Saturday, 26 April 2025

तीन नशेड़ी

ज़रूर, मैं आपकी मदद करता हूँ। यहाँ कहानी को चार प्रॉम्प्ट में तोड़कर, गलतियों को ठीक करके प्रस्तुत किया गया है:
प्रॉम्प्ट 1:
तीन नशेड़ी और गंजेड़ी, नशे की हालत में एक साथ बैठे हुए थे। उनके दिमाग में अचानक एक विचार आया कि क्यों न कोई व्यवसाय शुरू किया जाए। पहला नशेड़ी उत्साहित होकर बोला, "क्यों न हम एक किराने की दुकान खोल लें?"
प्रॉम्प्ट 2:
दूसरे नशेड़ी ने पहले के विचार को खारिज करते हुए कहा, "नहीं यार, यह ठीक नहीं है। लोग उधार ले लेकर हमें कंगाल कर देंगे, और फिर उनसे पैसे मांगते फिरना पड़ेगा। यह झंझट का काम है।" तभी तीसरे नशेड़ी ने एक नया सुझाव दिया, "तो क्यों न हम गन्ने उगा लें? दो-तीन बार कटाई करके बेचेंगे और खूब सारा पैसा कमाएंगे।"
प्रॉम्प्ट 3:
लेकिन दूसरे नशेड़ी को यह विचार भी पसंद नहीं आया। उसने कहा, "नहीं यार, यह भी ठीक नहीं है। ये गांव वाले गन्ने तोड़-तोड़ कर खा जाएंगे, हमारे पास कुछ बचेगा ही नहीं।" निराशा में, दूसरे नशेड़ी ने गुस्से में कहा, "इन सालों की ऐसी की तैसी! क्यों न पूरे गांव में आग लगा दें? न होगा बांस, न बजेगी बांसुरी!"
प्रॉम्प्ट 4:
रात के अंधेरे में, तीनों नशेड़ियों ने मिलकर गांव में आग लगा दी। लोग दहशत में इधर-उधर भागने लगे, अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे और आग बुझाने में लगे हुए थे। यह देखकर तीनों नशेड़ी खूब हँस रहे थे और मज़ा ले रहे थे। तभी एक गांव वाला उनके पास से गुज़रा। एक नशेड़ी ने हँसते हुए उस गांव वाले से कहा, "और चूसो हमारे गन्ने!"

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