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Sunday 16 August 2015
poetry Shayari शायरी
astro jyotish coaching kid's story Best home remedies
शायरी Sher o Syari
1: में भी मुंह में
ज़ुबान रखता हू I too carry a
tounge in my mouth
काश पूछो की मुद्दा क्या I wish too state my purpose.
2: इश्क वो आतिश हे
ग़ालिब जो Love is a fire that
can’t be
लगाये न लगे और भुझाये न
भुझे
put out or lit at will.
3: मोहब्बत के लिये कुछ खास दिल मख़्सूस होते है special heart’s
business is love
ये वो
नगमा है जो हर साज पे गाया नही जाता love song can’t be sung on
all instruments
4: कुछ तो
मुश्किल था इश्क की बाजी को जीतना
कुछ जीतने
के खोफ से
हारे चले गए
5: मै कड़वा बोलता हू ,मेरी मीठी शकर नही बिकती
वो मीठा बोल कर कड़वी निबौली बेच देता है
6: अगर जिंदगी है तो ख्वाहिशे होगी
अगर मुहोबत है तो बंदिशे होगी
छुपाया राजेदिल तो घुटन होगी
बता दिया तो रंजिशें होगी
७: नजर बदल दो नजारा बदल जाता है
सोच बदल दो सितारा बदल जाता है
कश्ती बदलने की जरूरत नही नही
दिशा बदल दो किनारा बदल जाता है
8: जरुरतो के मुताबिक चलो इच्छ्यो के नही
क्योकि जरूरते तो भिखारी की भी पूरी हो जाती है
और इच्छाए तो बादशाओं की भी अधूरी रह जाती है
9: नर बलि नही होता ,समय होता है बलवान
भीलन गोपिया लुटियो ,वही अर्जुन वही बाण
10: जँहा देखो वंहा मौजूद है ये
ये दर्द खुदा मालूम होता है
11: लायी हयात आये
कजा ले चली चले
ना अपनी ख़ुशी से आये
ना अपनी ख़ुशी चले
12: जिंदगी हर कदम इक नई जंग है
जीत जायेगे तू अगर संग है
13: सकून की बात करे है
सकून लूट के मेरा
मेरे चेहरे की मुस्कराहट
बी बदगुमानी लगे है उन्हें
14: हम जहाँ की वो कुल किताबे
जब्ती समझते है
जिन्हे पढ़ कर बच्चे माँ बाप
को खपती समझते है
Hum jnha ki vo kul kitabe jabti smjtay hai:::
;;;jinhay pr kr bachay ma baap ko khapti samjtay hai :::::::kisi judge ne kha hai ki vo sari kitabay jabt kr leni chahiye Jo maa baap bacho ko le kr dete hai unhay pr kr vo ofiser bntay hai pir maa baap ko hi pagal kehte hai
15: माना की इस जमीं को ना गुलजार कर सके
कुछ खार ही कम कर गए गुजरे जिधर से हम
16: बेखुदी बेसबब नही यारो
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है
17: ऊंचे लोग सयाने निकले
उनके महलो में तहखाने निकले
जिनको पकड़ा हाथ समझ कर
वो केवल दस्ताने निकले
18: दरिया की जिंदगी पर सदके हाजरो जानें
मुझको नही गवारा साहिल की मौत मरना
19: आगाह अपनी मौत से कोई बशर नही
सामान सौ बरस का है पल की खबर नही
20. क्या वक्त बदला है जमाने ने
अपने अपनों पे वार करते है
पहले यारो पे यार मरते थे
आज यारो से यार मरते है।
21. पंडित मुल्ला मशालची ,इनको सूजत नाही
ओरन को चानन करे आप अंदेरे माहि।
22 करनी करे तो किओ करे
कर के किओ पछताए
जैसे विदवा स्त्री
