव का रूप ,रंग , काया , लिंग केसा , होगा  ,सभी कुछ ,इन 9 ग्रह  ,12 राशिया ,व 27 नक्षत्र ही निर्धारित करते है।
                                to be continued














इस नवग्रह कवच का रोज पाठ  करने से आप निश्चित रूप से महसूस करेगे   की  जो ग्रह आपको तंग कर रहे थे ,कुछ तो शांत अवश्य हुए है। वास्तव में यह सबसे आसान ,व सीधा ,सरल उपाय है सभी ग्रहो को शांत करने का ,व डोंगी लोगो के द्वारा फैलाये हुए जालो  से बचने का। यह भी हो सकता है की नेट पर आप को यह कंही न मिले ,क्योकि मुझे तो यह   प्राचीन पुस्तक से मिला है . 
                                                                           (my originals )
                                                                                                    C.D&.C by Ritesh Nagi
                                                                                  9811351049 




Wednesday, 22 February 2017

अब कोई ग्रह आपको तंग नही करेगा (jyotish) greh dosh nivaran


अब कोई ग्रह आपको तंग नही करेगा (my originals )
                                                                                            C.D&.C by Ritesh Nagi
                                                                           9811351049 




  अगर आप इन कामो को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना ले तो कोई ग्रह आपको तंग नही करेगा,
           इस बात का यह मतलब नही है की जिंदगी में कोई परेशानी नही आएगी ,,आएगी पर चमत्कारी  रूप से   या तो वह  आपको उतना तंग नही कर  पायेगी जो वह  कर सकती थी  । 
      आपकी बहुत सारी  समस्याये  हल होनी शुरू हो जाएगी ,,,,,आपको ऐसा  लगेगा की कोई अदृश्य शक्ति
            आपकी मदद कर  रही है। इन बातो के अलावा  भी अगर संभव तो निचे दिए कुछ कार्य भी अवश्य करे। 



 


1.  पीपल पर हर रोज जल चढ़ाये ,यदि रोज संभव न हो तो शनिवार को जल भी चढ़ाय 
      व शाम  के   समय  शनिवार को  पीपल के वृक्ष  के नीचे  दिया जरूर जलाये। 
            

2 .  शिवलिंग पर हर रोज जल चढ़ाये ,यदि रोज संभव न हो तो जब भी संभव हो यह कार्य करे. 


3. किसी भी जानवर को कभी भी न सताए ,,भूल कर  भी नही। 


4 . किसी भी व्यक्ति के साथ बुरा  बर्ताव नही करे। 


5 . जल को बिलकुल भी ,,बिलकुल भी बर्बाद न करे ,



6 अपनी ग्रहस्थी को जितना कलेशो  से दूर रखेगे उतनी ही घर  में समृद्धि आएगी। 

7 नवग्रह कवच का पाठ  रोज करे।     ↪ (LINK)  नवग्रह कवच ( jyotish) Armour for nine planets

8 ARTIFICIAL नकली आभूषण भूल कर  भी नाक,कान,गले में  न डाले।

9  बाल खुले न रखे इससे घर में  अशांति बढ़ती है  समृद्धि घटती है।

10 भूल क्र भी कमर के निचे सोना न पहने ,पैरो में तो गलती,गलती से भी नहीं ,वार्ना उसी क्षण से बर्बादी
      शुरू हो जाएगी।

11  गहरे हरे ,नीले  व काळा कपड़ो से जितना परहेज करोगे   उतनी ही जीवन में सुख समृद्धि व शांति आएगी।

12 गायो की से करे ,केतु के लिए काली गाये की सेवा करे। शुक्र के लिए सफ़ेद ,ब्रस्पति के लिए भूरी गाये की।

13  कुत्तो की सेवा करे

14 ,मंदिर जब बी जाये केले ले कर जाये ,केतु को शांत करने के लिए 43  दिन तक रोज ,३ केले मंदिर में रखे

15 कला सफ़ेद कंबल जब भी संभव हो ब्रेससपति या शनिवार नहीं तो कभी भी मंदिर या गरीब को दान दे। ..

16 बरगद के पेड़ पर जल में बहुत थोड़ा दूध व दो दाने  चीनी के डाल  कर नियमित चढ़ाये व गीली मिटी से माथे पर तिलक लगाए। .

17  चमड़े की जूती ले क्र किसी गरीब को दान दे।




we all in the world know about the nine planets which rule our lives which control our lives and  when we are in some trouble we seek astro help and astrologer instead of cutting our fear and trouble  they start putting fear in us how  ....astrologer says this planets is not good in your horoscope, other is from that corner seeing you with red eyes ,,,, but our ancestors were very clever perhaps they knew this will happen one day so they from the spiritual books  gave us the simplest and easiest way to keep calm and cool the trouble shooting planets.what we are to do is the add reading,,and chanting of nav  grah kawach  (nine planet armour) in your daily prayer.






















