Tuesday, 15 August 2023

सीता ने अपने ससुर का गया में श्राद्ध किया था. क्या वजह थी कि सीता को अपने पति राम के होते हुए भी अपने ससुर का पिंडदान करना पड़ा था,



 सीता ने अपने ससुर का गया में श्राद्ध किया था.  क्या वजह थी कि सीता  को अपने पति  राम के होते हुए  भी अपने ससुर का पिंडदान करना पड़ा था, 




हिन्दू धर्म में अपने पितरो के लिए श्राद्ध करना उनके नाम का पिंड  दान करना इसका बहुत महत्व है ,,पुत्र  ही माता पिता  का पीड़ दान व श्राद्ध करता है  वो न हो तो पोता  नाती नातिन या बहु ,सीता माता को किन परिस्थितियों में राजा दशरथ का पिंड दान करना पड़ा 




पिंड दान  हरिद्वार, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर गया  में किया जाता है ,पिंड दान से पितरो को मोक्ष मिलता है व वे हमे आशीर्वाद देते है ऐसा वेद पुराण कहते है 

गयाजी में पिंडदान की बात का जिक्र रमायण में भी किया गया है.ऐसी मान्यता है की  कि एक परिवार से कोई एक ही 'गया' करता है. गया करने का मतलब होता है, गया में पितरों को पिंडदान किया जाना पुत्र अथवा पोते द्वारा 



 सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था ऐसा  वाल्मिकी रामायण में कहा  गया  है. 
और तब  राजा दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिला था. वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया  पहुंचे. वहां श्राद्ध कर्म के लिए जरुरी  सामग्री जुटाने के लिए श्री राम और लक्ष्मण नगर की ओर चले गए थे. उस समय कुछ परिस्थितिया ऐसी बनी की सीता को  दशरथ का पिंडदान गयाजी में करना पड़ा राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में 


 भरत और शत्रुघ्न ने अंतिम संस्कार की हर विधि को विधिवत  पूरा किया था. लेकिन राजा दशरथ को सबसे ज्यादा मोह  अपने बड़े बेटे राम से था इसलिए अंतिम संस्कार के बाद उनकी चिता की बची हुई राख उड़ते-उड़ते गया में नदी के पास पहुंची.





उस समय  राम और लक्ष्मण वहां मौजूद नहीं थे और सीता नदी के किनारे बैठी थी . तभी सीता को राजा दशरथ की छाया  दिखाई दी पर  राजा दशरथ  ने सीता से कहा मेरे पास समय कम है   वा  अपने पिंडदान करने की विनती की. उधर दोपहर हो गई थी. पिंडदान का समय भी निकलता जा रहा था .

भारत की इस श्रापित नदी के बारे आप जानते है क्या

भारत की इकलौती नदी जिसे लोग अपवित्र मानते है वा छूने से भी डरते है।




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सीता ने उस समय उसे अपना दायित्व समझा और अपने सौर राजा दशरथ का श्राद्ध करने का निर्णय लिया 
सीता ने राजा दशरथ की राख को  अपने हाथों में लिया. वहां  उस समय  मौजूद फाल्गुनी नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को इस पिंडदान का साक्षी बनाया





.पिंडदान करने के बाद जब  राम  और लक्ष्मण  बाजार से लोट सीता के पास  आए,तब सीता ने उन्हें ये सारी बात बताई. 
राम ने कुछ नहीं कहा फिर भी  सीता ने पिंडदान में साक्षी बने पांचों जीवों को बुलाया.





उन पांचो को लगा की  राम को गुस्से में  है ,
 फाल्गुनी नदी, गाय, तुलसी और ब्राह्मण ने  हर बात से इंकार कर दिया. जबकि अक्षय वट ने सच बोलते हुए सीता का साथ दिया. तब  सीता ने झूठ बोलने वाले चारों जीवों को श्राप दे दिया. जबकि अक्षय वट को वरदान देते हुए कहा कि तुम हमेशा पूजनीय रहोगे और जो लोग भी पिंडदान करने के लिए गया आएंगे. उनकी पूजा अक्षय वट की पूजा करने के बाद ही सफल होगी.



