Wednesday 22 April 2020

ग्रहों की अवस्थाएं DIFFERENT STAGES OF PLANETS

                               ग्रहों की अवस्थाये 
                DIFFERENT STAGES OF PLANETS



 जब भी हम किसी कुंडली को देखते हैं तो हमें वहां ग्रहों के साथ उन ग्रहो के  अंशों का मान ( डिग्रीज ) भी लिखी हुई दिखाई देती हैं।  यह  ग्रह के अंश का मान ग्रह की अवस्था व उसके बल के बारे में बताता है ग्रहों की अवस्थाओं को सही समझ कर हम कुंडली के फल कथन में सत्यता व  प्रमाणिकता ला सकते हैं।  कभी-कभी हम देखते हैं कि कुंडली को देख कर सीधा ही कह दिया जाता है क्योंकि यह ग्रह उच्च  या नीच का है तो फला फला अच्छा या बुरा फल देगा परंतु जातक को जो फल मिलता है वह कुंडली देखने वाले के द्वारा बताए गए फल का उल्टा होता है ऐसा क्यों होता है आज हम  इस वीडियो में इस कारण को समझेंगे। 


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ग्रहों की 5 अवस्थाएं होती हैं 
 1 बाल अवस्था
2 कुमार अवस्था
The human life cycle - My Thoughts

   
3 युवावस्था 
4 वृद्धावस्था 
5 मृत अवस्था

जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में पांच अवस्थाएं होती हैं ठीक उसी प्रकार से ग्रहों की भी पांच अवस्थाएं होती हैं।  अक्सर ऐसा मान लिया जाता है कि यदि ग्रह के 0 डिग्री 1 डिग्री 2 डिग्री लिखा हुआ है तो वह उसकी बाल अवस्था है या मित्र मृत अवस्था है। 
 अगर 28 डिग्री 29 डिग्री 30  डिग्री लिखा है तो यह उसकी मृत अवस्था है परंतु वास्तविकता यह नहीं है।
ग्रहों की अवस्थाएं बताती है , उसको प्राप्त है और ग्रह कुंडली कर सकते हैं
ग्रहों की अवस्थाएं बताती है किस ग्रह को प्राप्त है व्यवस्था को प्राप्त है ब्रेव व्यवस्था यह बताती है कि  कुंडली में उस ग्रह को कितना बल प्राप्त है।


और ग्रह के बल को जान हम  कुंडली का फल कथन सही से कर सकते हैं।
सबसे पहले तो हम यह जान लेते हैं कि ग्रह अगर बाल   या मृत अवस्था में है तो  क्या वह बिल्कुल ही निष्क्रिय हो जाएगा,क्योकि अक्सर ऐसा ही कह दिया जाता है ,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह कभी भी निष्क्रिय  या फलहीन  नहीं होते हैं।
ग्रह कितना फल देगा यह उसके अंश के मान  पर निर्भर करता है ग्रह अच्छा या बुरा फल देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रह कुंडली में  कारक  है अथवा अकारक है,, ग्रह अच्छा फल देगा या बुरा फल देगा यह इस बात पर निर्भर करता है की ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है,,ग्रह की युति  किसके साथ है उस पर पड़ने वाली  दृष्टि  किस प्रकार की है।


ग्रह का बल यह बताएगा कि  उस फल की मात्रा कितनी होगी जो जातक को उसके जीवन में उस ग्रह से मिलेगा अच्छा  या बुरा , 
 एक साधारण सा नियम है कि गृह बाल अवस्था में 25%,, कुमार अवस्था में 50%,,, युवावस्था में 100% ,,,वृद्धि अवस्था में 20% ,,,व मृत अवस्था में 5% फल देता है। 


अब  यह अवस्थाएं देखी कैसे जाती है, कुंडली में ग्रहों के साथ राशियों के अंक भी लिखे होते हैं।  ग्रहों की अवस्थाओं को विषम व सम  राशियों के आधार पर देखा जाता है। 

 विषम राशिया है : मेष,, मिथुन,,सिंह ,, , तुला,, धनु,, कुंभ 
 सम  राशिया है : वृषभ,,कर्क ,, कन्या वृश्चिक,, मकर,, मीन 

ग्रहों की अवस्थाएं ग्रहों को  प्राप्त बल रिंकू प्राप्त फल विषम व सम राशियों  में इस प्रकार से देखे जाते हैं। 





विषम  राशि में हो या सम  राशि में 13 से 18 डिग्री में  ग्रह अपना 100% फल देगा।
बुध व  चंद्र  कुमार अवस्था से युवावस्था तक अच्छा व  भरपूर फल देते हैं वह अच्छा है या बुरा है वह एक अलग बात है। 
 गुरु व  शनि युवावस्था से वृद्धावस्था तक भरपूर फल देते हैं वह अच्छा हो  या बुरा
बुधवार कुमार है  व  चंद्र माता अगर हम इन्हे  अपने जीवन में भी उतारे तो हम पाते इन अवस्थाओं  में हम खूब काम कर पाते हैं।  शनि व  ब्रहस्पति  है न्यायाधीश व  गुरु  ये अपनी परिपक्व अवस्था में बढ़िया फल देते हैं।


0  व  29 डिग्री के ग्रह कोई फल नहीं देते ऐसा माना जाता है परन्तु  ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इन दो डिग्रियों को चमत्कारी अंश कहा  गया है क्योंकि यहां से ग्रह  एक नई दिशा में जाना शुरू हो जाता है। 

 ग्रह  अच्छा या बुरा फल  जिस बल जैसा भी  देंगे वह निर्भर करेगा उसकी  अवस्था पर जिसमें वह कुंडली में है। 
 हम जानते हैं कि हम पांच तत्वों से  बने ग्रह भी उन्हीं तत्वों को दर्शाते हैं जिस ग्रह का बल कम हैं उस तत्व की कमी हमारे शरीर में होगी  है।  जिस ग्रह का बाल अधिक है उस  तत्व की अधिकता  हमारे शरीर  होगी।  
 अगर कोई ग्रह आपकी कुंडली में बाल अवस्था में है वह कारक है तो आप उसका रत्न धारण करके उचित लाभ उठा सकते हैं।  सम  व विषम राशियों दोनों में  13 से 18 अंश  तक ग्रह  युवा रहता है।  इस इन दोनों सम व  विषम में 13 से 18  अंश तक ग्रह  पुर्ण बली होता है,, यही वह बिंदु जंहा  ग्रह से सबसे अधिक प्रभाव देता है , अच्छा या बुरा ,,

 बाल अवस्था , कुमार अवस्था में यदि ग्रह कारक है तो उसके रत्नो व  मंत्रों द्वारा पूजा पाठ  उसे द्वारा बल दिया जा सकता है। 

यदि  शनि मकर राशि (सम) में है तो 25 से 30 डिग्री के बीच में मकर राशि मृत अवस्था नहीं मानी जाएगी यह बाल अवस्था  होगी तो आप शनि  को बल देकर उसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं। 
 मान लीजिए शनि कुंभ राशि कुंभ राशि (विषम)   में शून्य 0 से 5 डिग्री में है तो शनि बाल अवस्था में है।  शनि का लाभ उठा सकते हैं। 
 मृत ग्रह अगर कारक  लग्न में है तो उसके अधिपति की आराधना करें तो उसका लाभ प्राप्त होगा अकारक है तो उसके रत्न  को धारण  ना करें दान करें पूजा पाठ  करे उस ग्रह के।



On Fri, Apr 17, 2020 :

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