Sunday, 19 February 2017

पाप का फल किसके खाते में डालू / KARMA PHILOSOPHY

                      KARMA PHILOSOPHY
                पाप का फल किसके खाते  में डालू 
 

 बार एक यश्स्वी राजा एकब्राह्मणों को  महल के बहुत बड़े  आँगन में  भोजन करा रहा था । व  
राजा के  रसोइये  महल के  उसी  आँगन में भोजन पका रहे  थे  ।
ठीक  उसी समय एक चील अपने पंजो  में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजर रही थी। 
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी बचाव  के लिए  चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला । 
तब रसोइये  जो की  लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहे थे , किसी को जरा सा  भी  पता नहीं चला की , उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई  है ।

अतः  वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मृत्यु  हो गयी ।
अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख व संताप  हुआ ।
अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईये  .... जिनको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है .... 
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....

बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका (Pending) रहा ....


फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।

उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया परन्तु  रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई ....जरा ध्यान रखना अपना वंहा पर  .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।"

बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला (decision) ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।


यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों ??

जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका (role) भी नहीं थी ।
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला .... ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के  भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । साथ ही उस महिला को तो सच्चाई नही पता ना की वास्तव में हुआ किआ ,बिना सच जाने वह राजा को दोष कैसे दे सकती हे।  इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।

बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव व बिना बात की तह (डेप्थ ) तक जाये  से (बुराई) करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं ।


अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??


ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं ....


इसलिये आज से ही संकल्प कर लें कि किसी के भी और किसी भी पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से कभी नहीं करना यानी किसी की भी बुराई या चुगली कभी नहीं करनी हैं । 

लेकिन यदि फिर भी हम ऐसा करते हैं तो हमें ही इसका फल आज नहीं तो कल जरूर भुगतना ही पड़ेगा। KARMA PHILOSOPHY
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कमाल /

                 कमाल 
         एक गांव के बाहर एक सिद्ध साधु रहता था ,  उसके द्वार से कभी कोई निराश नही लोटता था,  उसी की झोपड़ी के बाहर उसी का एक सेवक रोज  सारा  दिन साधु की कुटिया के बाहर बैठा रहता ,जो सेवा उसके हिस्से आती ,उसे चुप चाप कर देता ,कभी किसी से कुछ नही कहता ,जो खाने को मिलता खा लेता नही मिलता तो चुप चाप सेवा करता रहता ,उसकी सेवा बेमिसाल थी। उसी गांव की एक औरत की शादी को की साल हो गए थे। उसके यहाँ कोई बच्चा नही था ,काफी सालो से वह साधु महाराज के पास भी आशीर्वाद लेने जाती थी परन्तु वहाँ से भी हर बार निराश ही लोटती थी. इस बार उसने ठान लिया की वह साधु से बच्चा होने का आशीर्वाद ले कर ही लौटेगी।  वह साधु के पास गई खूब गिडगडाई ,आप सभी  की झोली भरते हो मुझे भी अपने खजाने में से एक पुत्र दे दो। साधु को उस पर दया आई उसने अपने भगवान का धयान लगाया ,काफी देर बाद जब उसने आँखे खोली ,तो उसके चेहरे पर घोर निराशा थी ,,,उसने कहा पुत्री में तुम्हे आशीर्वाद नही दे सकता ,,मेने प्रभु से बात की है ,,उन्होने कहा  है इस जन्म में यह  नही हो सकता  है। पुत्री मुझे माफ़ कर दो। वह हार कर बुरी तरह से रोती हुई बाहर  की तरफ चल पड़ी। जब वह रोती  हुई जा रही थी तो उस सेवक ने जो हर रोज वहां बाहर बैठा रहता था ,उसे रोक कर पूछा ,बहन किओ इतना रो रही हो ,उसने  रोते  हुए उसे सारी  बात बताई। न जाने उस सेवक के मन में किआ आया,उसने उसे कहा  जा जल्दी ही तेरी गोद में पुत्र खेलेगा। वह रोती हुई वहां से चली गई ,,लगभग  एक साल बाद वह जब अपने पुत्र के  साथ साधु यहाँ माथा  टेकने व बच्चे को आशीर्वाद दिलवाने के लिए आई तो साधु भी हैरान रह गया ,,उसने उससे पूछा यह कैसे संभव हुआ,,,क्योकि मुझे तो सवयं प्रभु ने कहा था की तुम्हारी गोद नही भरी जा सकती है ,,,उस औरत ने कहा  महाराज मुझे किया पता में तो रोते हुए जा रही थी ,,तो जो आप के बहार वो जो सेवक हमेशा चुपचाप बैठे रहते है उन्होने कहा था रो मत,, अगली बार जब तू यहाँ आएगी तो पुत्र के साथ आएगी ,, बस  महाराज और यह में अब यहाँ  अपने खुद के पुत्र के साथ माथा टेकने व आशीर्वाद लेने आई हु।  साधु बहुत ही हैरान हुआ ,उसने बच्चे व उसकी माँ को आशीर्वाद दिया ,जब वह औरत वहाँ से चली गई तो साधु फिर से अपने ध्यान कक्ष में गया ,प्रभु का धयान लगाया ,प्रभु  से जब बात होनी शुरू हुई तो साधु ने पूछा प्रभु  मेने  आप को उस औरत को बच्चा देने के लिए कहा तो आप ने मुझे कहा इस जन्म में उसे बच्चा नही हो सकता फिर आप ने उस की गोद अब कैसे भर दी और मुझे झूठा साबित करवा दिया।   … तब प्रभु  ने कहा नही ऐसी बात नही है जब मेने तुम्हे कहा था बच्चा नही  हो सकता वह बात सच  थी. लेकिन  जब वह औरत रोती हुई जा रही थी तो तुम्हारे बाहर बैठे उस सेवक उसे कह  दिया जा तेरे बेटा हो जायेगा ,,तो मैं खुद परेशान हो गिया में कब से इन्तजार कर रहा था की तेरा वो सेवक कुछ मांगे और में उसे दू  अब उसने माँगा भी तो उस औरत के लिए तो मुझे कुछ फरिश्ते भेज कर उस औरत के शरीर में गर्भ बनवाना पड़ा जो की उसके नही था ताकि तेरे वा  मेरे उस सेवक की वो बात पूरी हो सके जो उसने पहली बार मुझसे मांगी है। में कब से तरस रहा था उसे कुछ देने के लिए। …। to be continue
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कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है






