Friday 10 November 2023

वाह प्रभु तेरे नजारे

वाह प्रभु तेरे नजारे
किसी तो मरे को जिन्दा कर  दे
किसी जिन्दा को जिन्दा ही मारे

एक गांव में किसान रहता था उसका नाम था सुखीराम उसकी पत्नी का नाम था धनिया, सुखी राम बहुत ही मेहनती इंसान  था।  सुखीराम   सारा दिन खेत पर खूब  मेहनत करता और शाम को जब घर वापस आता तो उसकी पत्नी शिकायत का पुलिंदा  लेकर बैठ जाती ,इससे  उसको बहुत गुस्सा आता। 



वह  धनिया को  बहुत समझता कि मैं थक हार आया हूं मुझे चाय दो पानी दो खाना दो और आराम करने दो. लेकिन उसकी पत्नी की आदत थी वह उलाहने दिया बगैर रहती ही नहीं थी।  इसलिए अक्सर उन दोनों में खूब झगड़ा व  बहस हो जाती थी और दुखी होकर  सुखी राम धनिया को पीट दिया करता था धनिया पिटने  के बाद  उसे हर बार कहती थी कि मैं एक दिन तुम्हें छोड़कर मायके चली जाऊंगी फिर नहीं आऊंगी। 




 एक दिन सुखी राम को जब उसने खूब सताया तो सुखी राम ने कहा चल मैं तुझे आज  तेरे मायके में ही छोड़ कर आता हूं और वह दोनों  कुछ देर बाद समान लेकर  धनिया के  मायके को निकल पड़े। रास्ते में सुखीराम  को प्यास लगी ,जंगल में एक  कुआं था पानी लेने के लिए सुखी  जैसे ही झुका धनिया ने उसे पीछे से धक्का देकर कुएं में गिरा दिया और  वहां से अपने मायके चली गई 
 सुखी राम को तो जीने मरने की नौबत आ गई सुखी  राम कुएं  में से  ही  बचाओ बचाओ बचाओ तेज तेज छिलने लगा ,, उसकी किस्मत अच्छी थी एक राहगीर वहां से निकल रहा था तो उसने किसी तरह से  उसे कुए से बाहर निकाल दिया।  सुखीराम वहां से निकलकर सीधा अपने घर गया घर वालों को बताया कि वह अपनी पत्नी को मायके छोड़ आया और रास्ते में कहीं गिर गया था इसलिए उसे थोड़ी सी चोट लग गई और वह आराम करने चला गया। 
अगले दिन से रोज खेत पर जाकर पहले की तरह से काम करने लग गया उसने यह बात किसी को बिल्कुल भी नहीं बताई जो जंगल में उसके साथ हुयी थी। 

जब  काफी दिन बीत गए सुखी राम अपनी पत्नी को लेने गांव नहीं गया तो   तो उसके घर वालों ने भाइयों ने उसके पिता ने उसकी मां उसे  कहा की बहुत दिन हो गए है  जाकर बहू को ले आये।  सुखी  राम बात को टालमटोल करता रहा। 

जब और भी काफी दिन बीत गए सुखीराम के पिता ने उसे सख्ती  से कहा कि जाकर बहू को ले आये  ऐसे  अच्छा नहीं लगता,,, सुखी राम को धनिया को लेने उसके गांव में जाना पड़ा। सुखीराम जैसी धनिया के घर पहुंचा  धनिया की  उसको देखकर  चीख निकल गई।  वहां  का माहौल यह था कि उसके घर वालों को लग रहा था कि दोनों में कोई झगड़ा हो गया और सुखीराम उसे  लेने कभी भी नहीं आएगा। 

तो शायद सुखी राम को देखकर खुशी से इसकी चीख निकल गई है लेकिन सच तो धनिया को व  सुखी राम को पता था कि उसकी चीज क्यों निकली है।  खैर धनिया व  सुखी राम ने किसी को भी कुछ भी नहीं बताया,, सुखी  धनिया को लेकर चुपचाप अपने गांव आ गया पूरे रास्ते दोनों ने कोई भी बात नहीं की। 

धनिया के दिमाग में बात थी कि अगर इसने यह बात किसी तरह से साबित कर दी कि मैं इसे धक्का देकर जान से मारने की कोशिश की है तो सजा हो जाएगी,बेइज़्जती होगी , साडी जिंदगी मायका व ससुराल उसे जलील करेंगे ,इसलिए उसने अब अपने मुँह को ता ला लगा लिया ,कभी कभी उसे  लगता था की शयद सुखी की यादाशत चली गयी है जो उसे वह  घटना  याद ही नहीं है। 
लेकिन अब दोनों में बिल्कुल भी लड़ाई झगड़ा नहीं होता था क्योकि धनिया अपना मुँह खोलती ही नहीं थी किसी भी बात के लिए ,, दोनों बात ही नहीं करते थे एक दूसरे से धनिया  ने उसे   ताने मारने बंद कर दिए थे