गर्भ लिए पछताए
23 आग गुलशन में बहारे भी लगा सकती है
बिजली ही गिरी हो ये जरुरी तो नही
नींद तो दर्द से बिस्तर पे भी आ सकती है
तेरी आगोश में सर हो ये जरुरी तो नही
24 कुछ तो मजबूरिया रही होगी
वरना कोई यू ही बेवफा नहीं होता
25 मेरी खामोशियो का कोई मोल नही
उसकी जिद की कीमत ज्यादा है।
26 जब तक बिका न था कोई पूछता ना था
तुमने खरीद कर मुझे अनमोल कर दिया
27 चले तो थे दोस्तों का पूरा काफिला लेकर
पर कुछ "जुदा" हो गए और कुछ "खुदा" गए
कुछ "गुमजुदा" तो कुछ "शादीशुदा" हो गए
28 प्रेम छुपाये न छुपे , जा घट प्रगट होये
जो मुख से बोले नही ,तो नैन दैत है रोये
29 इतने झूठ ,फरेब ,साजिशें
कँहा से लाते हो
जरूर दिल ,दिमाग ,आत्मा में
तबाही का कारखाना लगा रखा है (original)
30 तुम्हारी बेबाकी कमाल करती है
रोज एक नया धमाल करती है
शहर वीरान ही ना हो जाए कहीं
रोक लो खुद को
ना जाने यह कितने हलाल करती है original 28/1/17 )
31 दुआओ में कर अपनी असर पैदा ज्यादा
अर्शsky और दर्शearth की दूरिया बढ़ रही है
जो चंद साँसे उल्फत की तुझ में मुझ में बची है
कुछ उधर मर रही है ,कुछ इधर मर रही है (original 28/1/17 )
32 तारीख हजारो सालो में बीएस इतनी सी बदली है
तब दौर पत्थर का था आज लोग पत्थर के है
33 हजरो बरस तक चमन अपनी बेनूरी पे रोता है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन मैं दीदावर पैदा
34 जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या फिर वो जगह बता जंहा पर खुदा न हो
35 हम किआ बनाने आये थे और किआ बना बैठे
कंही मंदिर बना बैठे कंही मस्जिद बना बैठे
हम से अच्छी तो परिंदो की जात है
कभी मंदिर पै जा बैठे कभी मस्जिद पे जा बैठे
36 नजर ऊँची की तो दुआ बन गई
नजर नीची की तो हया बन गई
नजर तिरछी की तो अदा बन गई
नजर फेर ली तो कजा बन गई
37 क्या देखूं भाई कितने ही रंगों में ढल गई
हर फूल हर कली में अपनी बात चल गई
जिस दिन से यार तुमने गले से लगाया है
उस दिन से मेरे शर्ट की खुशबू बदल गई
38 किस कदर मासूम था लहजा उसका
39 मेरे बारे में थोड़ी अपनी सोच बदल कर तो देख
41 तुझसे पहले जो इक शख्स यँहा तख़्तनशी था
उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकी था
42 ये जो शोहरत की बुलंदी है ,पल भर का तमाशा है
जिस शाख पे तुम बैठे हो ,ये टूट भी सकती है।
43 इजजते ,शोहरते ,उल्फ़ते ,चाहते
ये कभी भी दुनिया में रहती नहीं
आज में जंहा हु ,वहा कल कोई और था
ये भी इक दौर है ,वो भी इक दौर था ,
44 ये दौर भी देखा है इतिहास की आँखों ने
लम्हो मै खता की थी सदियों मै सजा पायी
45 बर्बादे गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है
हर शाख पे उल्लू बैठा है ,अंजामे गुलिस्तां क्या होगा
46 किआ रंग बदला है ज़माने ने
अपने अपनों पे वॉर करते है
पहले यारो पे यार मरते थे
आज यारो से यार मरते है
47 ना खुदा ही मिला न विसाले सनम
न इधर के रहे न उधर के रहे।
48 दुविद्या में दोनों गए
