Showing posts with label RB TO DRO. Show all posts
Showing posts with label RB TO DRO. Show all posts

Saturday, 28 May 2016

    रब नु  प्या धोखा देना वे 
नंगे पैर तू  मंदर जाना  ऐ 
वडे वडे घंटे प्या  वजाना ऐ 
बेजुबाना ते पर तरस नहीं खाना ऐ 
तू समझना वे ,तू रब नु  प्या  मनाना ऐ 
हीरे शाह  रब एवें नहीं मिलदा 
मिलदा वे सच्चया  खानेया नु 
नाकि तेरे वरगे  शैताना  नु 
मन नू टोंगा नाल प्या  मनाना बहकाना  ऐ  
मुँह  तो जय रब  दी नहीं हटाना  ऐ 
तू लंगर प्या  लगाना वे 
तू कीर्तन प्या  कराना ऐ  
मन नु  नित नए टोंगा नाल प्या  सजाना ऐ 
उसदा खौफ तू नहीं खाना  ऐ 
नित नए बहाने  बनना वे 
तू बाँदा नहीं वे शैताना ऐ 
सारिया हदा  प्या  तोड़ी जाना ऐ 
हीरे शाह रब मिलसी जद्  तेनु 
उस कोई हिसाब नहीं भुलाणा  ऐ 
डंडा होसी फिर उसदे हथ 
तेनु रस्ता कोई नजर नहीं आणा ऐ 


                                 रब   है   ते   सब   है
                                                  (हीरा शाह )

(ओ बन्दे )
रब है ते सब है 

जे कर रब नही ते सब नही
तू रब भुल गया....  ते 
रब वी  सब भुल गया 
तेरिया अजे पिछलिया ते मुकिया नही 
तू होर  पया बनाना ए 
वडेया नु। पितरा नु  भुल्या  बैठा ए 
नित नविया पया  कमाना ए 
दूजेया लइ  कंजरखाने 
ते अपने लइ सुख दिया अरदासा पया  लगाना ए 
बहना ते भरावा नु  लड़ाना वे 
अपने काले लेख पया वदाना ए 
खुद नु अकललतीफ़ समजि जाना ए 
जद वारी  तेरी आणि ए 
तू मंगना नई फिर पाणी ए 
जद  वक्त ने क्सणी डोरी ए 
तू भुल जाणी हर आदत छिछोरि ए 
लड़ाईया दूजेया लइ  पया पुग्दा ए 
तू  उस कहर दा  रस्ता पया बनाना ए 
जेड़ा  तेरे ते जल्दी टूटना ए 
 तू उसने पया  बुलाना ए 
तू बन्दा  नइ शैताना  ए 
तू खसमा नु  खाणा ए 
तेरा कख वि नई रह  जाणा ए 

 (हीरा शाह )