वक्त बीतता गया दुनिया के दो पुत्र हुए बड़े हुए जवान हुए  व  काम करने साथ जाने लगे फिर उनकी शादियां हुई उनके भी बच्चे हो गए और उनके परिवार सुख से जीवन बिता  रहा था ,, लेकिन इस दौरान कभी भी सुखी राम ने धनिया को ना कभी भी किसी और को कोई भी बात नहीं बताई। 

लेकिन इन 20-25 सालों में धनिया के जीवन में सुखीराम के जीवन में एक बदलाव आया कि उसकी पत्नी सुखी की  खूब सेवा  करती  बच्चो  से व बहुओं से भी करवाती 

 सुखीराम को उसकी छोटी बहु  खेत पर खाना देने जाती थी तो सुखीराम मन ही मन मुस्कराता व गुनगुनता   वाह  प्रभु तेरे नजारे किसी को मारे  किसी को तारे अपने तो मजे हैं सारे ही सारे। 
बहु  रोज देखती  कि जब भी मैं इसे खाना देती  हूँ यह कुछ ना कुछ गुनगुनाता   है , तो उसे एक दिन ऐसा महसूस होने लग गया कि जैसे वह उसे छेड़ता है , उसने आखिर हार  कर यह बात अपने पति को बताई पति ने अपनी मां को बताई , . माँ ने कहा  की  नहीं ऐसा नहीं हो सकता सुखी राम ऐसा व्यक्ति नहीं है हम ऐसा करते हैं आपसे दूसरी बहू को खाना देकर भेजा करेंगे ,तब देखते है क्या होता है। 

अब दूसरी बहू खाना लेकर जाने लग गई खेत पर तो  फिर सुखीराम मन ही मन मुस्कराया  व गुनगुनया    वाह  प्रभु तेरे नजारे किसी को मारे  किसी को तारे अपने तो मजे हैं सारे ही सारे। 

दूसरी बहु ने  जाकर यह बात पति को और सास को बताई तो उन्होंने फैसला किया कि अब तो इससे बात करनी ही पड़ेगी कि इसका दिमाग खराब हो गया जो बहूयो  को छेड़ता है उनसे गलत तरीके से बातें करने की कोशिश करता है। 


और उस  दिन उन्होंने घर के अंदर ही पंचायत लगा ली और धनिया ने   सुखी राम को कहा कि बता  तू ऐसे क्यों करता है सुखी राम ने बहुत टा लने की कोशिश उसने कहा ऐसा कुछ भी नहीं है मेरे लिए बहुये  बेटियों के समान है,,मेने  कभी किसी के बारे में  गलत नहीं सोचा ,बहुओं ने  कहा फिर आपको इस बात का जवाब देना ही होगा कि आप ऐसा क्यों बोलते हो नहीं तो हम सब घर  छोड़कर जा रहे हैं
आप अकेले ही रहो इस घर में

मजबूर होकर सुखी राम को उनको सारी बात बतानी पड़ी की किस तरह से धनिया  तुम्हारी मां लड़ाई झगड़ा करती थी, दोनों जंगल से जा रहे थे ,, धनिया ने   मुझे धक्का दिया,किसी राहगीर ने  मेरी जान बचाई ,,,दिमाग काम क्र गया मेरा ,मैंने उसका आज भी एड्रेस लेकर रखा हुआ है ,, जरूरत पड़े तो तुम जाकर उसे मिलकर सारी घटना के बारे में पूछ सकते हो
बच्चों ने मां से पूछा ,क्या यह सब सच है ,,धनिया ने कहा  की हां ऐसा मैंने किया था मैं मानती हूं मेरी गलती है मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। 

अब बच्चो ने पिता से पूछा की वो ये क्यों गुनगुनाते है की,,,,,   वाह  प्रभु तेरे नजारे किसी को मारे  किसी को तारे अपने तो मजे हैं सारे ही सारे। 

 तो सुखी राम बोलै देखो में मर क्र जिंदा हो गया ,तुम्हारी माँ जो बहुत ही बोलती थी गरजती थी , अपने  कुकर्म के कारण   जिन्दा हो कर भी मृत सामान हो गयी ,हर समय दृ रहती थी पोल न  खुल जाये , में खुल कर जीने लगा ,,ये मर मर कर ,, मेंने बात परिवार की व पत्नी की भलाई के लिए कभी किसी को नहीं बताई ,उसक मुझे फल मिला तुम दो बेटे व दो  बहुये ,ये प्यारे प्यारे पौत्र  व पोत्रिया , इस लिए में ऐसा बोलता हूँ ,
जब हम किसी भलाई के लिए अपना दुःख छुपा या पि जाते है तो हमे बदले में बहुत कुछ बहुत अच्छा   मिलता है ,




