औरते आखिर चाहती क्या है
एक बार एक राजा राजा युद्ध में हार गया
उसे जब जीते हुए राजा के सम्मुख पेश किए गया । जीता राजा अपनी जीत से प्रसन्न था और उसने हारे राजा के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा की अगर
तुम मुझे एक प्रश्न का बिलकुल सटीक उत्तर लाकर दोगे तो में तुम्हे तुम्हारा राज्य लौटा दूंगा , नहीं तो उम्र कैद के लिए तैयार रहो
जीते हुए राजा ने कहा
प्रश्न है एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ?
में तुम्हे एक महीने का समय देता हु हरे हुए राजा ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया..
वे सटीक उत्तर के लिए बहुत जगहो पर जाकर विदुषियों, विद्वानों , घरेलू स्त्रियों , नृत्यांगनाओं, वेश्याओं, दासियों और रानियों, साधु साध्वी सब से मिला और पूछा कि एक स्त्री को सचमुच क्या चाहिए होता है ?
किसी ने सोना, किसी ने चाँदी, किसी ने हीरे जवाहरात, किसी ने प्रेम-प्यार, किसी ने बेटा-पति-पिता और परिवार तो किसी ने राजपाट और संन्यास की बातें कीं, मगर हारे हुए राजा को सन्तोष न हुआ।
महीना लगभग ख़त्म होने को आया और हर्षवर्धन को कोई संतोषजनक सही सटीक जवाब नहीं मिला..
फिर उसे पता लगा की दूर देश में एक जादूगरनी रहती है, उसके पास हर चीज का सही जवाब होता है शायद वह उसके पास इस प्रश्न का भी जवाब हो..
हारा हुआ राजा अपने मित्र बलराम के साथ जादूगरनी के पास गया और अपना प्रश्न उसके सामने रखा
जादूगरनी ने हारे हुए राजा के मित्र की ओर देखते हुए कहा.. की
मैं आपको सही उत्तर बताऊंगी परंतु इसके बदले में आपके मित्र( बलराम ) को मुझसे शादी करनी होगी ।
जादूगरनी , बेहद बदसूरत एक बुढ़िया थी, उसके बदबूदार मुंह से सड़े हुए दांत दिख रहे थे
जब उसने अपनी जहरीली मुस्कुराहट से हरे हुए राजा के मित्र को देखा ।
हारे हुए राजा ने अपने मित्र को परेशानी में नहीं डालने के लिए मना कर दिया,
बलराम अपने मित्र के जीवन की खातिर जादूगरनी से विवाह को तैयार हो गया
तब जादूगरनी ने उत्तर बताया..
"स्त्रियाँ चाहती है वो जो मर्जी करे उन्हें कोई रोके तोके नहीं हैं | "
यह उत्तर इस हारे हुए राजा को कुछ सही लगा पहले के हर उत्तर से
जब उसने यह जीते हुए राजा को बताया तो राजा ने भी इसे स्वीकार कर लिया और उसने हारे हुए राजा को उसका राज्य लौटा दिया
इधर जादूगरनी से बलराम का विवाह हो गया, जादूगरनी ने प्रथम रात्रि को अपने पति से कहा..
चूंकि तुम्हारा हृदय पवित्र है और अपने मित्र के लिए तुमने अपना बलिदान दिया है इसलिए मैं चौबीस घंटों में से बारह घंटे तो सुंदरी आज्ञाकारी पतिवर्ता के रूप में रहूंगी और बाकी के बारह घंटे अपने सही रूप में, बताओ तुम्हें क्या यह पसंद है ?
बलराम ने कहा.. प्रिये, अब यह निर्णय तुम्हें ही करना है, मैंने तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया है, और तुम्हारा हर रूप मुझे पसंद है ।
जादूगरनी यह सुनते ही सुंदरी बन गई, उसने कहा,,,,,,,क्योकि
तुमने अब यह निर्णय मुझ पर छोड़ दिया है तो मैं अब हमेशा इसी रूप में रहूंगी, तुम मुझे इसी रूप में हर समय देखोगे
अर्थात अगर तो आप ,कोई भी अपनी पत्नी को रोके टोकेगा नहीं तो उसे वः भी चुड़ैल बन कर तंग नहीं करेगी
और अगर रोका टोका तो वो कितनी भी सूंदर क्यों न हो वो अपना जादूगरनी वाला डरावना रूप ही दिखाएगी