orignal                         कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है

  एक बहुत ही यशस्वी राजा था। वह अपने हर कार्य में सर्वश्रेस्ट था। प्रजा का खूब ध्यान रखता था ,उन्हें कभी भी किसी भी  बात के लिये तंग नही करता था,धर्मत्मा व दयालु था ,,उसकी एक आदत यह भी थी की वह सप्ताह में एक दिन गोशाला की सफाई ,गायों को नहलाने  का कार्य भी स्वयं  ही करता था ,एक बार वह गोशाला में अपने कार्य में लगा हुआ था ,,तबी एक साधू भिक्षा मांगता हुआ गोशाला तक आ गया ,उसने राजा से भिक्षा मांगी ,राजा अपने ध्यान में मग्न सफाई कर रहा था, शायद कुछ खिजा भी हुआ था ,उसने दोनों हाथो से उठा कर गोबर साधु की झोली में डाल दिया ,साधू  आशीर्वाद देते हुए वंहा से चला गिया ,,.राजा को कुछ देर बाद अपनी गलती का एहसास हुआ ,राजा ने सैनिको को साधु को ढूढ़ने के लिए भेजा परन्तु साधु नही मिला।

                 इस बात को ना जाने कितना समय बीत गया ,,एक बार राजा शिकार करने जंगल में गया हुआ था ,खूब थकने पर वह पानी की तलाश में भटकते भटकते  एक कुटिया के बाहर पहुंचा ,, कुटिया के अंदर झांकने पर उसने देखा वहां एक साधु धयान में मग्न बैठा था ,वहीं उसके पास एक खूब बड़ा गोबर का ढेर लगा हुआ था ,राजा अचंभित व परेशान हो कर सोचने लगा की साधु के चेहरे का तेज कितना अधिक है, पर यह गोबर का ढेर  क्यों है यहाँ ,,,राजा साधु के पास गया ,प्रणाम किआ ,जल माँगा व पिया ,और पूछा साधू से ,अगर आप बुरा ना  माने तो क्या में जान सकता हु की आप के चेहरे का तेज कहता है की आप एक तपस्वी है ,,फिर आप की कुटिया में इतनी गंदगी किओ है ,साधू ने कहा राजन हम जीवन मै जो कुछ बी जाने या अनजाने ,अच्छा या बुरा करते है वह हमें इसी जन्म में या अगले जनम में की गुना हो कर मिलता है ,यह गोबर भी किसी दयालु ने दान में दिया है,राजा को झटका लगा और सारी घटना कई  की साल पहले की स्मरण हो आई।
                               राजा ने साधू से क्षमा मांगी व प्रायश्चित का मार्ग पूछा ,साधु ने कहा राजन इस गोबर को तुम्हें खा कर समाप्त करना है ,,इसे जला कर राख में बदल लो व थोड़ा थोड़ा खा कर समाप्त करो ,राजा ने कहा
    साधु महाराज कोई और उपाय बताये क्योकि थोड़ा थोड़ा खा कर समाप्त करने में की वर्ष बीत     जायेगे ,साधु ने कहा राजन और उपाए तुम कर नही पाओगे ,राजा अड़ गया तो साधु ने कहा 
    राजन कोई कार्य ऐसा करो की तुम्हारी चारो कुंठो में बदनामी हो , इस से इसी जन्म में       तुम्हारे इस कार्य का कुछ तो भार अवश्य ही कम हो जायेगा ,,राजा महल में गया बहुत सोचने     के बाद अगले दिन सुबह उसने राज्य की सबसे सुंदर वेश्या को बुलाया ,वह खूब सजदज कर   आई ,राजा उस वेश्या को ले कर रथ पर पूरे  राज्य का भर्मण करने निकल पड़ा ,,जिसने भी राजा  वेश्या के साथ देखा वह आचम्भित रह गया ,,व साथ ही थू थू करने लगा ,,प्रजा कहने लग पड़ी  लगता है राजा का दिमाग खराब हो गया है.,,,,राजा ने इस प्रकार की महीनो तक किया ,काफी दिन घूमने के बाद राजा जब  गोबर के ढेर के   को देखने गया तो उसने पाया अब वहां केवल शायद उतना ही गोबर रह गया है जो उसने साधु को दिया था,, वह और भी कई  दिनों के उसी प्रकार के कार्य के बाद भी समाप्त नही हो रहा था। ।अचानक एक दिन साधु महल में आया उसने राजा से कहा राजन यह तो मूल है इसे तो तुम्हे खा कर ही समाप्त करना पड़ेगा ,,राजाने उस गोबर को राख में बदला व खा कर  समाप्त किया। 
 शिक्षा :   हमे अपने किये हर कर्म का फल हर हाल में भुगतना पड़ता है। 
          
