Everyone is facing problem of money in this era, PLS DONT CLICK Everyone wants to earn and get lot of money in his life, SO when after a lot of hard work ONE does not get expected fruit in terms of money he feels disturbed and frustrated .
If you are also feeling the flow of money in your life, in your business is not as per your expectations and hard work then by doing or by practicing this simplest remedy, You can make good flow of money in your life.
This remedy or we can say practice used to be the part of one of thedaily activities about 20 to 30 years back but with the change of ideologies in the last 30 years this practice has almost disappeared . 9811351049
I Ritesh Nagi welcome you on my YouTube channel of Kalyan astrology Now we talk about the remedy,......
The part of the men's leg from knees up to the fingers of the feet is of Saturn ,
And from the elbow up to the fingers of the hand of the women is of Venus,
So when a woman presses the part of the leg of men from knees up to the the feet by her hands
it leaves good effect of Venus on the satrun and yog of the flow of money becomes active,
We have often seen maa laxmi presses the feet of the lord Vishnu in almost all the pic,
that is why Maa laxmi is known as goddess of richness ,,
So if we do this practice or we can say remedy in this era without Falling In The, whether it is logical or illogical we can open doors for flow of money and prosperity in our life and in our business and in our house
पांच मिनट में याद करे किस ग्रह के कौन से नक्षत्र है।
कुंडली फलकथन करते समय यदि हमे ग्रह व उनके नक्षत्र भी याद हो तो फलकथन में और अधिक सटीकता आ जाएगी ,थोड़ा मुशिकल है यह याद रखना की किस ग्रह के कौन से नक्षत्र है ,,पर इस वीडियो को देखने के बाद आप बहुत ही आसानी से यह सब याद कर लोगे। .
रितेश नागी कल्याण एस्ट्रोलॉजी के यूट्यूब चैनल में आपका हार्दिक स्वागत करता हूं आज हम अपनी इस वीडियो में जिस विषय पर बात करने जा रहे हैं वह यह है की किस ग्रह के कौन कौन से नक्षत्र होते हैं किस-किस नक्षत्र का कौन कौन सा ग्रह मालिक है।
हर ग्रह के हिस्से में तीन नक्षत्र आते हैं आपको इस विषय पर यूट्यूब पर कहीं वीडियोस मिल जाएंगी परंतु हमारी यह वीडियो कुछ विशेष है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि किस ग्रह के हिस्से में कौन-कौन से तीन नक्षत्र आते हैं ,इसे याद रखना थोड़ा सा कठिन है कह सकते हैं बहुत कठिन है परंतु करने पर याद हो ही जाते हैं।
लेकिन हमारी इस वीडियो को देखने के बाद आपको
किस ग्रह के हिस्से में कौन कौन से नक्षत्र आते हैं।
किस ग्रह की महादशा कितने साल की होती है।
वह किस महादशा के बाद कौन से ग्रह की महादशा आती है।
यह भी आपको 5 मिनट में याद हो जाएगा
हमारी कल्याण एस्ट्रोलॉजी के यूट्यूब चैनल पर जितने भी वीडियो जो आपको मिलेंगे वह सब आपको पसंद अवश्य आएंगी क्योंकि उनको जहां शोध व अद्ययन के बाद बहुत ही संक्षेप में मुख्य विषय को सरलतम रूप में समझाने का प्रयास करते हुए बनाया गया है। जिससे कि वीडियो देखने वाले का समय भी बचेगा तथा इस विषय के प्राप्त ज्ञान का उपयोग में प्रैक्टिकल लाइफ में भी कर पायेगा।
