जैसा ही हम सभी जानते है ,अब covid की तीसरी लहर की भी बात शुरू हो गयी है। अभी दूसरी गयी नहीं और तीसरी वा चौथी लहर की बाते शुरू हो गयी है। ,,तो हम ऐसा क्या करे की तीसरी ,चौथी ,या पांचवी ,या कोई भी लहर हो हमे न सोचना पड़े की क्या करना है खुद को व् अपने परिवार को अपने आने वाली पीढ़ियों को ऐसी मुश्किलों , ऐसी बीमारियों से बचाने के लिए ,अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को ऐसी बीमारियों का डर विरासत में मिल जायेगा
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पिताजी यह बताया करते थे कि जिस प्रकार किसी को कहा जाता कि तेरा खून बहुत मीठा है इसलिए मच्छर तुझे बहुत काटते हैं तो हमें जीवन में कुछ ना कुछ कड़वा खाते रहना चाहिए ,जिससे कि खून में थोड़ा सा कड़वापन रहे उस कड़वे पन से क्या होता है कि किसी भी प्रकार के ना तो बाहर से मक्खी मच्छर तंग करते हैं और ना ही खून के अंदर के, अगर कोई वायरस कोई विषाणु प्रवेश कर भी जाता है तो वह किसी भी प्रकार से हमें तंग नहीं कर पाता है,
हमारे अंदर का इम्यून सिस्टम ही इतना स्ट्रांग हो जाता है कि बाहर से जब कीटाणु अंदर प्रवेश करता है तो वह अंदर के इम्यून सिस्टम के पास हर प्रकार का ब्रह्मास्त्र देख कर वहीं से वापस हो जाता है या हम यह कह सकते हैं कि हमारे अंदर के इम्यून सिस्टम इस प्रकार से हथियार बंद हो जाते हैं कि किसी भी प्रकार का वायरस क्यों ना हो उसे मिनटों से वह से भगा देते है और अगर मान लीजिए कोई बीमारी आ भी जाती है तो वह आपको ज्यादा तंग नहीं कर पाती ,
चाहे 5 मिनट करो योगा एक्सरसाइज शुरू करो घर पर ही करो बाहर के प्रोटीन खाने की बजाय उन वस्तुओं का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करो जिनसे हमें प्रोटीन मिलते हैं
आज मैं आपको अपनी इस वीडियो में बताने जा रहा हूं ऐसे बहुत सारे उपाय हैं, जो हमारे बड़े बुजुर्ग अपने समय में किया करते थे, अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना कर, जब ऐसे किसी वायरस का किसी के दिमाग में खाबो ख्याल भी नहीं था।
मेरे पिताजी कहा करते थे अगर तुम यह कुछ उपाए महीने में एक आध बार भी कर लेते हो तो ,कभी भी कोई भी बीमारी अव्वल तो तुम्हे छुएगी ही नहीं और अगर छू गयी तो एक आध दिन ये ज्यादा टिकेगी नहीं।
ये उपाए सीधे व सरल है , जिन्हें हम यदि करते हैं तो जीवन में कभी भी हमें किसी भी प्रकार का कोई भी वायरस क्यों ना हो वह हमे कभी भी तंग नहीं कर पाएगा और यदि हम इन उपायों को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते है ; जो की बहुत ही सहज व सरल है करते हैं तो हम अपनी पीढ़ियों को सुरक्षित कर सकते हैं आने वाली इस प्रकार की किसी भी बीमारी से।
पिताजी यह बताया करते थे कि जिस प्रकार किसी को कहा जाता कि तेरा खून बहुत मीठा है इसलिए मच्छर तुझे बहुत काटते हैं तो हमें जीवन में कुछ ना कुछ कड़वा खाते रहना चाहिए ,जिससे कि खून में थोड़ा सा कड़वापन रहे उस कड़वे पन से क्या होता है कि किसी भी प्रकार के ना तो बाहर से मक्खी मच्छर तंग करते हैं और ना ही खून के अंदर के, अगर कोई वायरस कोई विषाणु प्रवेश कर भी जाता है तो वह किसी भी प्रकार से हमें तंग नहीं कर पाता है,
