क्यों भद्रा काल में राखी नहीं बांधते।
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जितने भी ग्रह नक्षत्र ,उनकी चाले , समय उनका शुभ अथवा अशुभ प्रभाव है ,यह सब युगो युगो से है ,किसी ने भी इसे आज नहीं निर्मित किया है ,जिस प्रकार सूर्य उदय ,सूर्यअस्त ,पूर्णिमा ,अमावस ,श्राद ,संग्रांद ,सब कुछ हजारो साल पहले से ही तय समय पर आता व जाता है ,ठीक उसी प्रकार ये राहु काल ,भद्रा इत्यादि है ,
c,d,&,c by ritesh nagi
कुछ लोगो को ऐसा लगता है की ऐसा मीडिया वाले या कोई एक व्यक्ति कर रहा है यह सब बदलाव ऐसा आने वाले युगो में भी सम्भव नहीं होगा की इन को आगे पीछे या कम या ज्यादा अपनी मर्जी से किया जा सके।
यदि आप श्राद्ध ,नवरात्रे ,पूर्णिमा अमावस ,संग्रांद ,मानते है तो भद्रा काल भी है , अन्यथा नहीं , हम ये नहीं कर सकते की अपनी सुवीधा अनुसार कुछ बाते माने कुछ नहीं , कभी वही सोशल मीडिया व व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी सही ,कभी व्ही गलत
दुनिया का इकलौता मंदिर जंहा भगवान् शिव गोपी के रूप में वास करते है
हर साल रक्षा बंधन का त्यौहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
इस साम सावन की पूर्णिमा ३० अगस्त को सुबह 10:58 से शुरू हो कर 31 अगस्त सुबह 07:05 तक है।
इस साल जिस दिन राखी है उसी दिन सुबह 10:59 से रात 09:०1 तक रक्षा बंधन पर भद्रा का साया रहेगा।
भद्रा के साये की वजह से राखी बांधने का शुभ व सही मुहूर्त 30 अगस्त रात 09:01 से 31 अगस्त सुबह 07:05 तक ही है।
हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए ,जिस प्रकार राहुकाल में नहीं करते ,इस लिए इस भद्रा काल के दौरान राखी बांधना अशुभ मन जाता है।
सूर्यदेव व छाया की पुत्री के रूप में भद्रा का ज न्म हुआ था , भद्रा का स्वभाव उथल पुथल वाला व आक्रामक है ऐसा माना जाता है
भारत की इकलौती नदी जिसे लोग अपवित्र मानते है वा छूने से भी डरते है।
भद्रा अपने आक्रमक व उपद्रवी स्वभाव के कारन धार्मिक कार्यो हवंन यज्ञ ,धार्मिक अनुष्ठानो में बाधा पहुंचाया करती थी।
तब किन्ही कारणों ब्रह्मा जी ने उससे कहा की तुम्हारा एक समय तय किया जा रहा है ,तुम सिर्फ उस तय समय में ही अपना प्रभाव कार्यो पर डाल सकोगी, हर समय नहीं।
तभी से भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
ज्ञान की बाते मिल कर बांटे
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बहुत खतरनाक है यह चौथा सिद्धांत
क्यों भद्रा काल में राखी नहीं बांधते
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