सीता के रखवाले राम थे
जग में सबसे निराले राम थे
शक्ति अवतार थी सीता
जब हरण हुआ तब कोई नहीं
जय श्री राम
दशरथ के थे चार दुलारे
पिता में उनके बस्ते थे प्राण
जब दशरथ प्राण तजे
तब पास में कोई नहीं
पांच थे पांडव द्रोपदी के
एक से बढ़ कर एक बलशाली
कोई नहीं था सानी जिनका
जब चीर हरा तब कोई नहीं
कृष्ण सुरदर्शन धारी थे
खुद ही वो त्रिपुरारी थे
प्यारे मोहन मीत मुरारी थे
जब तीर लगा तब कोई नहीं
रावण भी शक्तिशाली था
शिव का भक्त अनूठा
चारो वेदो का ज्ञाता था
नवग्रह थे उसकी मुठ्ठी में
जब लंका जली तब कोई नहीं
शरशैया पर पड़े पिता माह इच्छा मृत्यु वरदानी थे
कृष्ण के जानी ध्यानी थे
पीड़ा का सांजी कोई नहीं
लक्ष्मण भी थे भारी योद्धा
शेशनाग अवतारी थे
अकेले ही सब पर भारी थे
जब शक्ति लगी तब कोई नहीं
अभिमन्यु राजदुलारे थे
कृष्ण अर्जुन के बहुत प्यारे थे
पर चक्रव्यू में कोई नहीं
सच यही है दुनिया वालो
संसार में अपना कोई नहीं
जो लेख लिखे है कर्मो ने
उस लेख के आगे कोई नहीं
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