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एक बार पहले हम एक नजर मार लेते हैं कि किस ग्रह के कौन से नक्षत्र होते हैं।
केतु के तीन नक्षत्र अश्विनी मघा मूल
शुक्र के तीन नक्षत्र भरणी पूर्वाफाल्गुनी पूर्वाषाढ़ा
चंद्र के तीन नक्षत्र रोहिणी हस्त श्रवण
मंगल के तीन नक्षत्र मृगशिरा चित्रा और घनिष्ठा
राहु के तीन नक्षत्र आर्द्रा स्वाति सत तारका या सतभिषा
गुरु के तीन नक्षत्र पुनर्वसु विशाखा पूर्वाभाद्रपद
शनि के तीन नक्षत्र पुष्य अनुराधा उत्तराभाद्रपद
बुध के तीन नक्षत्र आश्लेषा ज्येष्ठा और रेवती
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जब भी हम किसी कुंडली को देखते हैं तो हमें वहां ग्रहों के साथ उन ग्रहो के अंशों का मान ( डिग्रीज ) भी लिखी हुई दिखाई देती हैं। यह ग्रह के अंश का मान ग्रह की अवस्था व उसके बल के बारे में बताता है ग्रहों की अवस्थाओं को सही समझ कर हम कुंडली के फल कथन में सत्यता व प्रमाणिकता ला सकते हैं। कभी-कभी हम देखते हैं कि कुंडली को देख कर सीधा ही कह दिया जाता है क्योंकि यह ग्रह उच्च या नीच का है तो फला फला अच्छा या बुरा फल देगा परंतु जातक को जो फल मिलता है वह कुंडली देखने वाले के द्वारा बताए गए फल का उल्टा होता है ऐसा क्यों होता है आज हम इस वीडियो में इस कारण को समझेंगे।
मैं रितेश लगी अपने KALYAN ASTROLOGY के यूट्यूब चैनल पर आपका स्वागत करता हूं। you tube kalyan astrology इससे पहले की हम मुख्य विषय पर आये मेरी आप से प्राथना है अगर आपने मेरे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया तो प्लीज सब्सक्राइब करना व LIKE करना न भूले व राइट साइड पर बने बैल आइकन को भी अवश्य दबा दें, जिससे कि मेरी वीडियो की नोटिफिकेशन सीधे आप तक तुरंत पहुंच जाए।you tube kalyan astrology
ग्रहों की 5 अवस्थाएं होती हैं
1 बाल अवस्था 2 कुमार अवस्था
3 युवावस्था
4 वृद्धावस्था
5 मृत अवस्था
जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में पांच अवस्थाएं होती हैं ठीक उसी प्रकार से ग्रहों की भी पांच अवस्थाएं होती हैं। अक्सर ऐसा मान लिया जाता है कि यदि ग्रह के 0 डिग्री 1 डिग्री 2 डिग्री लिखा हुआ है तो वह उसकी बाल अवस्था है या मित्र मृत अवस्था है।
अगर 28 डिग्री 29 डिग्री 30 डिग्री लिखा है तो यह उसकी मृत अवस्था है परंतु वास्तविकता यह नहीं है। ग्रहों की अवस्थाएं बताती है , उसको प्राप्त है और ग्रह कुंडली कर सकते हैं ग्रहों की अवस्थाएं बताती है किस ग्रह को प्राप्त है व्यवस्था को प्राप्त है ब्रेव व्यवस्था यह बताती है कि कुंडली में उस ग्रह को कितना बल प्राप्त है।
और ग्रह के बल को जान हम कुंडली का फल कथन सही से कर सकते हैं। सबसे पहले तो हम यह जान लेते हैं कि ग्रह अगर बाल या मृत अवस्था में है तो क्या वह बिल्कुल ही निष्क्रिय हो जाएगा,क्योकि अक्सर ऐसा ही कह दिया जाता है ,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह कभी भी निष्क्रिय या फलहीन नहीं होते हैं। ग्रह कितना फल देगा यह उसके अंश के मान पर निर्भर करता है ग्रह अच्छा या बुरा फल देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रह कुंडली में कारक है अथवा अकारक है,, ग्रह अच्छा फल देगा या बुरा फल देगा यह इस बात पर निर्भर करता है की ग्रह की कुंडली में स्थिति क्या है,,ग्रह की युति किसके साथ है उस पर पड़ने वाली दृष्टि किस प्रकार की है।
ग्रह का बल यह बताएगा कि उस फल की मात्रा कितनी होगी जो जातक को उसके जीवन में उस ग्रह से मिलेगा अच्छा या बुरा ,