हमारे अंदर का इम्यून सिस्टम ही इतना स्ट्रांग हो जाता है कि बाहर से जब कीटाणु अंदर प्रवेश करता है तो वह अंदर के इम्यून सिस्टम के पास हर प्रकार का ब्रह्मास्त्र देख कर वहीं से वापस हो जाता है या हम यह कह सकते हैं कि हमारे अंदर के इम्यून सिस्टम इस प्रकार से हथियार बंद हो जाते हैं कि किसी भी प्रकार का वायरस क्यों ना हो उसे मिनटों से वह से भगा देते है और अगर मान लीजिए कोई बीमारी आ भी जाती है तो वह आपको ज्यादा तंग नहीं कर पाती ,
एक कहावत है की रोज थोड़ा थोड़ा पढ़ लो यह उससे तो बेहतर है की आखिर में 18 ,18 घंटो बैठ कर पढ़ना पड़े ,
यंहा पर एक बात हमे पहले समझ लेनी चाहिए की जब हम किसी चीज को उबालते है तो उसकी तासीर भी गरम हो जाती है व बहुत सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते है ,ऐसे गर्म काढ़े शरीर में बहुत से विकार भी पैदा करते है अगर लगातार पिए जाये। वंही दूसरी तरफ जब हम किसी पदार्थ को रात को पानी में भिगो कर रखते है व सुबह पीते है तो उसकी तासीर ठंडी हो जाती है व पोषक तत्व नष्ट नहीं होते ,व हम इन्हे लगातार पी सकते है
हम चरेता क्रेता नाम की डांडिया हुआ करती थी जो कि नीम की डंडियों की तरह हुआ करती थी इन्हें पानी में रात को भिगो कर रख देते थे सुबह उस पानी को हमे पिलाया जाता था ,और इसी प्रकार इन्हीं डंडियों को तीन-चार दिन तक इस्तेमाल करते थे उसके बाद उन्हें ने फेंक देते थे या किसी पौधे में डाल दिया जाता था कहते हैं की इनके इस्तेमाल से हमारे खून में इस तरीके की ताकत आ जाती है ,या दूसरे शब्दों में कहे की हमारा इम्यून सिस्टम इस कदर ताकतवर हो जाता है कि कोई भी विषाणु खून के अंदर अपना कार्य नहीं कर पाता।
यंहा पर एक बात हमे पहले समझ लेनी चाहिए की जब हम किसी चीज को उबालते है तो उसकी तासीर भी गरम हो जाती है व बहुत सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते है ,ऐसे गर्म काढ़े शरीर में बहुत से विकार भी पैदा करते है अगर लगातार पिए जाये। वंही दूसरी तरफ जब हम किसी पदार्थ को रात को पानी में भिगो कर रखते है व सुबह पीते है तो उसकी तासीर ठंडी हो जाती है व पोषक तत्व नष्ट नहीं होते ,व हम इन्हे लगातार पी सकते है
हम चरेता क्रेता नाम की डांडिया हुआ करती थी जो कि नीम की डंडियों की तरह हुआ करती थी इन्हें पानी में रात को भिगो कर रख देते थे सुबह उस पानी को हमे पिलाया जाता था ,और इसी प्रकार इन्हीं डंडियों को तीन-चार दिन तक इस्तेमाल करते थे उसके बाद उन्हें ने फेंक देते थे या किसी पौधे में डाल दिया जाता था कहते हैं की इनके इस्तेमाल से हमारे खून में इस तरीके की ताकत आ जाती है ,या दूसरे शब्दों में कहे की हमारा इम्यून सिस्टम इस कदर ताकतवर हो जाता है कि कोई भी विषाणु खून के अंदर अपना कार्य नहीं कर पाता।
इसी तरह से हम नीम की डंडियों का भी उपयोग कर सकते हैं 2 दिन तक उनका पानी पी लें फिर सुबह उन्ही डंडियों से दातुन कर लो , सोने पर सुहागा हो जाएगा
