घमण्ड
एक बार सत्यभामा कृष्ण भगवान सुदर्शन चक्र वा गरुड़ जी आपस में बैठे हुए हंसी ठिठोली कर रहे थे. तभी अचानक सत्यभामा ने कृष्ण भगवान से पूछा है प्रभु की हे प्रभु मेरी एक समस्या का निवारण कीजिए मुझे बताइए की इस धरती पर इस द्वापर युग में या इससे पहले त्रेता युग में मुझसे ज्यादा सुंदर स्त्री क्या हुई है. और पूछा क्या सीता मुझसे अधिक सुंदर थी/ कृष्ण भगवान इससे पहले कि कोई जवाब देते हैं तभी सुदर्शन चक्र ने पूछा हे प्रभु क्या मुझसे ज्यादा शक्तिशाली इस धरती पर द्वापर युग में त्रेता युग में कोई हुआ है अब कृष्ण भगवान और सोच में पड़ गए कि यह अचानक हो क्या रहा है,, इतने में ही गरुड़ जी भी बोल पड़े पूछा हे प्रभु मेरी भी एक समस्या का निवारण कीजिए ,मुझे बताइए क्या द्वापर युग में या त्रेता युग में मुझसे अधिक गति से उड़ने वाला कोई हुआ है अब तो प्रभु सोचों में ही पड़ गए यह हो क्या रहा है यह सब तो घमंड के सागर में गोते लगा रहे हैं,,,,, इन्हें कैसे इस घमंड के सागर से बाहर निकाला जाए,,,,,, किशन भगवान ने उन तीनों से कहा, त्रेता युग वा द्वापर युग से संबंधित बात का अगर कोई जवाब दें सकता है तो वह हनुमानजी हैं जो उस युग में भी उपस्थित थे और आज भी उपस्थित हैं,,,,,, कहीं दूर हिमालय पर तपस्या में लीन हैं उन्हीं को यहां बुला लेते हैं वही आप तीनों की समस्या का निवारण करेंगे,,,,, इतने में गरुड़ जी तुरंत बोल पड़े प्रभु मैं जाकर हनुमान जी को ले आता हूं वह अब तक बूढ़े हो गए होंगे उन्हें काफी समय लग जाएगा,,,, मैं तो अभी जाऊंगा और तुरंत वापस आ जाऊंगा,,,, भगवान श्रीकृष्ण ने कहा ठीक है गरुड़ जी आप जाइए व हनुमान जी को यहां ले आइए, साथ ही उन्होंने सुदर्शन चक्र से कहा मैं कुछ समय विश्राम करने के लिए अपने कक्ष में जा रहा हूं ,,,,आप ध्यान रखिएगा की कोई मेरे आराम में बाधा ना डालें,,, सुदर्शन चक्र ने कहा प्रभु आप निश्चिंत होकर विश्राम कीजिए,,,, जब तक आप नहीं कहेंगे कोई आपके कक्ष में नहीं जाएगा,,,,, सत्यभामा भी यह सुनकर अपने कक्ष में चली गई,,,, गरुड़ जी बिजली की गति से हनुमान जी के पास पहुंचे,,,,, हनुमान जी तपस्या में लीन थे,,,, शरीर से वृद्धि लग रहे थे हनुमान जी को जैसे ही यह एहसास हुआ की कोई उनके पास आया है उन्होंने आंखें खोली ... गरुण जी को प्रणाम किया व उनके आने का प्रयोजन पूछा. गरुड़ जी ने कहा भगवान श्री कृष्ण ने आपको याद किया है....... हनुमान जी तुरंत चलने के लिए तैयार हो गए,,,,, गरुड़ जी ने कहा आइए आप मेरी पीठ पर सवार हो जाइए मैं तुरंत आपको वहां पहुंचा दूंगा,,,,,, हनुमान जी ने कहा नहीं आप चलिए मैं वहां पहुंच जाऊंगा,,,, गरुड़ जी ने फिर कहा आप वृद्ध हो गए हैं आपको समय लग जाएगा वह सफर में आप थक जाएंगे इसलिए आप मेरी पीठ पर सवार हो जाइए,,,, हनुमान जी ने कहा नहीं आप चलिए मैं वहां पहुंच जाऊंगा,,,, गरुड़ जी ने कहा ठीक है हनुमान जी जैसी आपकी इच्छा,,,,, गरुड़ जी वापसी के लिए उड़ चलें और कुछ ही पलों में भगवान श्री कृष्ण के महल में पहुंच गए,,,,,,,,, वहां पहुंचकर उन्होंने देखा के मुख्य कक्ष में कोई भी नहीं है,,, उन्हें लगा हनुमानजी को आने में कुछ समय लगेगा मैं तब तक भगवान श्रीकृष्ण को उनके आने की सूचना देता हूं,,,, गरुड़ जी जब भगवान श्रीकृष्ण के कक्ष में पहुंचे तो दृश्य देखकर हैरान रह गए की हनुमान जी वहां पहले से ही उपस्थित है उन्हें अपनी बात का जवाब मिल गया,,,, बातों की आवाज सुनकर सत्यभामा भी कक्ष में पहुंची,, सत्यभामा को देखते ही हनुमान जी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा हे प्रभु त्रेता युग में सीता माता , जो उस युग व द्वापर युग की सबसे सुंदर स्त्री थी क्या यह उनकी दासी है,,,, यह बात सुनते ही सत्यभामा का चेहरा उतर गया,,, परंतु उन्हें अपनी बात का जवाब मिल गया,,, अचानक श्रीकृष्ण भगवान ने हनुमान जी से पूछा जब आपने मेरे कक्ष में प्रवेश किया तो क्या किसी ने आप को रोका नहीं,,,,, हनुमान जी ने कहा हां प्रभु जब मैं आप के कक्ष में प्रवेश कर रहा था तो मुझे सुदर्शन ने रोकने की कोशिश की थी परंतु मुझे मेरे प्रभु से मिलने से कौन रोक सकता है ,,,, और यह कहते हुए उन्होंने अपना मुंह खोला मैं सुदर्शन को निकाल कर बाहर रख दिया,,,,,,, तीनों समझ गए कि यह लीला प्रभु ने हमारे अंदर पनप रहे घमंड को तोड़ने के लिए की है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, इस संसार में या किसी भी युग में घमंड किसी भी प्रकार का हो टूटता अवश्य है,,,,,,,,
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