WONDERFUL सोचने लायक बात

                                                    कर्म या भाग्य 

एक बार किसी ने एक विद्वान  से पूछा से पूछा कि मनुष्य तकदीर से आगे बढ़ता है या  तदबीर से यानी कि करम से या भाग्य से तो उस विद्वान ने जो जवाब दिया उसे सुनकर उस व्यक्ति के दिमाग के सारे जाले उतर गए और उसके दिमाग की सारी खिड़कियां खुल गई विद्वान ने कहा कि आपका किसी बैंक में लॉकर अवश्य होगा ,,,उसकी चाबियां ही आपके सवाल का जवाब है  हर लॉकर की दो चाबियां होती हैं एक मैनेजर के पास होती है....  तथा दूसरी आपके पास जो चाबी आपके पास होती है  वह होती है परिश्रम की चाबी तथा जो चाबी मैनेजर के पास होती है वह होती है भाग्य की चाबी! जब तक दोनों नहीं लगती लॉकर नहीं खोला जा सकता है! मनुष्य कर्म योगी है तथा भगवान हमारा मैनेजर है हमें अपनी परिश्रम की चाबी लगाते रहना चाहिए ना जाने कब  ऊपरवाला अपनी चाबी लगा दें.......
 कहीं ऐसा ना हो कहीं ऐसा ना हो की ऊपरवाला अपनी भाग्य की चाबी लगा रहा हूं और हम परिश्रम वाली चाबी ना लगा रहे हो....... अपने कर्म वाली चाबी ना लगा रहे हो तो लॉकर का ताला नहीं खुलेगा........ हमें अपने कर्म वाली चाबी मेहनत वाली चाबी हमेशा लगाते रहनी चाहिए जैसे ही ऊपरवाला अपनी चाबी लगाएगा हमारा लॉकर खुल जाएगा  व हमें हमारे लॉकर में  बंद कीमती सामान जिसे हम कह सकते हैं मेहनत का फल मिल जाएगा।

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                                         इतिहास

  1.                        
    एक बार एक आदमी अपने कमरे में बैठा इतिहास लिख रहा था
    तभी उसने अपने कमरे के नीचे शोर सुना और मैं उठ कर नीचे चला
    गय.,. वहां पर जाकर उसने देखा कि एक व्यक्ति खूनलथ पथ से पड़ा है
    और बहुत सारी भीड़ उसके आस-पास खड़ी है . और उसने पूछा कि
    यहां क्या हुआ है किसी ने कुछ कहा किसी ने कुछ कहा, जो व्यक्ति के
    रिश्तेदार थे उन्होंने जो बताया वह उस बात से अलग था जो कि अन्य
    लोग कह रहे थे, अब तो यह व्यक्ति जो इतिहास लिख रहा था बड़े ही
    परेशानी में पड़ गया उसने सोचा कि मैं पिछले कई सालों का इतिहास
    लिखने की सोच रहा हूं और यहां 5 मिनट पहले हुई घटना के बारे में
    मुझे सही जानकारी नहीं मिल रही है उसने उसी समय ऊपर गया अपने
    में और जो कुछ भी वो लिख रहा था उसने वो सारे कागज फाड़ कर जला
    दिए.

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  2. जब हमारी जीवन यात्रा आरंभ होती है तो हमारे पास हमारी किस्मत होती है उससे  भरा एक थैला होता है परंतु अनुभव का जो थैला होता है वह बिल्कुल खाली होता है ,,,,, और हमारे जीवन का उद्देश्य यह होता है कि इससे पहले कि हमारी किस्मत का थैला खाली हो जाए उससे पहले हम अपने अनुभव के थैला को अधिक से अधिक अच्छे  अनुभवों से भर दें और साथ ही हमारे पास होती है पिछले जन्म के कर्मों की भविष्य निधि जिसका फल हमें समय समय पर मिलता रहता है****************** When we start our journey of life we have a bag full of luck but at that time the bag of experience is totally empty,,,,, and the aim of our life is  to fill the bag of experience with good experiences before the bag of luck becomes empty and simultaneously we get the fruit of FDs that is  fixed deposits made by us in our previous birth,and time to time we get fruit of those previous deeds.********************************************************
  3. एक बार एक काफिला एक लंबी यात्रा पर जा रहा था। .सफ़र के दौरान वह एक लंबी अंधेरी सुरंग में से गुजरे उन लोगों के पैरों में कुछ कंकरिया सी चुबने लगी, कुछ लोगों के मन में ख्याल आया कि कहीं यह कंकड़िया पीछे  आने वाले लोगों के पैरों में भी चुबेगी , इसलिए हम इन्हें उठा लेते हैं और जब सुरंग से बाहर जाएंगे तो मैं वहां पर फेंक देंगे। कुछ लोगों ने खूब सारी कंकड़िया उठाकर जेबों में और हाथों में   इकट्ठी कर ली कुछ ने  ज्यादा उठाई ,कुछ ने  कम उठाई ,कुछ ने बिल्कुल भी नहीं उठाई, काफी लम्बी सुरंग थी ,इसलिए काफी   देर के बाद सारा का सारा काफिला उस अंधेरी सुरंग से बाहर आ गया ,,जब वह सभी लोग बाहर आए उन्होंने अपनी कंकरिया  को देखा तो वह हैरान देगी कि वह कंकरिया नहीं बेशकीमती हीरे  थे।  तब तो जिन्होंने थोड़े उठाए थे वह भी पछताए जिन्होंने बिल्कुल भी नहीं उठाए थे वह तो बहुत ही अधिक पछताए,, जिंदगी भी इसी प्रकार एक लम्बी  सुरंग की तरह से ही  है।  हमारी नेकिया  वह कंकरिया है जिन्हे  जब हम सुरंग  से बाहर निकलते हैं तो हमें हीरो के रुप में दिखती है, मिलती हैं ,नेकिया  और उपकार हीरो  की तरह कीमती होते  हैं। उस समय इंसान तरसता है हमने  और अधिक क्यों नहीं यह कंकरिया उठाई। 
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