एक साधारण सा नियम है कि गृह बाल अवस्था में 25%,, कुमार अवस्था में 50%,,, युवावस्था में 100% ,,,वृद्धि अवस्था में 20% ,,,व मृत अवस्था में 5% फल देता है।
अब यह अवस्थाएं देखी कैसे जाती है, कुंडली में ग्रहों के साथ राशियों के अंक भी लिखे होते हैं। ग्रहों की अवस्थाओं को विषम व सम राशियों के आधार पर देखा जाता है।
सम राशिया है : वृषभ,,कर्क ,, कन्या वृश्चिक,, मकर,, मीन
ग्रहों की अवस्थाएं ग्रहों को प्राप्त बल रिंकू प्राप्त फल विषम व सम राशियों में इस प्रकार से देखे जाते हैं।
विषम राशि में हो या सम राशि में 13 से 18 डिग्री में ग्रह अपना 100% फल देगा। बुध व चंद्र कुमार अवस्था से युवावस्था तक अच्छा व भरपूर फल देते हैं वह अच्छा है या बुरा है वह एक अलग बात है।
गुरु व शनि युवावस्था से वृद्धावस्था तक भरपूर फल देते हैं वह अच्छा हो या बुरा बुधवार कुमार है व चंद्र माता अगर हम इन्हे अपने जीवन में भी उतारे तो हम पाते इन अवस्थाओं में हम खूब काम कर पाते हैं। शनि व ब्रहस्पति है न्यायाधीश व गुरु ये अपनी परिपक्व अवस्था में बढ़िया फल देते हैं।
0 व 29 डिग्री के ग्रह कोई फल नहीं देते ऐसा माना जाता है परन्तु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इन दो डिग्रियों को चमत्कारी अंश कहा गया है क्योंकि यहां से ग्रह एक नई दिशा में जाना शुरू हो जाता है।
ग्रह अच्छा या बुरा फल जिस बल जैसा भी देंगे वह निर्भर करेगा उसकी अवस्था पर जिसमें वह कुंडली में है।
हम जानते हैं कि हम पांच तत्वों से बने ग्रह भी उन्हीं तत्वों को दर्शाते हैं जिस ग्रह का बल कम हैं उस तत्व की कमी हमारे शरीर में होगी है। जिस ग्रह का बाल अधिक है उस तत्व की अधिकता हमारे शरीर होगी।
अगर कोई ग्रह आपकी कुंडली में बाल अवस्था में है वह कारक है तो आप उसका रत्न धारण करके उचित लाभ उठा सकते हैं। सम व विषम राशियों दोनों में 13 से 18 अंश तक ग्रह युवा रहता है। इस इन दोनों सम व विषम में 13 से 18 अंश तक ग्रह पुर्ण बली होता है,, यही वह बिंदु जंहा ग्रह से सबसे अधिक प्रभाव देता है , अच्छा या बुरा ,,
बाल अवस्था , कुमार अवस्था में यदि ग्रह कारक है तो उसके रत्नो व मंत्रों द्वारा पूजा पाठ उसे द्वारा बल दिया जा सकता है।
यदि शनि मकर राशि (सम) में है तो 25 से 30 डिग्री के बीच में मकर राशि मृत अवस्था नहीं मानी जाएगी यह बाल अवस्था होगी तो आप शनि को बल देकर उसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं।
मान लीजिए शनि कुंभ राशि कुंभ राशि (विषम) में शून्य 0 से 5 डिग्री में है तो शनि बाल अवस्था में है। शनि का लाभ उठा सकते हैं।
मृत ग्रह अगर कारक लग्न में है तो उसके अधिपति की आराधना करें तो उसका लाभ प्राप्त होगा अकारक है तो उसके रत्न को धारण ना करें दान करें पूजा पाठ करे उस ग्रह के।
ग्रहों की आपसी मित्रता और शत्रुता को समझे बगैर हम कुंडली का फल कथन सही नहीं कर सकते हैं
फल कथन सही हो ही नहीं पाएगा फल कथन में इतनी प्रमाणिकता नहीं आ पाएगी जितनी होनी चाहिए। कौन सा ग्रह किसका मित्र है कौन सा ग्रह किस का शत्रु है कौन से ग्रह आपस में सम है , मतलब ना मित्र है ना शत्रु है, जब तक यह ग्रहों की मित्रता और शत्रुता सही से ना समझे, तब तक हमारे फल कथन में वह सत्यता वा प्रमाणिकता नहीं आ सकती जो आनी चाहिए।
हमारे इस ब्लॉग का मुख्य विषय है, ग्रहों की आपस में मित्रता और शत्रुता,