आज से लगभग 70 साल पहले जिस सिद्धांत बच्चो की परवरिश होती थी वो था आज्ञा का सिद्धांत, आदेश आधारित सिद्धांत Instruction based theory,


किसी भी बड़े ने अगर अपने से  छोटे को कुछ कह दिया तो छोटा उसे बिना किसी न नुकर के मान लेता था, वो बड़ा कोई भी हो सकता था, दादा,दादी,पापा , ताया, बड़ा भाई कोई भी


फिर आया discussion based theory, विचार विमर्श का सिद्धांत अगर किसी बड़े ने माता ने ,पिता ने ,दादा ने या बड़े भाई ने अपने से छोटे को कुछ कहा,तो ,अगर छोटे को ठीक  नहीं लगा तो विचार विर्मश होता था


 ।अगर बड़ों ने कुछ कह दिया तो ,बात होती थी,ऐसा क्यों , या ऐसा क्यों नही,
अगर छोटे को बात नही भी समझ आती थी ,वो कह देते थे हमे समझ नही आया पर क्योंकि आप कह रहे है तो हम मान लेते है ।


फिर आया debate based theory, मां बाप ने कुछ कहा नहीं की बस बहस शुरू हो गई,
यानी की बहस का सिद्धांत, अब कोई भी बड़ा अपने से छोटे को कुछ भी कहे,बिना बहस मामला नही निबटता था।
मां बाप ने कहा प्रणाम करो,तो क्यों करे, भगवान है,तो जरूरी है सिर्फ यहीं है,कल तो कह रहे थे hr जगह है,
प्रणाम करो भगवान आशीर्वाद देगे,अच्छा तो प्रणाम नही करेंगे तो आशीर्वाद नही देगे, तो फिर भगवान कैसा,
बस आप एक बात बोलो बहस शुरू,
इस बहस के साथ एक बात और हुई इस पीढ़ी को ये गलत फहमी हो गई की हमे अपने मां बाप से ज्यादा अक्ल va समझ है,


अब आया चौथा चरण deny based theory, मां बाप ने कुछ भी कहा,सुना भी नही सही से बस सीधा ना, 
इस समय यही दौर चल रहा है जिसका परिणाम आया कलह

अब चल रहा है कलह का सिद्धांत, अब कोई भी बड़ा किसी अपने छोटे को कुछ भी कहे, सीधा जवाब मिलता है न, और फिर शुरू होती है बहस और फिर कलह , और धीरे धीरे मां बाप और बच्चो के बीच में हर बात पर कलह होनी तो अब पक्की जैसी बात हो गई है ।
मां बाप घर में बच्चो को संस्कार दे रहे है,परंपरा समझा रहे है,समजायिश दे रहे है ,वो दो पल को समझते भी है, तो
जब घर से बाहर जाते है तो वहां दुष्कर्मों की,दुराचारों की व्यसनों की, वासना की आंधी ,तूफान थपेड़े चल रहे है,
केसे बचाएंगे इन बच्चो को ,सुनते ये है नहीं, हर बात पर बहस ये करते है।
जिन जवान बच्चो को देख कर कभी बाप की छाती चौड़ी हो जाती थी,मां का चेहरा खिल जाता था, आज बाप डर जाता है मां घबरा जाती है ,की पता नहीं कब किस बात पर अभी बहस शुरू हो जाए कलेश पड़ जाए,
इन बच्चो को देख कर लगता है 
अभी रोशनी दो कदम ही गई है
दिए को किसी की नजर लग गईं है।
केसे बचाएंगे इन बच्चो को 

यह सबसे खतरनाक सिद्धांत है जिस   आज कल की पीढ़ी चल रही है , 

ज्ञान,,,knowledge                ज्ञान,,,knowledge             ज्ञान,,,knowledge        ज्ञान,,,knowledge



भारत की इस श्रापित नदी के बारे आप जानते है क्या

भारत की इकलौती नदी जिसे लोग अपवित्र मानते है वा छूने से भी डरते है।

एक नदी को यमराज की बहिन व सूर्य की पुत्री कहा जाता है।

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क्यों सास बहू कहा जाता इन नदियों को 

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ज्ञान जन्मो जन्मो तक रहता है knowledge remains as eternal









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