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Friday, 17 February 2017

दान दिया तेरा इक दान फल देगा तुझको मनमाना


                                astro            jyotish        coaching               kid's story            Best home remedies




                                      दान दिया तेरा इक दान फल देगा तुझको मनमाना 


एक बहुत ही तपस्वी  यशस्वी  राजा था. वह निसंतान था,, उसने बहुत पूजा-पाठ तपस्या की परंतु उसे संतान प्राप्त नहीं हुई...... एक बार अचानक कहीं से घूमते हुए एक पहुंचे हुए फकीर उसके महल में आए राजा ने उसकी खूब आवभगत की ,,,,जिस समय  फकीर महल से जाने लगा तो उसने राजा से  से कहा कि अपनी कोई इच्छा बताओ,,,,,,, राजा ने उसे अपने मन की परेशानी बताई तो फकीर ने उसे कहा कि राजन कल सुबह तुम अपने महल के बाहर घूमने निकलना,,,,,,, जो भी व्यक्ति तुम्हें सबसे पहले दिखाई दे उससे भिक्षा मांगना,,,,, वह  तुम्हें जो भी  दे उसे लाकर अपने पूजा के स्थान पर रख देना,,,,,,, जल्द ही तुम पर प्रभु की कृपा होगी और तुम संतान प्राप्त करोगे,,,,,,,,,


 दूसरी तरफ एक भिखारी काफी दिन से काफी परेशान था भिक्षा  में कुछ खास प्राप्त नहीं हो रहा था....... जिस दिन सुबह राजा ने भिक्षा मांगने के लिए घर से निकलना था,,,,, उस दिन वह भिखारी भी अपने घर से अपने भगवान के आगे प्रार्थना करके कि आज अच्छी भिक्षा दिला देना  घर से निकला    ..... वह अभी अपने घर से कुछ दूर ही गया था कि उसने दूर से देखा कि राजा अपने दल बल के साथ आ रहा है उसने अपने मन में सोचा आज का दिन लगता है काफी अच्छा निकला है आज लगता है खूब  भिक्षा मिलेगी हो सकता है राजा ही खूब दान दे दे,,,,,,,,, भिखारी की एक आदत थी कि जब भी वह घर से भिक्षा लेने के लिए निकलता था,,,, तो अपने झोले में कुछ ना कुछ घर से लेकर ही निकलता था,,,, उस दिन भी वह एक मुट्ठी चावल घर से लेकर निकला था,,,,,  एक तरफ से राजा का दल  बल आगे बढ़ रहा था दूसरी तरफ भिखारी घर से निकल पड़ा था,,,,,,,, राजा की नजर भीखारी पर पड़ी  ठीक उसी समय भिखारी की नजर राजा पर पड़ी भिखारी ने देखा कि राजा उसी की तरफ बढ़ा चला आ रहा है...... वह रुक गया,, राजा अपने घोड़े से उत्तरा वह भिखारी की तरफ चलना शुरु कर दिया,,,,,,, भिखारी सोचने लगा कि या तो आज मौत की सजा मिलेगी जो मैं राजा के रास्ते में आ गया हूं या फिर इतनी दान-दक्षिणा मिलेगी कि मेरा जनम जनम के दरिद्रता मिट जाएगी,,,,, राजा जैसे ही भिखारी के पास पहुंचा उसने दोनों हाथ भिखारी के सामने जोड़ दिए////// भिखारी के तो होश उड़ गए उसे लगा कि शायद वह सपना देख रहा है..... राजा ने उसके सामने अपनी झोली फैला दी और कहने लगा हे उत्तम पुरुष मुझे कुछ दान  दीजिए...... भिखारी सोच में पड़ गया यह मैं आज किसका मुंह देख कर घर से निकला हूं,,,,, लगता है यह राज्य अब छोड़ना पड़ेगा यहां तो दान देने वाले ही भिक्षा मांग रहे हैं..... उसने अपने आप को संभाला इधर राजा ने फिर से कहा उत्तम पुरुष मुझे कुछ दान दीजिए भिखारी ने अपना हाथ झूले में डाला और मुट्ठी में चावल भर लिए जैसे ही देने लगा उसके मन में विचार आया की राजा अगर कुछ मांग रहा है तो कोई वजह रही होगी और मेरे पास केवल एक मुट्ठी चावल ही है और राजा को क्या पता कि मेरे पास क्या है,,,,,, मैं अगर आदि मुट्ठी भी दूंगा तो राजा को पता नहीं चलेगा...... क्योंकि भीखारी नहीं जीवन में लेना ही लेना सीखा था देना नहीं सीखा था इसलिए अपने ही विचारों में खोया आदि मुट्ठी से 1 दाने चावल पर पहुंच गया और उसने वः एक दाना  निकाल कर वह राजा की झोली में डाल दिया,,,,,,,,,,,, राजा ने उसे प्रणाम किया वह अपने रास्ते आगे बढ़ गया........  उधर भिखारी  अपने आप को कोसता हुआ घर वापिस चला गया,,,,, घर पहुंच कर उसने सारी घटना अपनी पत्नी को बताई और बोला,,,,,, अब इस राज्य में नहीं रहना यहां तो देने वाले ही मांगने लग पड़े हैं,,,,,,,, थोड़े से चावल थे उनमें से भी एक दाना राजा ले गया,,,,,, और अपनी पत्नी से बोला इन चावलों को बना,,,खाते हैं और  इस राज्य को छोड़ देते हैं,,,,,, पत्नी ने चावल प्लेट में डालें जैसे ही उसने चावला पर नजर डाली वह हैरान रह गई उसमें एक दाना सोने का था,,,,, उसने वह दाना अपने पति को दिखाया,,,,,  भीखारी अपने आप  को और  कोसने लगा की अगर मैंने आधे  चावल दान दे दिए होते तो आज सारे दाने सोने के हो गए होते,,,,,,,,,, कुछ समय बीता राजा के यहां संतान हुई//// राजा ने अपने सैनिकों की मदद से उस भिखारी को  ढूंढा वह उसे मालामाल कर दिया,,,,,,,,,,