इस ब्लॉग से आज आप यही बात बहुत अच्छी तरह से समझ पाएंगे कि कौन से ग्रह आपस में मित्र में कौन से ग्रह आपस में शत्रु होते हैं और कौन से ग्रह आपस में सम होते हैं। इन ग्रहो में मित्रता शत्रुता ऐसे ही नहीं है इन सब के पीछे ठोस कारण होते हैं कुछ मामलों में तो एक ग्रह जिस दूसरे ग्रह का मित्र होता है या मानता है वही दूसरा ग्रह पहले को मित्र नहीं मानता है या मित्र नहीं होता है।
ग्रहो तीन प्रकार की मित्रता होती है।
1 नैसर्गिक मित्रता
2 तात्कालिक मैत्री
३ इन दोनों को जब इकट्ठा करके हम देखते हैं तो बनती है पंचदा मैत्री
नैसर्गिक मैत्री का मीनिंग है प्राकृतिक मैत्री जो ग्रहों में अपने आप ही अपने स्वभाव के कारण से होती है।
इसी तरह से नैसर्गिक शत्रुता होती है जो ग्रहों में अपने स्वभाव के कारण पहले से ही होती है।
फिर होती है तात्कालिक मैत्री व तात्कालिक शत्रुता
तात्कालिक मैत्री व शत्रुता का मीनिंग है यह मैत्री कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार बनती है व देखी समझी जाती है फलकथन के समय के समय
पछता मैत्री में पांच प्रकार की मैत्री बताई गई है
1 मित्र ,2 अति मित्र 3 शत्रु ४,,,अति शत्रु 5 सम
इस चार्ट को देखकर हम बड़ी आसानी से समझ सकते हैं कि कौन सा ग्रह किसका नैसर्गिक मित्र है कौन सा ग्रह किसका नैसर्गिक शत्रु है वह कौन सा ग्रह किसके साथ सम है।
इस चार्ट से हमें यह पता लगता है कि चंद्र बुध को अपना मित्र मानता है जबकि बुध चंद्र को अपना शत्रु मानता है।
मुख्य रूप से तालिका को मोटे तौर पर याद रखने के लिए दो भागों में बांट सकते हैं
नंबर 1 सूर्य चंद्र मंगल
नंबर दो बुध शुक्र शनि राहु केतु
ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठते हैं वहां के तात्कालिक मित्र व शत्रु भी बना लेते हैं।
इन दो उदाहरणों से आप यह बात बहुत ही अच्छी तरह से समझ जाओगे
तात्कालिक मित्र
ग्रह जहां बैठेगा वहां से उस घर को पहला मानकर वहां से 2, 3 ,4 वह 10, 11, 12 घरों में बैठे ग्रहों से ग्रहों की उस ग्रह की तात्कालिक मेंत्री होती है।
उदाहरण के लिए बुध यहां पर दूसरे घर में है परंतु हम उसे पहला अगर मान कर चलेंगे तो इसमें दिखाई दे रहे लाल रंगों से आप समझ सकते हैं कि बुध कौ पहला घर मानकर शुरू करते हैं तो बुध 2, 3, 4, व 10 11 12 घरों में बैठे हुए ग्रहों के साथ तात्कालिक मैत्री निभाएगा चाहे वह उसके शत्रु ही क्यों ना हो।
तात्कालिक शत्रुता
ग्रह जहां बैठते हैं वहां से 5, 6,, 7,, 8, 9,, घरों में बैठे ग्रहों से तात्कालिक शत्रुता बना लेता है।
इस कुंडली को देख कर आप समझ सकते हैं कि बुध दूसरे घर में है, लेकिन उसे हम पहला घर मानकर चलेंगे व काले रंग से दिखाए गए घरों को देख क्र आप समझ सकते हैं कि 5, 6, 7,, 8,, 9,, बुध को पहला घर मानकर चलने पर पांच में छह , सातवें आठवें व नोवे घर में बैठे ग्रहों के साथ बु ध की तात्कालिक शत्रुता होगी चाहे उस घर में बैठे ग्रह उसके मित्र ही क्यों ना हो।
एक अन्य उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि बुध चौथे घर में है यहां पर हम बुध की तात्कालिक मैत्री व शत्रुता देखने के लिए बुध को पहला घर मान कर चलेंगे तो यहां से हम देखेंगे कि बुध से अगला पांचवा घर है वह दूसरा घर बन जाता है तो बुध को पहले घर को मानकर चलते हुए बुध से की दूसरे तीसरे चौथे व 10 ,11 १२ वे में जिन को की लाल रंग से दिखाया गया है यहां बैठे ग्रहों के साथ तात्कालिक मैत्री होगी चाहे वह उसके शत्रु ही क्यों ना हो।
बुध चौथे घर में है लेकिन , लेकिन उसे पहला कर मानकर 5, 6,,, 7,,, 8,,, 9,, घरो में बैठे ग्रह जो कि काले रंग से दिखाए गए हैं बैठे ग्रहों के साथ बुध की तात्कालिक शत्रुता होगी चाहे वह उसके मित्र ही क्यों ना हो।