फिर वह में यह समझाया करते थे कि हफ्ते में एक बार कम से कम या हो सके तो रोज नीम की दो या चार नई उगी पतिया खा लेनी चाहिए फिर अगर कोई कीटाणु शरीर में प्रवेश कर भी जाये तो अपने मकसद को अंजाम नहीं दे पाते। शुगर और हमेशा कंट्रोल रहती है ,
इसी प्रकार से १५ दिन में एक बार गिलोय का पानी भी पी लेना चाहिए बजाए इसके की जब हम बीमार पड़ेगे तभी पिएंगे
इसी प्रकार हफ्ते में एक दिन या दो दिन पिसी हुयी फिटकरी से दांत साफ़ करने चाहिए ,पहला कुल्ला कर के पानी बहार फेंक दो ,दूसरी बार का पानी पीलो ,कोशिश करो एक दिन बुध वार हो जब आप ये उपाए करे।
अब इतनी ऑक्सीजन की महत्वता समझ आ गयी है तो तो भी समझ लो की अपने जीवन में कम से कम एक पीपल,एक बरगद ,व एक नीम का पेड़ अपने आने वाली पीढ़ियो के लिए अवश्य लगाए ,,ये सरकार सिर्फ स्मार्ट शहर व मल्टीस्पेशलटी हॉस्पिटल ही बना सकती है ,या आगे चल कर बिसलरी की तरह ऑक्सीजन के छोटे सिलिंडर बेचना शुरू कर देगी ,जो हमारे बच्चे हर समय अपने साथ ले क्र घुमा करेंगे जैसे आज स्कूल जाते समय पानी की बोतल साथ ले कर जाते है ,हर व्यक्ति को चाहिए की वो जंहा भी कोई पीपल बरगढ़ या नीम मिले उसको पानी दे ,उसकी सेवा करे ,इन मुंसिपल्टी वालो को छंटाई के नाम पर इन्हे काटने न दे।
अब इतनी ऑक्सीजन की महत्वता समझ आ गयी है तो तो भी समझ लो की अपने जीवन में कम से कम एक पीपल,एक बरगद ,व एक नीम का पेड़ अपने आने वाली पीढ़ियो के लिए अवश्य लगाए ,,ये सरकार सिर्फ स्मार्ट शहर व मल्टीस्पेशलटी हॉस्पिटल ही बना सकती है ,या आगे चल कर बिसलरी की तरह ऑक्सीजन के छोटे सिलिंडर बेचना शुरू कर देगी ,जो हमारे बच्चे हर समय अपने साथ ले क्र घुमा करेंगे जैसे आज स्कूल जाते समय पानी की बोतल साथ ले कर जाते है ,हर व्यक्ति को चाहिए की वो जंहा भी कोई पीपल बरगढ़ या नीम मिले उसको पानी दे ,उसकी सेवा करे ,इन मुंसिपल्टी वालो को छंटाई के नाम पर इन्हे काटने न दे।
पीपल के नए उगे पत्ते एक या दो हफ्ते में एक या दो बार खा लेने से शरीर की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता में बेतहाशा वृदि होती है ,व आर्युवेद के अनुसार शरीर की इम्युनिटी व कार्य की क्षमता बहुत बढ़ जाती है ,,,जब भी मौका मिले हफ्ते में एक बार पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे एक या दो घंटे बिताये ,वो जो purest फॉर्म ऑफ़ फ्रेश ऑक्सी आप के अंदर जाएगी ,वोआप के फेफड़ो को फिर से जवान कर देगी
बचपन में जो टाटरी हम स्कूल के बहार
25 पैसे की ले क्र कभी कभार खा लिया करते थे , आज समझ में आया की वो सस्ती सी मिलने वाली टाटरी शरीर के अंदर इस कदर कीटाणुओं में तबाई मचती थी की कभी भी किसी बच्चे ने उस समय में हाथ नहीं धोते थे कुछ भी खाने से पहले ,और कोई भी बीमार नहीं पड़ता था।
हर बात एकदूसरे से जुडी है ये भगवान् शब्द का मतलब है भूमि ,गगन ,वायु ,अग्नि ,नीर ,जब तक इनका संतुलन प्रकृति में ठीक रहेगा तब तक सब ठीक चलता रहेगा ,अन्यथा बर्बादी ही बर्बादी ,तो अपन को बस इतना करना है की इस बर्बादी में हम अपना योगदान न दे ,एक सादारण सा इंसान आज अपने यंत्रो के द्वारा हर व्यक्ति की हर हरकत हर बात पर पर नजर रख सकता है तो जिस प्रकृति ने उसे बनाया है क्या वो हमारे हर कर्म का लेखा जोखा नहीं रख सकती ,वो हमसे अरबो खरबो गुना जयादा सयानी है , जितनी हम पानी की बर्बादी कम करेंगे उतने ही हमारे नंबर प्रकृति की रिपोर्ट कार्ड में बढ़ते जायेगे ,व प्रकृति कैसे न कैसे उनका इनाम आपको अवश्य देगी ,,,,