न माया मिली न राम
49 ये सांस तो आनी फानी है
5: मै कड़वा बोलता हू ,मेरी मीठी शकर नही बिकती
वो मीठा बोल कर कड़वी निबौली बेच देता है
6: अगर जिंदगी है तो ख्वाहिशे होगी
अगर मुहोबत है तो बंदिशे होगी
छुपाया राजेदिल तो घुटन होगी
बता दिया तो रंजिशें होगी
७: नजर बदल दो नजारा बदल जाता है
सोच बदल दो सितारा बदल जाता है
कश्ती बदलने की जरूरत नही नही
दिशा बदल दो किनारा बदल जाता है
8: जरुरतो के मुताबिक चलो इच्छ्यो के नही
क्योकि जरूरते तो भिखारी की भी पूरी हो जाती है
और इच्छाए तो बादशाओं की भी अधूरी रह जाती है
9: नर बलि नही होता ,समय होता है बलवान
भीलन गोपिया लुटियो ,वही अर्जुन वही बाण
10: जँहा देखो वंहा मौजूद है ये
ये दर्द खुदा मालूम होता है
11: लायी हयात आये
कजा ले चली चले
ना अपनी ख़ुशी से आये
ना अपनी ख़ुशी चले
12: जिंदगी हर कदम इक नई जंग है
जीत जायेगे तू अगर संग है
13: सकून की बात करे है
सकून लूट के मेरा
मेरे चेहरे की मुस्कराहट
बी बदगुमानी लगे है उन्हें
14: हम जहाँ की वो कुल किताबे
जब्ती समझते है
जिन्हे पढ़ कर बच्चे माँ बाप
को खपती समझते है
Hum jnha ki vo kul kitabe jabti smjtay hai:::
;;;jinhay pr kr bachay ma baap ko khapti samjtay hai :::::::kisi judge ne kha hai ki vo sari kitabay jabt kr leni chahiye Jo maa baap bacho ko le kr dete hai unhay pr kr vo ofiser bntay hai pir maa baap ko hi pagal kehte hai
15: माना की इस जमीं को ना गुलजार कर सके
कुछ खार ही कम कर गए गुजरे जिधर से हम
16: बेखुदी बेसबब नही यारो
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है
17: ऊंचे लोग सयाने निकले
उनके महलो में तहखाने निकले
जिनको पकड़ा हाथ समझ कर
वो केवल दस्ताने निकले
18: दरिया की जिंदगी पर सदके हाजरो जानें
मुझको नही गवारा साहिल की मौत मरना
19: आगाह अपनी मौत से कोई बशर नही
सामान सौ बरस का है पल की खबर नही
20. क्या वक्त बदला है जमाने ने
अपने अपनों पे वार करते है
पहले यारो पे यार मरते थे
आज यारो से यार मरते है।
21. पंडित मुल्ला मशालची ,इनको सूजत नाही
ओरन को चानन करे आप अंदेरे माहि।
22 करनी करे तो किओ करे
कर के किओ पछताए
जैसे विदवा स्त्री
गर्भ लिए पछताए
23 आग गुलशन में बहारे भी लगा सकती है
बिजली ही गिरी हो ये जरुरी तो नही
नींद तो दर्द से बिस्तर पे भी आ सकती है
तेरी आगोश में सर हो ये जरुरी तो नही
24 कुछ तो मजबूरिया रही होगी
वरना कोई यू ही बेवफा नहीं होता
25 मेरी खामोशियो का कोई मोल नही
उसकी जिद की कीमत ज्यादा है।
26 जब तक बिका न था कोई पूछता ना था
तुमने खरीद कर मुझे अनमोल कर दिया
27 चले तो थे दोस्तों का पूरा काफिला लेकर
पर कुछ "जुदा" हो गए और कुछ "खुदा" गए
कुछ "गुमजुदा" तो कुछ "शादीशुदा" हो गए
28 प्रेम छुपाये न छुपे , जा घट प्रगट होये
जो मुख से बोले नही ,तो नैन दैत है रोये
29 इतने झूठ ,फरेब ,साजिशें
कँहा से लाते हो
