साइकिल चलाना क्यों अर्थव्यस्था को चौपट कर सकता है,
साइकिल चलाना क्यों अर्थव्यस्था को चौपट कर सकता है, और बड़े पेट वालो के बड़े पेट पर लात मार सकता है, ,उनके सारे मंसूबे फेल कर सकता है की हर देश में उनका घर होगा , हर देश के बैंक में उनका पैसा होगा , उनके बच्चे सिर्फ जूस पियेंगे,पानी की तरफ तो देखेंगे भी नही , वो डालरो पर सोएंगे,डॉलर ओढ़ेगें,डॉलर खायेंगे डॉलर हगेंगे,
साइकिल की सवारी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था (GDP) के लिए कितनी हानिकारक हो सकती है ये आप आज जान मान जायेंगे,
सुनने में मजाक लग सकता है , परन्तु है सत्य
एक साइकिल चलाने वाला देश के लिए बहुत बड़ी मुसीबत है आपदा है, क्योंकि.......
वो गाड़ी नहीं खरीदता,
वो लोन नहीं लेता,
वो गाड़ी का बीमा नहीं करवाता,
वो तेल नहीं खरीदता,
वो गाड़ी की सर्विसिंग नहीं करवाता,
स्पेयर पार्ट वालो को मुंह चिड़ाता हुया जाता है
वो पैसे देकर गाड़ी पार्किंग नहीं करता,
पार्किंग के लिए झगड़ते लोगो को देख वह और अधिक शांति महसूस करता है की वो इन झमेलो से बचा हुया है।
वो ट्रैफ़िक चालान नहीं देता ,
और तो और
वो मोटा (मोटापा) नहीं होता।
वो गाड़ी साफ करने वाला भी नही लगाता
जी हां .....यह सत्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति
अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है, क्योंकि...
वो दवाईयां नहीं खरीदता,
वो अस्पताल व चिकित्सक के पास नहीं जाता
वो राष्ट्र की GDP में कोई योगदान नहीं देता।
ठीक इसके विपरित एक फ़ास्ट फूड की दुकान 30 नौकरी पैदा करती है........
10 हृदय चिकित्सक,
10 दंत चिकित्सक,
10 वजन घटाने वाले...!
हर हफ्ते doctor से सलाहलेने वाले की कुछ ठीक नही लग रहा
और भाईसाब पैदल वाला उसकी भी 🌞 सुन लो
पैदल चलना तो इससे भी अधिक ख़तरनाक होता है,
क्योंकि पैदल चलने वाला व्यक्ति तो साइकिल भी नहीं खरीदता