 फल्गू नदी को श्राप दिया कि वह सिर्फ नाम की नदी रहेगी। उसमें पानी नहीं रहेगा। इसी कारण फल्गू नदी आज भी गया में सूखी है।यह नदी    जमीन  नीचे  बहती है किसी को भी दिखती नहीं है। 


 
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 गाय को श्राप दिया कि गाय पूजनीय होकर भी सिर्फ उसके पिछले हिस्से की पूजा की जाएगी और गाय को खाने के लिए दर बदर भटकना पड़ेगा। आज भी हिन्दू धर्म में गाय के सिर्फ पिछले हिस्से की पूजा की जाती है।



माता सीता ने ब्राह्मण को कभी भी संतुष्ट न होने और कितना भी मिले  पर उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी का श्राप दिया। इसी कारण ब्राह्मण कभी दान दक्षिणा के बाद भी संतुष्ट नहीं होते हैं।





 माता सीता ने तुलसी को श्राप दिया कि वह कभी भी गया कि मिट्टी में नहीं उगेगी। यह आज तक सत्य है कि गया कि मिट्टी में तुलसी नहीं फलती



और कौआ को हमेशा लड़ झगड़ कर  खाने का श्राप दिया था। कौआ आज भी खाना अकेले नहीं खाता है।



                                            ज्ञान की बाते मिल कर  बांटे


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भारत की इस श्रापित नदी के बारे आप जानते है क्या

भारत की इकलौती नदी जिसे लोग अपवित्र मानते है वा छूने से भी डरते है।

एक नदी को यमराज की बहिन व सूर्य की पुत्री कहा जाता है।

नदियों का मायका है यह राज्य

क्यों सास बहू कहा जाता इन नदियों को 

दुनिया का इकलौता मंदिर जंहा भगवान् शिव गोपी के रूप में वास करते है

कुत्ते जीभ बाहर अक्सर क्यों निकाल रखते है। why most of the times dogs keep their mouth open and tongue outside

ट्रैफिक उलंघन करने पर कैमरे कैसे पकड़ लेते है ,How cameras control the Traffic violations

क्यों केवल एक नदी है जिसे पुरुष नदी माना जाता है /why only one river in India is called male river

क्यों उलटी बहती है भारत की यह नदी /why this river flows in opposite direction

कृष्ण सुरदर्शन धारी थे karm ka fal

आखिर सच हो ही गयी अल्बर्ट आइंस्टीन की १०० वर्ष पहले की गयी भविष्यवाणी ,खुलेंगे बहुत से नए रहस्य व राज ब्रह्माण्ड।

ज्ञान जन्मो जन्मो तक रहता है knowledge remains as eternal



Sunday, 13 August 2023

आज्ज आखां वारिस शाह नूं I ask varis


आज्ज आखां वारिस शाह नूं           I ask varis 
कित्थे कबरां विचों बोल                speak from grave
ते आज्ज किताबे ईश्क दा             say some new magical
कोई अगला वर्का फोल                words on love

इक रोई सी धी पंजाब दी           one daughter wept in Punjab
 तूं लिख लिख मारे वैण              you wrote too much heart touching poetry
आज्ज लखां धिया रोंदियां           today millions of daughters are weeping 
तैनूं वारिस शाह नूं कैण               asking you VARIS

उठ दर्दमंदा देया दर्दिया                      wake up our 
 उठ तक्क अपना पंजाब(मणिपुर)           see your MANIPUR
आज्ज वेले लाशा विछियां                     deads and deads every where
 ते लहू दी भरी चिनाव                        rivers water has become red 

किसे ने पंजा पाणियां                     someone poisned 
 विच दित्ती जहर रला                      the whole water & air 
ते उणा पाणियां                               made the EARTH to
धरत नूं दित्ता पानी ला                       drink that poisned water

इस जरखेज जमीन                      poision and poision
 दे लू लू फुटिया जहर                   on our holy land          
गिट्ठ गिट्ठ चड़ियां लालियां             blood has redden all
 ते फुट फुट चड़िया कहर            havock has expolded

 उहो वलिसी वा फिर
 वण वण वगी जा
उहने हर इक बांस दी
 वंजली दित्ती नाग बना

 नागां किल्ले लोक मूं
, बस फिर डांग्ग ही डांग्ग,
  पल्लो पल्ली पंजाब दे,
  नीले पै गये अंग,

 गलेयों टुट्टे गीत फिर,                no one sings now
 त्रखलों टुट्टी तंद,                        inner soul heart links broke
त्रिंझणों टुट्टियां सहेलियां           friends are 
 चरखरे घूकर बंद                 no one works happily

 सने सेज दे बेड़ियां,
 लुड्डन दित्तीयां रोड़,
 सने डालियां पींग आज्ज,
 पिपलां दित्ती तोड़,

 जित्थे वजदी सी फूक प्यार दी,
 ओ वंझली गयी गवाच,
रांझे दे सब वीर आज्ज
 भुल गये उसदी जाच्च

 धरती ते लहू वसिया
 कब्रां पइयां चोण,
 प्रीत दिया शाहाजादियां
 अज्ज विच्च मजारां रोन,

 आज्ज सब्बे कैदों* बन गये, हुस्न इश्क दे चोर

 आज्ज कित्थों लाब्ब के लयाइये वारिस शाह इक होर