                                                                                                                   to  be continued ...... 



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Friday, 4 September 2015

othe amla te hone ne nebere ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े

                                           सूफी हीरे मोती 

पढ़ी नमाज ते रियाज़ न सिखया , तेरिया  किस  कम पढ़िया  नामाजा 
     ना  घर दीठा ना घरवाला  दीठा  , तेरिया किस कम कितिया नियाज़ा 
    इल्म  पढ़या ते अमल ना कीता ,तेरिया किस कम कितिया काजा 
    ,बुल्ले शाह पता तद लगसी जद ,चिड़ी  फसी हथ बाजा 

 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी   तेरी जात पुछणी  
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी   तेरी जात पुछणी    
          
         जूठे मान तेरे जूठे सब चेहरे    
         किसे नइ तेरी बात पूछनी 
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी  तेरी जात पुछणी 
            जो घड़या सो भजना इक दिन ,जो बण्या  सो ढेणा 
           आखिर छड्ने महल मीनारे ,बैठ सदा नही रहणा 
            चार दिना डा मेला   ऐहते बोती देर नही बैणा
           जो बीजेगा  सादक झल्या ओहि वडणा   पैणा 
          जोवी छेडा सादक चल्या ,ओहि मनणा   पैणा 

   ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
    ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी  तेरी जात पुछणी 
            कोल नइ बैणा बैन बरावा पल विच जा दफ़नाणा  
            टूर जाणा तेनु सब ने छड  ,बोता  चिर नइ लाणा 
             मुक जाणे सब जेणे तेरे  हेठ मिटी जद औणा 
             उस दिन सादक रुसे नु तेनु  किसे  नी  औंण मनाणा 
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
           तेनु मोडा देके टोरना जहान ने 
            तेनु मोडा देके टोरना जहान ने 
           आणा मिटी थले तेरी ऊची शान ने 
           सुचे (सुजे )  छड के तू टुर जाणा वेड़े 
                          सूफी हीरे मोती 

 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी  तेरी जात पुछणी 
            जो घड़या सो भजना इक दिन ,जो बण्या  सो ढेणा 
           आखिर छड्ने महल मीनारे ,बैठ सदा नही रहणा 
            चार दिना डा मेला   ऐहते बोती देर नही बैणा
           जो बीजेगा  सादक चल्या ओहि वडणा   पैणा 
          जोवी छेडा सादक चल्या ,ओहि मनणा   पैणा 

   ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
    ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी  तेरी जात पुछणी 
            कोल नइ बेणा बैन बरावा पल विच जा दफ़नाणा  
            टूर जाणा तेनु सब ने छड  ,बोता  चिर नइ लाणा 
             मुक जाणे सब जेणे तेरे  हेठ मिटी जद औणा 
             उस दिन सादक रुसे नु तेनु  किसे  नी  औंण मनाणा 
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े ,किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
           तेनु मोडा देके टोरना जहान ने 
            तेनु मोडा देके टोरना जहान ने 
           आणा मिटी थले तेरी ऊची शान ने 
           सुचे छड के तू टुर जाणा वेड़े 
             किसी न तेरी जात पुछणी 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी 
         झूठे मान ते आकड़ तेरी झुठिया  तेरियाँ  बाता 
         गल्ला नाल बनावे पल विच दिना नु कालिया राता 
        झूठे महल मनारे तेरे झुठिया  तेरियाँ जाता 
       अमला बाजो सादक उथे किसे न लेणिया बाता 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
       किसे कोल घड़ी भर ना खलौणा ए 
       किती आपणी  नु सारेया ने रोणा ए 
     होणे वखो वख संगी साथी जेड़े 
       , किसी न तेरी जात पुछणी 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
           पंछी वांगो उड़ जाणा ए इक दिन मार उडारी 
          कदर ऊना दी पैणी  उथे अमल जिना दे भारी 
          हर शे  छडणी पैणी बन्दया जान तो जैणी प्यारी 
          अज टुरया कोई कल टुर जाणा सादक वारो वारी  
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
           वे  बोल जबान तो बोल चंगा ,मिठे बोल दा जग असिर  हुँदा  
           मंदा बोल कदे मुओ कडिये न , मंदा बोल सजना तिखा तीर हुँदा 
           इक बोल जहान विचो रब दिंदा ,इक बोल मेरा अक्सीर हुँदा 
         चंगे बोल दे बोल्या शान ऊचा ,चंगे बोल दा चंगा अखीर हुँदा   
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
        किसे  नइ  तेरी जात पुछणी 
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
        किसे रोंदे  हसाया ई दस ना 
       किसे भुखे नु रजाया ई ते दस ना 
       राह चो कदे रोणे नु हटाया ई  दस ना 
       कदे जख्मी किसे दा फट नइ सीता 
       ऐवे  फिर कख नही कीता
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी
          किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी 
         झूठे मान ते आकड़ तेरी झुठिया  तेरियाँ  बाता 
         गल्ला नाल बनावे पल विच दिना नु कालिया राता 
        झूठे महल मनारे तेरे झुठिया  तेरियाँ जाता 
       अमला बाजो सादक उथे किसे न लेणिया बाता 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
       किसे कोल घड़ी पल  ना खलौणा ए 
       किती आपणी  नु सारेया ने रोणा ए 
     होणे वखो वख संगी साथी जेड़े 
       , किसे  नी तेरी जात पुछणी 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी 
           पंछी वांगो उड़ जाणा ए इक दिन मार उडारी 
          कदर ऊना दी पैणी  उथे अमल जिना दे भारी 
          हर शे  छडणी पैणी बन्दया जान तो जैणी प्यारी 
          अज टुरया कोई कल टुर जाणा सादक वारो वारी  
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
           वे  बोल जबान तो बोल चंगा ,मिठे बोल दा जग असिर  हुँदा  
           मंदा बोल कदे मुओ कडिये न , मंदा बोल सजना तिखा तीर हुँदा 
           इक बोल जहान विचो रब दिंदा ,इक बोल मेरा अक्सीर हुँदा 
         चंगे बोल दे बोल्या शान ऊचा ,चंगे बोल दा चंगा अखीर हुँदा   
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
        किसे  नइ  तेरी जात पुछणी 
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी    तेरी जात पुछणी 
        किसे रोंदे  हसाया ई दस ना 
       किसे भुखे नु रजाया ई ते दस ना 
       राह चो कदे रोणे नु हटाया ई  दस ना 
       कदे जख्मी किसे दा फट नइ सीता 
       ऐवे  फिर कख नही कीता
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी
        राह छडया बयानकदारी  दा 
        वल दसे चोरी  चकारी ,यारी दा 
        कर नास न नेको करी दा 
       नेका नु बदी सिखावे तू 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी
       लुक लुक के सौदे करना ये 
      बिन मेहनत बोझे भरना ये 
      पर ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी
          ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी
    लुक लुक के सौदे करना ये 
    बिन मेहनत बोझे भरना ये 
   सादा नु चोर बनावे तू 
   तू न अल्ला कोलो डरना ये 
 पर 
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी
 ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी
   पहले अमला दी खुलणा  किताब ने 
    पहले अमला दी खुलणा  किताब ने 
   पहले अमला दी खुलणा  किताब ने 
    पहले अमला दी खुलणा  किताब ने 
वेखे जाणे फिर सबदे हिसाब ने 
सादक आपो आप होणे  ने नाखेणे
   किसे  नी  तेरी जात पुछणी
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी
     पहले अमला दी खुलणा  किताब ने 
      वेखे जाणे फिर सबदे हिसाब ने 
      वेखे जाणे फिर सबदे हिसाब ने 
      वेखे जाणे फिर सबदे हिसाब ने 
      वेखे जाणे फिर सबदे हिसाब ने 
 किसे  नी  तेरी जात पुछणी
ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी  तेरी जात पुछणी

ओथे अमला ते होणे ने नाबेड़े , किसे  नी   तेरी जात पुछणी



bulleh shaw

                                                               bulleh shah










चढ़दे सूरज ढलदे देखे... बुझदे दीवे बलदे देखे।
हीरे दा कोइ मुल ना जाणे.. खोटे सिक्के चलदे देखे।
जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुतर पलदे देखे।
उसदी रहमत दे नाल बंदे पाणी उत्ते चलदे देखे।
लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पथर गलदे देखे।
जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, हथ खाली ओ मलदे देखे ....
पैरां तो नंगे फिरदे, सिर ते लभदे छावा,

मैनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुकर मनावा ....
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मके गया गल मुकदी नाही