डिटर्जेंट का इस्तमाल कम से कम करो ,ये utrofication करता है जिससे पानी में ऑक्सीजन कम हो जाती है ,व जीव जंतु मरने लगते है
A C का इस्तमाल बिलकुल बंध होना चाहिए ,A C का इस्तमाल एक दुष्चक्र को जनम देता है ,एक AC किसी भी कूलर से कई गुना ज्यादा बिजली की खपत करता है ,इससे ऊर्जा पैदा करने वाले संसाध्नों पर दबाव पड़ता है वह और अधिक ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए और अधिक ईंधन इस्तमाल किये जाते है ,जिससे प्रकृति में कार्बन डई ऑक्साइड की मात्रा और बढ़ जाती है , इससे पौधा घरप्रभाव (GREEN HOUSE EFFECT )और बढ़ जाता है , जिससे वातावरण में और गर्मी बढ़ जाती है। AC का इस्तमाल और बढ़ जाता है ,
दूसरा AC का इस्तमाल करने के लिए सब खिड़की दरवाजे बंद कर के घर को या कमरे को कबूतर खाना बना दिया जता है ,जंहा फ्रेश एयर नहीं आ सकती, और इस पर भी इस AC का दुष्प्रभाव ख़तम नहीं होता ,AC में रहने वाले व्यक्ति को हर समय ,हर जगह गर्मी लगती है ,क्योकि उसका शरीर जब वातावरण में गर्मी है उस समय उस ठंडक का अभ्यस्त हो जाता है है जो की कृतिम है ,, और CETRALISED AC ,इससे भी कई गुना ज्यादा दुष्प्रभाव पैदा करते है ,CENTRALISED AC में बहुत सरे लोग विषाणुओं के बहुत ही फवौराबले मन भाने तापमान को मौका देते है की एक इंसान से दूसरे में पूरी ताकत से घुस जायो ,व अपना रंग दिखायो।
ये मास्क किसी समस्या का हल नहीं है जब हम ऑक्सीजन की absence ,या कमी में सांस लेते है तो सरीर में जेहरीले तत्व बनते है ,जो आगे चल कर बहुत प्रकार से श रीर को बीमारियों का सबसे आसान निशाना बना देते है ,क्योकि इम्युनिटी बहुत कमजोर हो जाती है ,,वंही दूसरी तफ जब हम ऑक्सीजन की प्रजेंस में या खुली हवा में ,या ऑक्सीजन जंहा प्राचुर मात्रा में है वंहा सांस लेते है तो पूरा शरीर rejenuvete, फिर से जवान हो जाता है ,हर कोशिका हेर टिश्यू की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। फिलहाल की परिस्थितियों में मास्क न उतारे , हाथ सादारण पानी से बार बार धोते ,रहे
spritual
हमे अपनी आद्यात्मिक शक्ति का स्तर भी कम नहीं होने देना है ,अद्यात्मिक्ता हमारे प्राण है ,अद्यात्मिक्ता से मानसिक postivity बढ़ती है ,हमे मानसिक शक्ति प्राप्त होती है ,
व्यायाम व योग भी हमारी इम्युनिटी को बढ़ाते है।
religious physco imunity
esa koi moka na chode jb kisi dusre ki madad aap kr sakte ho kisi bhi roop se tn mn dhn se
spritual imunity
घर में तांबे के बर्तन में हमें रोज कुछ तुलसी के पत्ते डालकर रख देनी चाहिए जिस प्रकार मंदिर में चरणामृत पीते हैं उसी प्रकार से घर में भी हमें इस पानी को थोड़ा थोड़ा सभी व्यक्तियों को रोज पीना चाहिए इससे भी खून में बहुत ही विचित्र प्रकार की इम्युनिटी बढ़ जाती है जो किसी भी प्रकार के कीटाणु को शरीर में अगर आ भी जाए तो उसे लड़कर उसे खत्म कर देती है। ऐसा मन जाता जाता की रोज तुलसी बना इस प्रकार का जल पिने से कैंसर तक ठीक हो जता है