जरूर दिल ,दिमाग ,आत्मा में
तबाही का कारखाना लगा रखा है (original)
30 तुम्हारी बेबाकी कमाल करती है
रोज एक नया धमाल करती है
शहर वीरान ही ना हो जाए कहीं
रोक लो खुद को
ना जाने यह कितने हलाल करती है original 28/1/17 )
31 दुआओ में कर अपनी असर पैदा ज्यादा
अर्शsky और दर्शearth की दूरिया बढ़ रही है
जो चंद साँसे उल्फत की तुझ में मुझ में बची है
कुछ उधर मर रही है ,कुछ इधर मर रही है (original 28/1/17 )
32 तारीख हजारो सालो में बीएस इतनी सी बदली है
तब दौर पत्थर का था आज लोग पत्थर के है
33 हजरो बरस तक चमन अपनी बेनूरी पे रोता है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन मैं दीदावर पैदा
34 जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या फिर वो जगह बता जंहा पर खुदा न हो
35 हम किआ बनाने आये थे और किआ बना बैठे
कंही मंदिर बना बैठे कंही मस्जिद बना बैठे
हम से अच्छी तो परिंदो की जात है
कभी मंदिर पै जा बैठे कभी मस्जिद पे जा बैठे
36 नजर ऊँची की तो दुआ बन गई
नजर नीची की तो हया बन गई
नजर तिरछी की तो अदा बन गई
नजर फेर ली तो कजा बन गई
37 क्या देखूं भाई कितने ही रंगों में ढल गई
हर फूल हर कली में अपनी बात चल गई
जिस दिन से यार तुमने गले से लगाया है
उस दिन से मेरे शर्ट की खुशबू बदल गई
38 किस कदर मासूम था लहजा उसका
धीरे से "जान" कह के बेजान कर दिया
39 मेरे बारे में थोड़ी अपनी सोच बदल कर तो देख
मुझसे भी बुरे लोग है तू घर से निकल कर तो देख
40 वक्त नूर को भी बेनूर बना देता है
वक्त फ़क़ीर को भी हजूर बना देता
वक़्त की कदर कर ऐ बन्दे
वक्त कोयले को भी कोहिनूर बना देता
उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकी था
42 ये जो शोहरत की बुलंदी है ,पल भर का तमाशा है
जिस शाख पे तुम बैठे हो ,ये टूट भी सकती है।
43 इजजते ,शोहरते ,उल्फ़ते ,चाहते
ये कभी भी दुनिया में रहती नहीं
आज में जंहा हु ,वहा कल कोई और था
ये भी इक दौर है ,वो भी इक दौर था ,
44 ये दौर भी देखा है इतिहास की आँखों ने
लम्हो मै खता की थी सदियों मै सजा पायी
45 बर्बादे गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है
हर शाख पे उल्लू बैठा है ,अंजामे गुलिस्तां क्या होगा
46 किआ रंग बदला है ज़माने ने
अपने अपनों पे वॉर करते है
पहले यारो पे यार मरते थे
आज यारो से यार मरते है
47 ना खुदा ही मिला न विसाले सनम
न इधर के रहे न उधर के रहे।
48 दुविद्या में दोनों गए
न माया मिली न राम
49 ये सांस तो आनी फानी है
ये जान तो इक दिन जानी है
जिसने ये बात मानी है
जानी वही असली जानी है
50 जे पागल होए कल्ला
ते समजाये वेड़ा
जे पागल होए वेड़ा
ते समजाये केड़ा
It means if one person is mad or fool,all kind ans neighbors can try to make him understand,if all kind behave like fools or mental then no one can make them understand,,,,,
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