मके गया गल मुकदी नाही

पावैं सौ सौ जुम्मे पढ़ाइये

गंगा गया गल मुकदी नाही

पावैं सौ सौ गोते खाईय

गया गया गल मुकदी नाही

पावैं सौ सौ पंड परढ़ाईय

बुल्लेह शाह गल ताइयों मुकदी

जदो में नु दिलो मुकाइये


पढ़ पढ़ आलम फ़ाज़ल होया

कदे आपणे आप नु पढ़या ई नइ

जा जा वरणा ए मंदिर मसीता

कदे मन आपणे विच वरणा इ नइ

ऐवें इ रोज़ शैतान नाल लड़ना ए

कदे नफ़्स आपणे नाल लड़या इ नइ नफ़्स ego,self,lust,मन ,अहंकार

बुल्लेह शाह आसमानी उड़निया फड़ना ए

जेड़ा घर बैठा ए ऊनु फड़या ई नइ

सिर ते टोपी ते नियत खोटी

लेणा की टोपी सिर तर के

चिले किते पर रब ना मिल्या Tasbih is Mala in Hindi माला

लेणा की चिल्या विच वड़ के

तस्बीह फिरि पर दिल न फिरया

लेणा की तस्बीह हथ फड़

बुल्लेहा जाग बिना दुध नही जमदा

पावें लाल होवे कड़ कड़ के




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बुल्ला की जाना मैं कौन

ना मैं मोमन विच मसीतां न मैं विच कुफर दीयां रीतां
न मैं पाक विच पलीतां, न मैं मूसा न फरओन
बुल्ला की जाना मैं कौन

न मैं अंदर वेद किताबां, न विच भंगा न शराबां
न रिंदा विच मस्त खराबां, न जागन न विच सौण
बुल्ला की जाना मैं कौन
न मैं शादी न गमनाकी, न मैं विच पलीती पाकी
न मैं आबी न मैं खाकी, न मैं आतिश न मैं पौण
बुल्ला की जाना मैं कौन
न मैं अरबी न लाहौरी, न मैं हिंदी शहर नगौरी
न हिंदू न तुर्क पिशौरी, न मैं रेहदंा विच नदौन
बुल्ला की जाना मैं कौन

न मैं भेत मजहब दा पाया, न मैं आदम हव्वा जाया
न मैं अपना नाम धराएया, न विच बैठण न विच भौण
बुल्ला की जाना मैं कौन
अव्वल आखर आप नू जाणां, न कोई दूजा होर पछाणां
मैंथों होर न कोई स्याना, बुल्ला शौह खड़ा है कौन
बुल्ला की जाना मैं कौन


******************************************************************************





सोहने मुखड़े दा लैन दे नज़ारा वे केहडा तेरा मुल्ल लगदा

sohne mukhde da lain de nazara ve kehda tera mul lagda

सोहने मुखड़े दा लैन दे नज़ारा,
वे केहडा तेरा मुल्ल लगदा ।
एहना अंखिया दा होण दे गुजारा,
वे केहडा तेरा मुल्ल लगदा ॥

हुसन तेरे दी खैर मनावां,
जे तक्क लै तां मैं तर जावां ।
ऐवें निक्का जेहा कर दे इशारा,
वे केहडा तेरा मुल्ल लगदा ॥
*********************************************************************************



जे रब मिलदा नाहते धोते
जे रब मिलदा नाहते धोते
ते मिलदा ड्ड्डूआ मछिआं नु
जे रब मिलदा जंगल फिरया

ते ओ मिलदा गैयाँ बछिय नु
जे रब मिलदा मंदिर मसीति
ते ओ मिलदा चम चिड़िखियां नु
वे बुलया रब ऊना नु मिलदा
दिल दया अच्छाया सचियां नु (नियता जिना दिया अच्छियाँ नु ) Je rab milda nahateya dhoteya,

te o milda dadduan machiyan noo.

Je rab milda jangal pahareyan,

te o milda gaiyaan bachiyan noon.

Je rab milda mandir - masiti,

te o milda cham chidikhiyan noon.

Ve Bulleya rab onhan noon milda..

Ati dil-eya achiyyan sachhiya noon.


हम किया बनाने आये थे
हम किया बनाने आये थे और किया बना बैठे
कहीं मंदिर बना बैठे कहि मस्जिद बना बैठे 
हम से तो अच्छी परिंदो की जात है
कभी मंदिर पे जा बैठे
कभी मस्जिद पे बैठे




Hum Kya Banane Aaye the Kya Bana baithe
Kahi Mandir, Kahi Masjid, kahi kaabba bana Baithe
Hum Se to Jaat Achi hai un Parindon Ki
Kabhi mandir par Jaa Baithe
Kabhi Masjid Par Jaa Baithe...






Thursday, 3 September 2015

my poems

     astro            jyotish        coaching               kid's story            Best home remedies


 I WROTE FIRST TWO POEMS FOR MY DAUGHTER
SHE  SPOKE THESE POEMS IN SCHOOL ,AND WON 
THE PRIZES ,FIRST TWO POEMS ,I COMPOSED ,AND 
NEXT I TOOK FROM  NET BUT YOU WILL LIKE ALL 

1.
   Teacher teacher (original)
 you are very sweet                  
your teaching                                                               
 is like a treat
        you make me witty
        that, I thank to you
        you teach me to lead
          I bow to you

    you took me to new height
    to make my future bright
    your respect is my pride
    pls keep me showing light






                                                   9811351049
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(original)

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इतिहास परीक्षा 
                  इत्तिहास परीक्षा थी उस दिन (from net) best ever
                  चिंता से हृदय धड़कता था जू    
                  जब से जागा  था तब से
                   
मेरा बायां नैन फड़कता था  
                           
               जो उत्तर मेने याद किये ,
        उसमे से आधे ही याद हुए ,
                वो भी स्कूल पहुचने तक  
                यादो  में ही बर्बाद हुए 

       जो सीट दिखाई दी खाली 
        उस पर ही जा कर बैठ  गिया 
        था एक नरीक्षक  कमरे में 
       वो आया झाल्या और ऐठा 