हमें किसी तांबे के बर्तन में सोने व चांदी का सिक्का डालकर या चांदी का सिक्का और सोने की कोई भी आइटम जो आपके पास है उसे धोकर अच्छी तरह से साफ कर कर डाल दो और उस पानी को सभी को रोज पीना चाहिए ऐसा माना जाता है कि इस पानी को पीने से शरीर के अंदर जो इम्युनिटी एक्स्ट्रा आर्डिनरी रूप से बढ़ जाती है शरीस को,व दिमाग को इतनी ताकत मिलती है की मृतप्राय व्यक्ति को भी जीवित करके खड़ा कर देती है उसमें भी जान फूंक देती है
हमें चिरायता क्रेता का पानी पीना चाहिए हमें नीम के दातुन करनी चाहिए हमें गिलोय का पानी पीना चाहिए और इन चीजों को बजाएं उबालकर पीने के हमें पानी में रात को भिगो कर रख देना चाहिए वह सुबह पीना चाहिए और धीरे धीरे धीरे प्रतिदिन हफ्ते में एक बार 15 दिन में एक बार महीने में एक बार अवश्य पीना चाहिए इस प्रकार से जो यूनिटी हमारी धीरे-धीरे बढ़ती है उसका कोई जवाब नहीं होता बजाय इसके कि जब आप बीमार पड़े तब पानी को उबाल उबाल कल इन चीजों को पिए जिससे कि शरीर में गर्मी भी बढ़ जाती है
इम्यूनिटी बढ़ाने के और भी कई तरीके हैं किसी से बहस ना करो खुश रहने की कोशिश करो अच्छा खाओ पियो जो भी इस मौसम के फल व सब्जियां हैं उन्हें जरूर खाओ इससे दो फायदे होते है एक एक तो हर प्रकार के पोषक तत्व हमारे शरीर को मिल जाते हैं और दूसरा फायदा यह होता है कि हमें चीजें सस्ती मिलती है क्योंकि वह उस मौसम में बहुत अधिक मात्रा में मार्केट में उपलब्ध होती हैं,
ऐसा नहीं है कि हमें अंडा मांस मछली नहीं खाना चाहिए जो खाते हैं उन्हें खाना चाहिए हफ्ते में एक दिन खाओ 10 दिन 15 दिन में खाओ लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है क्या फल सब्जियां रोटी खाना छोड़ दो क्योंकि आजकल इस आधुनिक संसार में बहुत ही भ्रांतियां फैलाई जा रही है हमे रोटी नहीं खानी चाहिए नहीं खाने चाहिए ऐसा कुछ भी नहीं है अगर तू पर उपाय बताएं कि हम उन्हें करते रहते तो हमारी शुगर भी ऑटोमेटिक कंट्रोल रहती है
सब्जियों में हर प्रकार के नॉनवेज का कोई अल्टरनेट भेजें कटहल अरबी आजकल के बच्चों को टिंडे और बड़ी परेशानी है लेकिन यह खानी उतनी ही जरूरी है जितना जरूरी कि जैसे इंसान बहुत बीमार होता तो दीवानी हो जाती हैं
अगर समझ आए तो हर हालत में हमें फास्ट फूड को बिल्कुल ही ना कह देनी चाहिए पिज्जा बर्गर से नो टू पिज्जा बर्गर
क्योंकि अगर हम अपनी मेंटिस टोंग कर भी लेंगे लेकिन बाहर से रेडिएशंस का हमला होता रहेगा तो भी हम अपने आप को बचा नहीं पाएंगे
सुबह नहाने के बाद रोज नाक व नेवल में सरसो का तेल लगाना चाहिए ,अगर हम तेल लगाने के बाद नाक अगले २४ घंटे तक दुबारा साफ़ न करे तो आप को अगले तेल का एहसास नाक में मिलेगा ,किसी भी आचार में हम सरसो के तेल के एहम रोले को सरसो के तेल में गिरने वाले कीटाणु निष्क्रिय हो जाते यही ,ठीक इसी प्रकार जब हम नाक में तेल लगते है तो वह से गुजरने वाली हर सांस के साथ के कीटाणु जो त्वचा के संपर्क में आते है वंही के हो के रह जाते है ,मर जाते है ,आगे शरीर में प्रवेश नहीं कर पते। ......
