एक दिन गणित के एक समझदार और शांत स्वभाव वाले शिक्षक अपने छात्रों के साथ एक रेस्टोरेंट में पिज्जा खाने गए। मेनू देखकर उन्होंने दो 9 इंच व्यास वाले पिज्जा का ऑर्डर दिया, ताकि सभी बच्चों को भरपेट स्वादिष्ट पिज्जा मिल सके। कुछ देर बाद वेटर (थोड़ा आत्मविश्वास के साथ) चार गोल पिज्जा लेकर आया, जो पांच-पांच इंच व्यास के थे। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “सर, 9 इंच का पिज्जा तो खत्म हो गया है, इसलिए हम आपको 5 इंच के चार पिज्जा दे रहे हैं। आपको तो 2 इंच एक्स्ट्रा पिज्जा मुफ्त में मिल रहा है!”
गुरुजी मुस्कुराए, लेकिन मुस्कान में गणित की गंभीरता छिपी हुई थी। उन्होंने बड़े ही सौम्य स्वर में वेटर से कहा, “बेटा, रेस्टोरेंट के मालिक को बुला दो, उनसे थोड़ी पढ़ाई की बात करनी है।” कुछ ही पलों में मालिक हाजिर हो गया, आत्मविश्वास से भरा हुआ, मानो उसने कोई बड़ी सेवा कर दी हो।
गुरुजी ने विनम्रता से पूछा, “बेटा, आप कितने पढ़े-लिखे हैं?”
मालिक ने गर्व से कहा, “सर, मैं B.Sc. ग्रेजुएट हूँ।”
गुरुजी ने मुस्कुरा कर अगला सवाल दागा, “गणित कहां तक पढ़ा है?”
“सर, ग्रेजुएशन तक।”
“बहुत बढ़िया,” गुरुजी बोले, “तो बताइए, वृत्त का क्षेत्रफल कैसे निकालते हैं?”
“सर, πr²,” मालिक ने तुरंत जवाब दिया।
अब गुरुजी का चेहरा गंभीर हो गया। बोले, “मैंने आपसे दो 9 इंच डायमीटर के पिज्जा मंगवाए थे। यानी हर पिज्जा का रेडियस 4.5 इंच। उसका क्षेत्रफल होगा π × 4.5² यानी करीब 63.62 स्क्वायर इंच। दो पिज्जा का टोटल हुआ करीब 127.24 स्क्वायर इंच। आप सहमत हैं?”
मालिक बोला, “बिलकुल सर।”
गुरुजी ने आगे कहा, “अब आपने जो चार 5 इंच के पिज्जा दिए हैं, उनका रेडियस 2.5 इंच हुआ। एक का एरिया 19.64 स्क्वायर इंच। चार का टोटल एरिया हुआ 78.56 स्क्वायर इंच। यानी आपने न सिर्फ मेरी मात्रा घटाई, बल्कि यह कहकर उल्लू भी बनाया कि मुझे 2 इंच का पिज्जा मुफ्त में दिया जा रहा है!”
मालिक अब थोड़ा पसीने-पसीने हो गया। गुरुजी रुके नहीं, बोले, “अगर आप मुझे एक और 5 इंच का पिज्जा दे भी दें, तब भी टोटल एरिया 98.2 स्क्वायर इंच ही होगा, जो मेरे ऑर्डर के एरिया से कहीं कम है। अब बताइए, कहां है वो ‘फ्री’ वाला पिज्जा?”
रेस्टोरेंट का मालिक निशब्द खड़ा था। चेहरे पर अब वो आत्मविश्वास नहीं, बल्कि पश्चाताप झलक रहा था। आखिरकार, उसने चुपचाप वही चार पिज्जा एक साथ गुरुजी को सौंप दिए और दिल में ये सीख ले ली — "गणित के शिक्षक को कभी भी बेवकूफ समझने की भूल मत करना।"
और बच्चों ने उस दिन सिर्फ पिज्जा ही नहीं, ज़िंदगी का एक बड़ा पाठ भी सीखा — "हर चीज़ का हिसाब सिर्फ स्वाद से नहीं, अक्ल से भी लगाना चाहिए!"
शिक्षकों को कभी भी अंडरएस्टिमेट न करें। धन्यवाद!