                              रे रे तेरा है ध्यान किधर 
                              कर के क्यों  आया देरी है 
                             यहाँ  कहां   तू आ  बैठा 
                              उठ जा ये कुर्सी मेरी 

        पर्चे पर जब मेरी नजर पड़ी 
         तो सारा बदन पसीना था 
         फिर भी पर्चे डरा  नही 
         जो  ये मेरा ही सीना था 

                          कॉपी के बरगद पर मेने    
                            फिर कलम कुल्हाड़ा दे मारा                                   
                         घंटे भर के भीतर ही 
                          कर डाला प्रश्नो का  वारा  न्यारा 



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          अकबर का बेटा  था बाबर 
           जो वायुयान से आया था 
          उसने ही हिन्द महासागर 
         अमरीका से मंगवाया था 

                             गौतम जो बुध हुए जा कर 
                             गांधी जी के चेले थे 
                             बचपन में दोनों नेहरू के संग 
                              आंखमिचौली खेले थे 

         होटल का मालिक था अशोक 
        जो ताजमहल में रहता था 
        ओ अंग्रेजो भारत छोड़ो 
       वो लाल किले  कहता था 

                          झांसा दे जाती थी सबको 
                          ऐसी थी जहंसी की रानी 
                           अक्सर अशोक के होटल में 
                          खाया  करती  थी बिरयानी 

       ऐसे ही चुन -चुन कर 
       प्रश्नों   के पापड़ बेल दिए 
      इतिहास  के यह ऊँचे पहाड़ 
      टीचर की और धकेल दिए 

                                 टीचर जी बेचारे  इस ऊंचाई तक किया चढ़ पाते 
                                  भला यह सब क्या समझ पाते 
                                  लाचार पुराने  चश्मे से 
                                 इतहास  नया क्या पढ़ पाते 

          टीचर  जी की समझ के बहार 
          इत्तिहासो का भूगोल हुआ 
           अब ऐसे में फिर क्या होना था 
          मेरा नंबर तो गोल हुआ    
                                        
                                                                    धन्यवाद 
                                 original , first time on net ,self composed   
                                             आधुनिकता
          आधुनिकता की आड़ में चला भयानक खेल 
        सबसे ज्यादा बन रही बच्चो ,बूढो की रेल 
        अमरीका ,चीन ने किया वार पेप्सी 
       पिज़ा ,चाउमिन ,बर्गर  आगे मेरा देश गया हे हार  
                                                                     to be continued
                                               
                                              परीक्षा 
       घर में कर्फु (घरबंदी ) लगने वाला है 
       अगले   सप्ताह   से   परीक्षाये   है 
       बाबूजी आज  सुबह ही 
       नया बेंत खरीद  के लाये  है 
                बेंत की नजर है मुझ   पर 
               इसे  मेरे खून की होगी प्यास (कर रहा है अट्हास )
बाबू जी पूछेंगे प्रश्न कोन से 
लगाने लग गया हु कयास 
      बाबूजी ने आते ही किया प्रश्न 
  कैसे हो तुम बरखुरदार 
   सारे पाठ कर लिए याद या 
  छोड़ दिए है दो चार 
                              to be continued

30.9.2015
    i wrote this poem  on 30/9/2015 for my daughter Aastha (original)
बंदर पेड़ पर कूद रहा था 
खा रहा था फल 
इतने में  ही आ   निकला 
राजा जी का दल 
           सभी जानवर आये थे 
          गजराज नही थे आये 
          यही सोच सोच कर 
          राजा जी घबराये 
लोमड़ी बोली भालू मामा 
इस बंदर को रोको 
राजा जी को गुस्सा आये 
उससे पहले इस को टोको 
         इतने में ही गजराज ने  
        एक  चिंगाड़   मारी 
       सभी जानवर नो दो ग्यारह हो गए 
      अब थी राजा जी की बारी 
गजराज बोले सभी जानवर 
 मेरे  पास   आओ 
समस्या बहुत गंभीर है 
मिल जुल कर उसे सुलजाओ 
        मानव वनो  काट रहा 
        कर रहा हमे आनाथ 
       आयो मिल कर शहर चले 
      इनको बताये यथार्थ 
                                 to be continued
               










                                          हवा  मै और जहर नही फैलाउंगा      

प्राकृति से नाता जोड़ो 

पटाखो से नाता तोड़ो 
पटाखे हवा में जहर फैलाते है 
प्राकृति माता को रुलाते है                                                 (original)
हमारी उम्रे तोड़ कम कर जाते है 

फर्क नही करते बच्चे,बूढ़े ,जवानो  में 
सब को एक सा बीमार बनाते है 
दीवाळी  से इनका नही कोई नाता है 
फिर भी मूढ़ मानव  इनको जलाता है 
अपनी हवा मै जहर फैलता है
फिर भी समझदार कहलवाता है 
        मैं हँसूगा या रोँऊगा अब ,कह नही सकता 
         मैं  पटाखे नही जलाउंगा 
         हवा  मै और जहर नही फैलाउंगा 
प्राकृति माँ को और नही रुलाउंगा 
         मैं  पटाखे नही जलाउंगा 

 

     astro            jyotish        coaching               kid's story            Best home remedies