घर में तांबे के बर्तन में हमें रोज कुछ तुलसी के पत्ते डालकर रख देनी चाहिए जिस प्रकार मंदिर में चरणामृत पीते हैं उसी प्रकार से घर में भी हमें इस पानी को थोड़ा थोड़ा सभी व्यक्तियों को रोज पीना चाहिए इससे भी खून में बहुत ही विचित्र प्रकार की इम्युनिटी बढ़ जाती है जो किसी भी प्रकार के कीटाणु को शरीर में अगर आ भी जाए तो उसे लड़कर उसे खत्म कर देती है। ऐसा मन जाता जाता की रोज तुलसी बना इस प्रकार का जल पिने से कैंसर तक ठीक हो जता है
हमें किसी तांबे के बर्तन में सोने व चांदी का सिक्का डालकर या चांदी का सिक्का और सोने की कोई भी आइटम जो आपके पास है उसे धोकर अच्छी तरह से साफ कर कर डाल दो और उस पानी को सभी को रोज पीना चाहिए ऐसा माना जाता है कि इस पानी को पीने से शरीर के अंदर जो इम्युनिटी एक्स्ट्रा आर्डिनरी रूप से बढ़ जाती है शरीस को,व दिमाग को इतनी ताकत मिलती है की मृतप्राय व्यक्ति को भी जीवित करके खड़ा कर देती है उसमें भी जान फूंक देती है
हमें चिरायता क्रेता का पानी पीना चाहिए हमें नीम के दातुन करनी चाहिए हमें गिलोय का पानी पीना चाहिए और इन चीजों को बजाएं उबालकर पीने के हमें पानी में रात को भिगो कर रख देना चाहिए वह सुबह पीना चाहिए और धीरे धीरे धीरे प्रतिदिन हफ्ते में एक बार 15 दिन में एक बार महीने में एक बार अवश्य पीना चाहिए इस प्रकार से जो यूनिटी हमारी धीरे-धीरे बढ़ती है उसका कोई जवाब नहीं होता बजाय इसके कि जब आप बीमार पड़े तब पानी को उबाल उबाल कल इन चीजों को पिए जिससे कि शरीर में गर्मी भी बढ़ जाती है
इम्यूनिटी बढ़ाने के और भी कई तरीके हैं किसी से बहस ना करो खुश रहने की कोशिश करो अच्छा खाओ पियो जो भी इस मौसम के फल व सब्जियां हैं उन्हें जरूर खाओ इससे दो फायदे होते है एक एक तो हर प्रकार के पोषक तत्व हमारे शरीर को मिल जाते हैं और दूसरा फायदा यह होता है कि हमें चीजें सस्ती मिलती है क्योंकि वह उस मौसम में बहुत अधिक मात्रा में मार्केट में उपलब्ध होती हैं,
ऐसा नहीं है कि हमें अंडा मांस मछली नहीं खाना चाहिए जो खाते हैं उन्हें खाना चाहिए हफ्ते में एक दिन खाओ 10 दिन 15 दिन में खाओ लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है क्या फल सब्जियां रोटी खाना छोड़ दो क्योंकि आजकल इस आधुनिक संसार में बहुत ही भ्रांतियां फैलाई जा रही है हमे रोटी नहीं खानी चाहिए नहीं खाने चाहिए ऐसा कुछ भी नहीं है अगर तू पर उपाय बताएं कि हम उन्हें करते रहते तो हमारी शुगर भी ऑटोमेटिक कंट्रोल रहती है
सब्जियों में हर प्रकार के नॉनवेज का कोई अल्टरनेट भेजें कटहल अरबी आजकल के बच्चों को टिंडे और बड़ी परेशानी है लेकिन यह खानी उतनी ही जरूरी है जितना जरूरी कि जैसे इंसान बहुत बीमार होता तो दीवानी हो जाती हैं
अगर समझ आए तो हर हालत में हमें फास्ट फूड को बिल्कुल ही ना कह देनी चाहिए पिज्जा बर्गर से नो टू पिज्जा बर्गर
क्योंकि अगर हम अपनी मेंटिस टोंग कर भी लेंगे लेकिन बाहर से रेडिएशंस का हमला होता रहेगा तो भी हम अपने आप को बचा नहीं पाएंगे
सुबह नहाने के बाद रोज नाक व नेवल में सरसो का तेल लगाना चाहिए ,अगर हम तेल लगाने के बाद नाक अगले २४ घंटे तक दुबारा साफ़ न करे तो आप को अगले तेल का एहसास नाक में मिलेगा ,किसी भी आचार में हम सरसो के तेल के एहम रोले को सरसो के तेल में गिरने वाले कीटाणु निष्क्रिय हो जाते यही ,ठीक इसी प्रकार जब हम नाक में तेल लगते है तो वह से गुजरने वाली हर सांस के साथ के कीटाणु जो त्वचा के संपर्क में आते है वंही के हो के रह जाते है ,मर जाते है ,आगे शरीर में प्रवेश नहीं कर पते। ......
चाहे 5 मिनट करो योगा एक्सरसाइज शुरू करो घर पर ही करो बाहर के प्रोटीन खाने की बजाय उन वस्तुओं का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करो जिनसे हमें प्रोटीन मिलते हैं
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